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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शिक्षक भर्ती की तैयारी शुरू ***चुनावी गणित में भावी शिक्षकों पर भी डोरे *** :----

Tuesday 31 July 2012

UPTET- टीईटी अभ्यर्थियों ने किया प्रदर्शन

टीईटी अभ्यर्थियों ने किया प्रदर्शन


टीईटी अभ्यर्थियों ने किया प्रदर्शन
ज्ञानपुर(भदोही): मेरिट को नियुक्ति का आधार बनाने की मांग के समर्थन में टीईटी अभ्यर्थियों ने मंगलवार को काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर परिसर में प्रदर्शन किया।
टीईटी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले महाविद्यालय परिसर में जुटे अभ्यर्थियों ने कहा कि मौजूदा समय में सरकारी व गैर सरकारी किसी भी क्षेत्र में नियुक्ति एक समान परीक्षा प्रणाली पर की जा रही है। ऐसे में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शैक्षिक योग्यता को आधार बनाया जाना समझ से परे है। जिलाध्यक्ष अजय मिश्र ने कहा कि राज्य सरकार टीईटी अभ्यर्थियों के साथ अन्याय कर रही है। विभिन्न बोर्ड व विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम परीक्षा एवं मूल्यांकन भिन्न-भिन्न है ऐसे में शैक्षिक योग्यता के आधार पर मेरिट बनाकर एकरूपता लाना संभव नहीं है। इस दौरान राज्य सरकार के इस निर्णय के खिलाफ न्यायालय की शरण लेने की रणनीति तय की गई। प्रदर्शन में अरुण चतुर्वेदी, मनीष त्रिपाठी, अवधेश मालवीय, राजन शुक्ला, विवेक श्रीवास्तव, ऋषिराज श्रीवास्तव, आदिल अंसारी, राजेश कुमार, सुखराज यादव, अनिल यादव, छविनाथ यादव आदि शामिल थे।

Source- Jagran
31-7-2012

HIMANCHAL PRADESH TET- टीईटी पास ही बनेंगे जेबीटी शिक्षक

हिमाचल प्रदेश में जेबीटी शिक्षकों की भर्ती के लिए नए नियम तैयार कर दिए गए हैं। विभाग के नए नियमों में टीईटी (टीचर एलिजीबिल्टी टेस्ट) की अनिवार्यता को लागू किया है। इसके तहत जेबीटी शिक्षक बनने के लिए भविष्य में टीईटी पास करना जरूरी होगा। टीईटी की मेरिट के आधार पर ही जेबीटी शिक्षकों को प्राथमिकता के आधार पर नियुक्तियां दी जानी हैं। इनकी मेरिट जिले के आधार पर ही बनेगी।

जिले में जितनी सीटें खाली होंगी, उतनी सीटों के लिए मेरिट टीईटी में हासिल अंकों से तैयार की जाएगी। विभाग के प्रस्ताव को शीघ्र ही सरकार से मंजूरी मिलनी प्रस्तावित है। इसके बाद जेबीटी शिक्षक बनने के लिए पहली बार टीईटी की मेरिट को आधार बनाया जाएगा प्रदेश में पहले दो साल जेबीटी प्रशिक्षण हासिल करने वाले प्रशिक्षुओं को बैच के आधार पर ही तैनाती दी जाती रही है।


शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद विभाग ने टीईटी की शर्त को लागू किया है। इस मसले में चालू बैच को छूट देने का मामला विभाग ने तीन बार केंद्र सरकार से उठाया। एक बार प्रदेश के मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से उठाया था। इन प्रस्तावों पर जब सरकार को छूट नहीं मिली तो विभाग ने अब अपना नए भर्ती नियमों का प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें पहली बार टीईटी की शर्त को शामिल किया है। इन नियमों के बाद पहली बार विभाग ने टीईटी की परीक्षा करवाकर भर्ती करने की तैयारी शुरू कर दी है।

निदेशक एलीमेंटरी शिक्षा राजीव शर्मा ने माना कि टीईटी की शर्त को शामिल कर जेबीटी भर्ती के नियम तैयार किए हैं। इसे शीघ्र ही सरकार से मंजूरी मिलने के इंतजार है। इसके बाद टीईटी की परीक्षा का रिजल्ट आते ही जेबीटी प्रशिक्षुओं को नए नियमों के आधार पर तैनाती दी जाएगी।


Source-Amar Ujala
31-7-2012

JBT CANDIDATE (WHO ARE ALREADY APPEARING IN TEACHER TRAINING ) ARE NOT ELIGIBLE FOR THE POST OF PRT WITHOUT TET.

SO THE FUTURE OF SHIKSHA MITRA IN UP IS IN DARK.

 

UPTET- टीईटी अभ्यर्थियों ने की लाठीचार्ज की निंदा

टीईटी अभ्यर्थियों ने की लाठीचार्ज की निंदा


ज्ञानपुर/खमरिया (भदोही): टीईटी अभ्यर्थियों की सोमवार को हुई अलग-अलग बैठकों में लखनऊ में हुए लाठीचार्ज की निंदा की गई।
ज्ञानपुर नगर में हुई बैठक में अभ्यर्थियों ने टीईटी की मेरिट के बजाय शैक्षिक योग्यता का योग्यता क्रम बनाए जाने पर रोष जताया और इसे अनुचित करार दिया। अभ्यर्थियों ने इसके विरोध में आगे की रणनीति के लिए 31 जुलाई को पूर्वाह्न 10 बजे सरस्वती मंदिर परिसर में बैठक का आयोजन किया है। इस मौके पर अवधेश मालवीय,अरुण चतुर्वेदी,मनीष तिवारी ,राजन शुक्ला व अन्य थे। इसी तरह खमरिया नगर में टीईटी अभ्यर्थियों की हुई बैठक में लखनऊ में प्रदर्शन के दौरान हुए लाठीचार्ज की निंदा की। साथ ही टीईटी मेरिट के आधार पर नियुक्त किए जाने की मांग उठाई। बैठक में सौरभ कुमार मौर्य, हेमंत मौर्य,अमित मौर्य, नीतू, सरिता,प्रियंका, विजय यादव,कैलाश व अन्य थे।

Source- Jagran
30-7-2012

Monday 30 July 2012

UPTET- यूपी में होगी 72 हजार शिक्षकों की भर्ती

यूपी के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 2.56 लाख शिक्षकों की कमी है। राज्य सरकार ने शिक्षकों की भर्ती के लिए 31 मार्च 2015 तक समय देने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय को नए सिरे से प्रस्ताव भेजा है। यह प्रस्ताव मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता निदेशक विक्रम सहाय द्वारा भेजे गए निर्धारित प्रोफार्मा के आधार पर भेजा गया है।

राज्य की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि शिक्षकों की भर्ती कई चरणों में की जाएगी। पहले चरण में 72 हजार 825 शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। इसके बाद तीन चरणों में 1.24 लाख शिक्षा मित्रों को ट्रेनिंग देकर सहायक अध्यापक बनाया जाएगा। इसके बाद रिक्तियों के आधार पर शेष शिक्षकों की भर्ती की जाएगी।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद छात्र शिक्षक अनुपात में बदलाव कर दिया है। प्राइमरी स्कूलों में 30 बच्चों पर एक और उच्च प्राइमरी में 35 बच्चों पर एक शिक्षक रखने की अनिवार्यता है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने शिक्षकों की भर्ती के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करना अनिवार्य कर किया है। एनसीटीई ने 31 अगस्त 2010 को अधिसूचना जारी करते हुए राज्यों को 1 जनवरी 2012 तक प्राइमरी स्कूलों में बीएड डिग्रीधारकों को रखने की अनुमति दी थी। यूपी में टीईटी के विवादों में पड़ने से शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पाई है।

यूपी में सत्ता बदलने के बाद बीएड डिग्रीधारकों को शिक्षक पद पर भर्ती के लिए 31 मार्च 2015 तक समय देने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय को 14 मई 2012 को पत्र लिखा गया था। वहां के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता निदेशक विक्रम सहाय ने 28 जून 2012 को प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार को पत्र भेजकर शिक्षकों की भर्ती के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 23 (2) का पालन करने का परामर्श देते हुए निर्धारित प्रोफार्मा पर प्रस्ताव मांगा गया था। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा ने नए सिरे से मानव संसाधन विकास मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है।इसके मुताबिक प्राइमरी स्कूलों में 1.77 लाख सहायक अध्यापक और 25058 प्रधानाध्यापक की कमी बताई गई है। उच्च प्राथमिक स्कूलों में 36 हजार 628 सहायक अध्यापक तथा 19 हजार 292 प्रधानाध्यापक की कमी बताई गई है।

इस हिसाब से 2 लाख 56 हजार 978 शिक्षकों की कमी सरकारी स्कूलों में है। प्रस्ताव के मुताबिक पहले चरण में 72 हजार 825 सहायक अध्यापक प्राइमरी स्कूलों में रखे जाएंगे। इसके बाद तीन चरणों में 1.24 लाख शिक्षा मित्रों को ट्रेनिंग देकर सहायक अध्यापक बनाया जाएगा।

इस हिसाब से 1 लाख 96 हजार 825 शिक्षकों की भर्ती होने के बाद 60 हजार 153 शिक्षकों की कमी रह जाएगी। इसके बाद शिक्षकों के शेष रिक्त पदों पर अगले चरण में भर्ती होगी।


Source- Jagran
30-7-2012

UPTET- टीईटी उत्तीर्ण का स्कूलों में हो समायोजन : तोमर

टीईटी उत्तीर्ण का स्कूलों में हो समायोजन : तोमर


सहारनपुर (जासं) : उत्तर प्रदेश प्रशिक्षित स्नातक संघ के जिलाध्यक्ष विजेन्द्र कुमार तोमर ने प्रदेश सरकार से टीईटी उत्तीर्ण करने प्रत्येक अभ्यर्थी का स्कूलों में समायोजन कराने की माग की। उन्होंने कहा कि एक ओर इससे प्रदेश में शिक्षकों का टोटा पूरा होगा, दूसरी ओर टीइटी अभ्यर्थी को भी नौकरी मिल जायेगी। उन्होंने कहा प्रदेश में लाखों शिक्षकों के पद खाली पड़े है।
रविवार को संघ कार्यालय पर हुई बैठक में जिलाध्यक्ष श्री तोमर ने कहा कि बीएड डिग्रीधारकों को सरकार से कई उम्मीदें है। टीईटी उत्तीर्ण सभी अभ्यर्थियों को स्कूलों में समायोजित करने से शिक्षकों की कमी पूरी हो सकेगी। ललतेश गर्ग व राजेश कुमार का कहना था कि बीएड डिग्रीधारकों को अपना हक प्राप्त करने के लिए संगठन को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने टीईटी संकट के लिए पूर्ववर्ती सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने पूर्व सरकार को कोसते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने चुनावी फायदे के लिए नियुक्तियों को लटकाये रखा। वर्तमान सरकार को चाहिए टीइटी अभ्यर्थियों के रूप में तैनात दे। उन्होंने कहा कि टीइटी अभ्यर्थियों ने बहुत संघर्ष किया है। उनकों संघर्षो का फल मिलना चाहिए।
बैठक को अश्वनी गौतम, नफे सिंह गुर्जर, अरुण शर्मा, प्रदीप धीमान, राजेश पुंडीर, नवीन कुमार, अरविंद कुमार, रोशन लाल, महक सिंह, सुधा शर्मा, शिखा शर्मा, अंजलि पंवार, प्रवीण कुमार, राजकुमार आदि उपस्थित रहे।

source- Jagran
29-7-2012

Sunday 29 July 2012

राम चन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आयेगा , हंस चुंगेगा दाना तिनका कौवा मोती खायेगा !

एसएससी नकल नेटवर्क के सरगना समेत 14 गिरफ्तार

एसएससी नकल नेटवर्क के सरगना समेत 14 गिरफ्तार


-प्रतियोगी परीक्षा में बैठे फर्जी अभ्यर्थी
-आवेदित पद के हिसाब से 25 लाख तक वसूली
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने रविवार को विगत दस वर्षो से कर्मचारी चयन आयोग की प्रतियोगी परीक्षाओं में फर्जी अभ्यर्थी बिठाकर उत्तीर्ण कराने वाले अन्तर्राज्यीय गिरोह का राजफाश किया। यह गिरोह प्रत्येक अभ्यर्थी से आवेदित पद के अनुरूप तीन लाख से लेकर 25 लाख रुपये तक की वसूली करता था। लखनऊ और गाजियाबाद में छापेमारी कर एसटीएफ टीम ने सरगना समेत 14 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार अभियुक्तों के कब्जे से लैपटाप, परीक्षा संबंधी अभिलेख, मोबाइल फोन और इलेक्ट्रानिक डिवाइस बरामद हुई है।
एसटीएफ आइजी आशीष गुप्ता ने बताया कि गिरोह का सरगना बागपत जिले के शेरपुर का निवासी अनिल सिंह है, जिसे गाजियाबाद से गिरफ्तार किया गया है। उसके तंत्र में सक्रिय मेरठ के रोहटा निवासी सचिन्द्र कुमार, शामली के दयानंदनगर के रणबीर सिंह, गौतमबुद्धनगर के मकौड़ा निवासी विजय कुमार, बागपत के भौजान दोघट निवासी सोनू वर्मा और बागपत के ही शेरपुर निवासी प्रवीन कुमार को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया गया है। लखनऊ में अमीनाबाद इंटर कालेज से वास्तविक अभ्यर्थियों के स्थान पर परीक्षा दे रहे आठ लोग गिरफ्तार किए गए हैं, जिनमें बागपत के छपरौली का दीपक आर्य, दिल्ली के भजनपुरा निवासी सोनू कुमार उर्फ अमित नेहरा और रमन कुमार, बागपत के बालैनी निवासी इंसार, गाजियाबाद के लोनी निवासी उदयवीर, राजस्थान के शाहाबाद निवासी राजेश कुमार, गाजियाबाद के गोविन्दपुरम निवासी प्रशांत पाराशर और बागपत छपरौली निवासी विकेन्द्र सिंह शामिल है।
आइजी गुप्ता ने बताया कि एसटीएफ को अभिसूचना संकलन के दौरान यह पता चला कि प्रतियोगी परीक्षाओं में अभ्यर्थियों के स्थान पर दूसरे लोगों को बिठाकर धंधा करने वाला गिरोह गाजियाबाद से संचालित हो रहा है। 29 जुलाई को कर्मचारी चयन आयोग इलाहाबाद द्वारा संचालिक आशुलिपिक श्रेणी ग और घ पद हेतु परीक्षा में लखनऊ व बरेली में अभ्यर्थियों के स्थान पर दूसरे व्यक्ति परीक्षा देने हेतु बैठाये जा रहे हैं। इस पर एसटीएफ के एसएसपी सत्येन्द्र वीर सिंह ने एक टीम का गठन किया। टीम ने पता लगाया कि लखनऊ और बरेली में परीक्षा केंद्रों पर फर्जी अभ्यर्थी परीक्षा देंगे। एक टीम बरेली गई लेकिन वहां किन्हीं कारणों से परीक्षा रद कर दी गई।
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ब्लू टुथ से हल कराते थे पर्चा
लखनऊ में गिरफ्तार अभियुक्तों ने बताया कि उनके गिरोह का सरगना अनिल सिंह है। वह मेधावी बेरोजगारों को गिरोह से जोड़े हैं। प्रश्नपत्र में मुख्यत: तीन खंड होते हैं। प्रत्येक खंड के जानकार लड़कों को एक साथ रोल नंबर आवंटित कराकर बैठाने की व्यवस्था की जाती है। प्रश्नपत्र मिलने के पश्चात अपने खंड के जानकार फर्जी अभ्यर्थी द्वारा ब्लू टूथ डिवाइस से दूर बैठे कनेक्टेड व्यक्ति को कोड में उत्तर का विकल्प बता दिया जाता है, जहां से पूरे प्रश्न पत्र के उत्तर का एसएमएस बनाकर परीक्षा में बैठे अन्य अभ्यर्थियों को भेज दिया जाता है। अभ्यर्थी मोबाइल अंडरगारमेंट में छिपाकर ले जाता है और कक्ष निरीक्षक की नजर बचाकर एसएमएस खोलकर उत्तर पुस्तिका पूरी कर लेता है।
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फोटो चिपकाने में भी खेल
वास्तविक अभ्यर्थी तथा परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थी दोनों से मिलता जुलता फोटो बनाकर फार्म व प्रवेश पत्र पर चस्पा किया जाता है। फोटो धुंधला रखा जाता है, जिससे मिलान के समय पकड़ में न आए। परीक्षा के समय कक्ष निरीक्षक द्वारा फोटो मिलान करते समय कोई न कोई ऐसी हरकत की जाती है कि उनका ध्यान बंट जाए। लखनऊ में वास्तविक अभ्यर्थी धर्मेन्द्र कुमार की जगह दीपक आर्या, राजीव कटारिया की जगह सोनू कुमार, अमित कुमार की जगह रमन कुमार, विजय कुमार की जगह इंसार, विकास कुमार की जगह उदयवीर, अरुण कुमार की जगह राजेश कुमार, कपिल राना की जगह प्रशांत और विनीत की जगह परीक्षा दे रहे विकेन्द्र सिंह ने पूछताछ में इसका रहस्योद्घाटन किया। इनकी गिरफ्तारी के बाद गाजियाबाद से सरगना और सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया।
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आयोग लिपिकों की मिलीभगत
जांच में सामने आया कि परीक्षा फार्म अंतिम तिथि के पश्चात जमा किए जाते हैं। इसके लिए कर्मचारी चयन आयोग कार्यालय में संबंधित लिपिक से सम्पर्क कर अनिल सिंह यह व्यवस्था कराता है। इसी कारण इन अभ्यर्थियों के रोल नंबर क्रम में आवंटित होते हैं और सभी एक साथ बैठते हैं। इन लिपिकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसटीएफ सक्रिय हो गई है। इस धंधे से अनिल ने कई शहरों में सम्पत्ति बना ली है। छापे बनारस, इलाहाबाद, देहरादून, मेरठ और बागपत में भी मारे गए। गाजियाबाद के राजेंद्र नगर से रविवार दोपहर ढाई बजे एसटीएफ ने छापेमारी कर चार लोगों को गिरफ्तार किया। इनके घर से पाच लाख रुपए नकद, एक लैपटॉप, 14 मोबाइल फोन, सौ से अधिक सिमकार्ड और तीन बैगों में नकल व परीक्षा से जुड़े कागजात बरामद किए। यह घर से ही पूरे उत्तर भारत में नकल नेटवर्क चल रहे थे। टीम ने छापे से पूर्व संदिग्ध मकान की घेराबंदी की। पुलिस देख नकल कराने के आरोपियों ने छत से कूदने की कोशिश की, लेकिन प्रवीन व अनिल दबोच लिए गए। आसपास के लोगों का कहना है कि यह लोग एक साल से यहां रह रहे थे। अनिल पर मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर थाने में जालसाली का मुकदमा दर्ज है।

मुख्यमंत्री साहब अब एसएसी की भर्ती को भी एकेडेमिक से कराइए क्या  करा सकते है नहीं ना तो  फिर शिक्षकों  की भर्ती  एकेडेमिक मेरिट पर क्यों  ?

Source- Jagran
29-7-2012
 

UPTET- टीईटी अभ्यर्थियों की पुलिस से झड़प

टीईटी अभ्यर्थियों की पुलिस से झड़प



टीईटी अभ्यर्थियों की पुलिस से झड़प
विधान भवन के सामने बगैर अनुमति दे रहे थे धरना
पुलिस ने अभ्यर्थियों को गिरफ्तार कर रिहा किया
जागरण संवाददाता, लखनऊ:
अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में प्राप्त अंकों की मेरिट बने और उसके आधार पर अभ्यर्थियों की शिक्षक पद पर तैनाती की जाय। इस एक सूत्री मांगों को लेकर विधान भवन के सामने बगैर लिखित अनुमति के धरना देना टीईटी पास अभ्यर्थियों को महंगा पड़ गया। पुलिस ने न केवल उन्हें यहां से भगाया बल्कि गिरफ्तार करके पुलिस लाइन ले गए जहां उन्हें देर शाम रिहा कर दिया गया।
उप्र टीईटी संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर रविवार को सुबह करीब 10 बजे विधान भवन के सामने पहुंचे अभ्यर्थियों ने धरना शुरू किया ही था कि पुलिस अधिकारियों ने धरना बंद करने का फरमान जारी कर दिया। इस बीच अभ्यर्थियों ने जबरन धरना करने और मौखिक आदेश लेने की बात कही, लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। धरने को लेकर पुलिस अधिकारियों और अभ्यर्थियों में गरमागरम बहस होने लगी। इस बीच पुलिस अधिकारियों ने पीएसी को बुलाकर जबरन अभ्यर्थियों को भगाना शुरू कर दिया। जवानों ने अभ्यर्थियों पर लाठियां भी भांजीं और उन्हें जबरन गिरफ्तार कर लिया। मोर्चा के अध्यक्ष गणेश शंकर दीक्षित ने प्रशासन पर अभद्रता करने और आदेश को बदलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मेरिट के आधार पर तैनाती न करके प्रदेश सरकार नियमों का उल्लंघन कर रही है। पुलिस ने 80 से अधिक अभ्यर्थियों को जबरन बस में बैठाकर गिरफ्तार कर लिया और रिजर्व पुलिस लाइन ले गई जहां सभी को देर शाम रिहा कर दिया गया। गिरफ्तार होने वालों में राकेश यादव, राम जनक यादव, आशुतोष, पवन, रत्‍‌नेश व सुनील सिंह सहित कई अभ्यर्थी शामिल है।

Source- Jagran
29-7-2012

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LUCKNOW CHALO LUCKNOW CHALO

LUCKNOW CHALO BHAI

DO OR DIE 29 JULY KO LUCKNOW CHALO BHAI
C.M.SE MILNA HAI

APNI BAAT KAHNA HAI

YADI NA MILA KOI THOS ASWASHAN

WAHIN SE SURU HOGA AMRAN ANSHAN

LUCKNOW SE DELHI TAK CHAHE CHALE LADAI

LUCKNOW CHALO LUCKNOW CHALO

LUCKNOW CHALO BHAI.

UPTET MORCHA NE YE AWAJ LAGAI

LUCKNOW CHALO LUCKNOW CHALO

LUCKNOW CHALO BHAI.


 sunil kumar tiwari sunlkmrr@gmail.com

UPTET- टीईटी मैरिट के आधार पर हो शिक्षक भर्ती

टीईटी मैरिट के आधार पर हो शिक्षक भर्ती



टीईटी मैरिट के आधार पर हो शिक्षक भर्ती
रामपुर । टीईटी उत्तीण अभ्यर्थी जुलूस लेकर सपा कार्यालय पहुंचे और संसदीय कार्य एवं नगर विकास मंत्री आजम खां को ज्ञापन सौंपा, जिसमें टीईटी की मैरिट के आधार पर शिक्षक भर्ती की मांग की है।
टीईटी उत्तीण अभ्यर्थी शनिवार को अंबेडकर पार्क में एकत्र हुए। उन्होंने अपनी समस्याओं पर चर्चा की और समाधान कराने पर जोर दिया। बाद में नारेबाजी करते हुए वे हाईवे पर आ गए और जुलूस लेकर चल पड़े। वे जौहर रोड, गांधी समाधि और स्वार अड्डे होकर सपा कार्यालय पहुंचे। उन्होंने कैबिनेट मंत्री से मुलाकात की और अपनी समस्याएं रखीं। ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें कहा है कि 12 जुलाई को लखनऊ में धरना दिया गया था। तब वार्ता के लिए बुलाया गया था, लेकिन नहीं जा सके, जो हमारी बड़ी भूल है। लेकिन हमारी इस नादानी की सजा हमारे बच्चों को न दी जाए। हमें माफ करते हुए खुले दिल से फैसला लें। पहले यूपी बोर्ड से हाई स्कूल, इंटर का रिजल्ट का प्रतिशत कम रहता था। विश्वविद्यालय में मूल्यांकन की पद्धति भी भिन्न थी। टीईटी की परीक्षा में अभ्यर्थियों को समान प्रश्नपत्र समान समय में हल करना था। इसलिए मैरिट के अनुसार चयन ही सभी समानता का आधार प्रदान करेगा।
इस दौरान शहजाद हुसैन, संजीव चंदेल, प्रियंका त्यागी, राजपाल सिंह यादव, नईमउद्दीन, किशन सिंह, तेजपाल त्यागी, विजेन्द्र कुमार, महीपाल सिंह, मोहम्मद तसलीम आदि शामिल रहे।
शफी अहमद

Source- jagran
29-7-2012

Saturday 28 July 2012

भारत में आरक्षण (RESERVATION IN INDIA)

सरकारी सेवाओं और संस्थानों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं रखने वाले पिछड़े समुदायों तथा अनुसूचित जातियों और जनजातियों से सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए भारत सरकार ने अब भारतीय कानून के जरिये सरकारी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों की इकाइयों और धार्मिक/भाषाई अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को छोड़कर सभी सार्वजनिक तथा निजी शैक्षिक संस्थानों में पदों तथा सीटों के प्रतिशत को आरक्षित करने की कोटा प्रणाली प्रदान की है. भारत के संसद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व के लिए भी आरक्षण नीति को विस्तारित किया गया है. भारत की केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा में 27% आरक्षण दे रखा है [1] और विभिन्न राज्य आरक्षणों में वृद्धि के लिए क़ानून बना सकते हैं. सर्वोच्च न्यायालय[2] के फैसले के अनुसार 50% से अधिक आरक्षण नहीं किया जा सकता, लेकिन राजस्थान जैसे कुछ राज्यों ने 68% आरक्षण का प्रस्ताव रखा है, जिसमें अगड़ी जातियों के लिए 14% आरक्षण भी शामिल है.[3]
आम आबादी में उनकी संख्या के अनुपात के आधार पर उनके बहुत ही कम प्रतिनिधित्व को देखते हुए शैक्षणिक परिसरों और कार्यस्थलों में सामाजिक विविधता को बढ़ाने के लिए कुछ अभिज्ञेय समूहों के लिए प्रवेश मानदंड को नीचे किया गया है. कम-प्रतिनिधित्व समूहों की पहचान के लिए सबसे पुराना मानदंड जाति है. भारत सरकार द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के अनुसार, हालांकि कम-प्रतिनिधित्व के अन्य अभिज्ञेय मानदंड भी हैं; जैसे कि लिंग (महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है), अधिवास के राज्य (उत्तर पूर्व राज्य, जैसे कि बिहार और उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कम है), ग्रामीण जनता आदि.
मूलभूत सिद्धांत यह है कि अभिज्ञेय समूहों का कम-प्रतिनिधित्व भारतीय जाति व्यवस्था की विरासत है. भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के संविधान ने पहले के कुछ समूहों को अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) के रूप में सूचीबद्ध किया. संविधान निर्माताओं का मानना था कि जाति व्यवस्था के कारण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ऐतिहासिक रूप से दलित रहे और उन्हें भारतीय समाज में सम्मान तथा समान अवसर नहीं दिया गया और इसीलिए राष्ट्र-निर्माण की गतिविधियों में उनकी हिस्सेदारी कम रही. संविधान ने सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं की खाली सीटों तथा सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में अजा और अजजा के लिए 15% और 7.5% का आरक्षण रखा था, जो पांच वर्षों के लिए था, उसके बाद हालात की समीक्षा किया जाना तय था. यह अवधि नियमित रूप से अनुवर्ती सरकारों द्वारा बढ़ा दी जाती रही.
बाद में, अन्य वर्गों के लिए भी आरक्षण शुरू किया गया. 50% से अधिक का आरक्षण नहीं हो सकता, सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से (जिसका मानना है कि इससे समान अभिगम की संविधान की गारंटी का उल्लंघन होगा) आरक्षण की अधिकतम सीमा तय हो गयी. हालांकि, राज्य कानूनों ने इस 50% की सीमा को पार कर लिया है और सर्वोच्च न्यायलय में इन पर मुकदमे चल रहे हैं. उदाहरण के लिए जाति-आधारित आरक्षण भाग 69% है और तमिलनाडु की करीब 87% जनसंख्या पर यह लागू होता है



यह एक तथ्य है कि दुनिया में सबसे ज्यदा चुने जाने वाले आईआईएम (IIMs) में से भारत में शीर्ष के बहुत सारे स्नातकोत्तर और स्नातक संस्थानों जैसे आईआईटी (IITs) हैं, यह बहुत चौंकानेवाली बात नहीं है कि उन संस्थानों के लिए ज्यादातर प्रवेशिका परीक्षा के स्तर पर ही आरक्षण के मानदंड के लिए आवेदन पर ही किया जाता है. आरक्षित श्रेणियों के लिए कुछ मापदंड में छूट दे दी जाती है, जबकि कुछ अन्य पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं. इनके उदाहरण इस प्रकार हैं:
  1. आरक्षित सीटों के लिए उच्च विद्यालय के न्यूनतम अंक के मापदंड पर छूट दिया जाता है.
  2. आयु
  3. शुल्क, छात्रावास में कमरे के किराए आदि पर.
हालांकि यह ध्यान रखना जरूरी है कि किसी संस्थान से स्नातक करने के लिए आवश्यक मापदंड में छूट कभी नहीं दी जाती, यद्यपि कुछ संस्थानों में इन छात्रों की विशेष जरूरत को पूरा करने के लिए बहुत ज्यादातर कार्यक्रमों के भार (जैसा कि आईआईटी (IIT) में किसी के लिए) को कम कर देते हैं.


ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

तमिलनाडु में आरक्षण व्यवस्था शेष भारत से बहुत अलग है; ऐसा आरक्षण के स्वरूप के कारण नहीं, ‍बल्कि इसके इतिहास के कारण है. मई 2006 में जब पहली बार आरक्षण का जबरदस्त विरोध नई दिल्ली में हुआ, तब चेन्नई में इसके विपरीत एकदम विषम शांति देखी गयी थी. बाद में, आरक्षण विरोधी लॉबी को दिल्ली में तरजीह प्राप्त हुई, चेन्नई की शांत गली में आरक्षण की मांग करते हुए विरोध देखा गया. चेन्नई में डॉक्टर्स एसोसिएशन फॉर सोशल इक्विलिटी (डीएएसई (DASE)) समेत सभी डॉक्टर केंद्रीय सरकार द्वारा चलाये जानेवाले उच्च शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण की मांग पर अपना समर्थन जाताने में सबसे आगे रहे



आरक्षण समर्थकों द्वारा प्रस्तुत तर्क

  • आरक्षण भारत में एक राजनीतिक आवश्यकता है क्योंकि मतदान की विशाल जनसंख्या का प्रभावशाली वर्ग आरक्षण को स्वयं के लिए लाभप्रद के रूप में देखता है. सभी सरकारें आरक्षण को बनाए रखने और/या बढाने का समर्थन करती हैं. आरक्षण कानूनी और बाध्यकारी हैं. गुर्जर आंदोलनों (राजस्थान, 2007-2008) ने दिखाया कि भारत में शांति स्थापना के लिए आरक्षण का बढ़ता जाना आवश्यक है.
  • हालांकि आरक्षण योजनाएं शिक्षा की गुणवत्ता को कम करती हैं लेकिन फिर भी अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया, ब्राजील आदि अनेक देशों में सकारात्मक कार्रवाई योजनाएं काम कर रही हैं. हार्वर्ड विश्वविद्याल में हुए शोध के अनुसार सकारात्मक कार्रवाई योजनाएं सुविधाहीन लोगों के लिए लाभप्रद साबित हुई हैं.[22] अध्ययनों के अनुसार गोरों की तुलना में कम परीक्षण अंक और ग्रेड लेकर विशिष्ट संस्थानों में प्रवेश करने वाले कालों ने स्नातक के बाद उल्लेखनीय सफलता हासिल की. अपने गोरे सहपाठियों की तुलना में उन्होंने समान श्रेणी में उन्नत डिग्री अर्जित की हैं. यहां तक कि वे एक ही संस्थाओं से कानून, व्यापार और औषधि में व्यावसायिक डिग्री प्राप्त करने में गोरों की तुलना में जरा अधिक होनहार रहे हैं. वे नागरिक और सामुदायिक गतिविधियों में अपने गोरे सहपाठियों से अधिक सक्रिय हुए हैं.[23]
  • हालांकि आरक्षण योजनाओं से शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आई है लेकिन विकास करने में और विश्व के प्रमुख उद्योगों में शीर्ष पदों आसीन होने में, अगर सबको नहीं भी तो कमजोर और/या कम प्रतिनिधित्व वाले समुदायों के अनेक लोगों को सकारात्मक कार्रवाई से मदद मिली है. (तमिलनाडु पर अनुभाग देखें) शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण एकमात्र समाधान नहीं है, यह सिर्फ कई समाधानों में से एक है. आरक्षण कम प्रतिनिधित्व जाति समूहों का अब तक का प्रतिनिधित्व बढ़ाने वाला एक साधन है और इस तरह परिसर में विविधता में वृद्धि करता है.
  • हालांकि आरक्षण योजनाएं शिक्षा की गुणवत्ता को कमजोर करती हैं, लेकिन फिर भी हाशिये में पड़े और वंचितों को सामाजिक न्याय प्रदान करने के हमारे कर्तव्य और उनके मानवीय अधिकार के लिए उनकी आवश्यकता है. आरक्षण वास्तव में हाशिये पर पड़े लोगों को सफल जीवन जीने में मदद करेगा, इस तरह भारत में, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी व्यापक स्तर पर जाति-आधारित भेदभाव को ख़त्म करेगा. (लगभग 60% भारतीय आबादी गांवों में रहती है)
  • आरक्षण-विरोधियों ने प्रतिभा पलायन और आरक्षण के बीच भारी घाल-मेल कर दिया है. प्रतिभा पलायन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार बड़ी तेजी से अधिक अमीर बनने की "इच्छा" है. अगर हम मान भी लें कि आरक्षण उस कारण का एक अंश हो सकता है, तो लोगों को यह समझना चाहिए कि पलायन एक ऐसी अवधारणा है, जो राष्ट्रवाद के बिना अर्थहीन है और जो अपने आपमें मानव जाति से अलगाववाद है. अगर लोग आरक्षण के बारे में शिकायत करते हुए देश छोड़ देते हैं, तो उनमें पर्याप्त राष्ट्रवाद नहीं है और उन पर प्रतिभा पलायन लागू नहीं होता है.
  • आरक्षण-विरोधियों के बीच प्रतिभावादिता (meritrocracy) और योग्यता की चिंता है. लेकिन प्रतिभावादिता समानता के बिना अर्थहीन है. पहले सभी लोगों को समान स्तर पर लाया जाना चाहिए, योग्यता की परवाह किए बिना, चाहे एक हिस्से को ऊपर उठाया जाय या अन्य हिस्से को पदावनत किया जाय. उसके बाद, हम योग्यता के बारे में बात कर सकते हैं. आरक्षण या "प्रतिभावादिता" की कमी से अगड़ों को कभी भी पीछे जाते नहीं पाया गया. आरक्षण ने केवल "अगड़ों के और अधिक अमीर बनने और पिछड़ों के और अधिक गरीब होते जाने" की प्रक्रिया को धीमा किया है. चीन में, लोग जन्म से ही बराबर होते हैं. जापान में, हर कोई बहुत अधित योग्य है, तो एक योग्य व्यक्ति अपने काम को तेजी से निपटाता है और श्रमिक काम के लिए आता है जिसके लिए उन्हें अधिक भुगतान किया जाता है. इसलिए अगड़ों को कम से कम इस बात के लिए खुश होना चाहिए कि वे जीवन भर सफेदपोश नागरिक हुआ करते हैं.

आरक्षण-विरोधियों के तर्क

  • जाति आधारित आरक्षण संविधान द्वारा परिकल्पित सामाजिक विचार के एक कारक के रूप में समाज में जाति की भावना को कमजोर करने के बजाय उसे बनाये रखता है. आरक्षण संकीर्ण राजनीतिक उद्देश्य की प्राप्ति का एक साधन है.
  • कोटा आवंटन भेदभाव का एक रूप है, जो कि समानता के अधिकार के विपरीत है.
  • आरक्षण ने चुनावों को जातियों को एक-दूसरे के खिलाफ बदला लेने के गर्त में डाल दिया है और इसने भारतीय समाज को विखंडित कर रखा है. चुनाव जीतने में अपने लिए लाभप्रद देखते हुए समूहों को आरक्षण देना और दंगे की धमकी देना भ्रष्टाचार है और यह राजनीतिक संकल्प की कमी है. यह आरक्षण के पक्ष में कोई तर्क नहीं है.
  • आरक्षण की नीति एक व्यापक सामाजिक या राजनीतिक परीक्षण का विषय कभी नहीं रही. अन्य समूहों को आरक्षण देने से पहले, पूरी नीति की ठीक से जांच करने की जरूरत है, और लगभग 60 वर्षों में इसके लाभ का अनुमान लगाया जाना जरूरी है.
  • शहरी संस्थानों में आरक्षण नहीं, बल्कि भारत का 60% जो कि ग्रामीण है उसे स्कूलों, स्वास्थ्य सेवा और ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है.
  • "अगड़ी जातियों" के गरीब लोगों को पिछड़ी जाति के अमीर लोगों से अधिक कोई भी सामाजिक या आर्थिक सुविधा प्राप्त नहीं है. वास्तव में परंपरागत रूप से ब्राह्मण गरीब हुआ करते हैं.
  • आरक्षण के विचार का समर्थन करते समय अनेक लोग मंडल आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हैं. आयोग मंडल के अनुसार, भारतीयों की 52% आबादी ओबीसी श्रेणी की है, जबकि राष्ट्रीय सर्वेक्षण नमूना 1999-2000 के अनुसार, यह आंकड़ा सिर्फ 36% है (मुस्लिम ओबीसी को हटाकर 32%).[24]
  • सरकार की इस नीति के कारण पहले से ही प्रतिभा पलायन [13] में वृद्धि हुई है और आगे यह और अधिक बढ़ सकती है. पूर्व स्नातक और स्नातक उच्च शिक्षा के लिए विश्वविद्यालयों का रुख करेंगे.
  • अमेरिकी शोध पर आधारित आरक्षण-समर्थक तर्क प्रासंगिक नहीं हैं क्योंकि अमेरिकी सकारात्मक कार्रवाई में कोटा या आरक्षण शामिल नहीं है. सुनिश्चित कोटा या आरक्षण संयुक्त राज्य अमेरिका में अवैध हैं. वास्तव में, यहां तक कि कुछ उम्मीदवारों का पक्ष लेने वाली अंक प्रणाली को भी असंवैधानिक करार दिया गया था.[25]. इसके अलावा, सकारात्मक कार्रवाई कैलिफोर्निया, वाशिंगटन, मिशिगन, नेब्रास्का और कनेक्टिकट में अनिवार्य रूप से प्रतिबंधित है[26]. "सकारात्मक कार्रवाई" शब्दों का उपयोग भारतीय व्यवस्था को छिपाने के लिए किया जाता है जबकि दोनों व्यवस्थाओं के बीच बड़ा फर्क है.
  • आधुनिक भारतीय शहरों में व्यापारों के सबसे अधिक अवसर उन लोगों के पास हैं जो ऊंची जातियों के नहीं हैं. किसी शहर में उच्च जाति का होने का कोई फायदा नहीं है.

अन्य उल्लेखनीय सुझाव

समस्या का समाधान खोजने के लिए नीति में परिवर्तन के सुझाव निम्नलिखित हैं.
सच्चर समिति के सुझाव
  • सच्चर समिति जिसने भारतीय मुसलमानों के पिछड़ेपन का अध्ययन किया है, ने असली पिछड़े और जरूरतमंद लोगों की पहचान के लिए निम्नलिखित योजना की सिफारिश की है.[14]
योग्यता के आधार पर अंक: 60
घरेलू आय पर आधारित (जाति पर ध्यान दिए बिना) अंक : 13
जिला (ग्रामीण/शहरी और क्षेत्र) जहां व्यक्ति ने अध्ययन किया, पर आधारित अंक : 13
पारिवारिक व्यवसाय और जाति के आधार पर अंक : 14
कुल अंक : 100
सच्चर समिति ने बताया कि शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग हिंदुओं की उपस्थिति उनकी आबादी के लगभग बराबर/आसपास है.[27]. भारतीय मानव संसाधन मंत्री ने भारतीय मुसलमानों पर सच्चर समिति की सिफारिशों के अध्ययन के लिए तुरंत एक समिति नियुक्त कर दी, लेकिन किसी भी अन्य सुझाव पर टिप्पणी नहीं की. इस नुस्खे में जो विसंगति पायी गयी है वो यह कि प्रथम श्रेणी के प्रवेश/नियुक्ति से इंकार की स्थिति भी पैदा हो सकती है, जो कि स्पष्ट रूप से स्वाभाविक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है.
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज के सुझाव
  • यह सुझाव दिया गया है कि यद्यपि भारतीय समाज में काम से बहिष्करण में जाति एक महत्वपूर्ण कारक है; लेकिन लिंग, आर्थिक स्थिति, भौगोलिक असमानताएं और किस तरह की स्कूली शिक्षा प्राप्त हुई; जैसे अन्य कारकों को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता हैं. उदाहरण के लिए, किसी गांव या नगर निगम के स्कूल में पढ़नेवाला बच्चा समाज में उनके समान दर्जा प्राप्त नहीं करता है जिसने अभिजात्य पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की है, भले ही वह किसी भी जाति का हो. कुछ शिक्षाविदों का कहना है कि सकारात्मक कार्रवाई की बेहतर प्रणाली यह हो सकती है कि जो समाज में काम में बहिष्करण के सभी कारकों पर ध्यान दे, जो किसी व्यक्ति की प्रतिस्पर्धी क्षमताओं को प्रतिबंधित करते हैं. इस संबंध में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल द्वारा मल्टीपल इंडेक्स अफर्मटिव एक्शन [एमआईआरएए (MIRAA)] प्रणाली (यहां देखें: http://www.sabrang.com/cc/archive/2006/june06/report3.html) के रूप में और सेंटर फॉर द स्टडी डेवलपिंग सोसाइटीज [सीएसडीएस (CSDS)] के डॉ. योगेंद्र यादव और डॉ. सतीश देशपांडे द्वारा उल्लेखनीय योगदान किया गया है.
अन्य द्वारा दिये गये सुझाव
  • आरक्षण का निर्णय उद्देश्य के आधार पर लिया जाना चाहिए.
  • प्राथमिक (और माध्यमिक) शिक्षा पर यथोचित महत्व दिया जाना चाहिए ताकि उच्च शिक्षा संस्थानों में और कार्यस्थलों में अपेक्षाकृत कम प्रतिनिधित्व करनेवाले समूह स्वाभाविक प्रतियोगी बन जाएं.
  • प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थानों (जैसे आईआईटी (IITs)) में सीटों की संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए.
  • आरक्षण समाप्त करने के लिए सरकार को दीर्घकालीन योजना की घोषणा करनी चाहिए.
  • जाति व्यवस्था के उन्मूलन के लिए सरकार को बड़े पैमाने पर[28] अंतर्जातीय विवाह[29] को बढ़ावा देना चाहिए, जैसा कि तमिलनाडु द्वारा शुरू किया गया.[30]
ऐसा इस कारण है क्योंकि जाति व्यवस्था की बुनियादी परिभाषिक विशेषता सगोत्रीय विवाह है. ऐसा सुझाव दिया गया है कि अंतर्जातीय विवाह से पैदा हुए बच्चों को आरक्षण प्रदान किया जाना समाज में जाति व्यवस्था को कमजोर करने का एक अचूक तरीका होगा.
  • जाति आधारित आरक्षण के बजाए आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण होना चाहिए (लेकिन मध्यम वर्ग जो वेतनभोगी हैं, को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा और सभी जमींदार तथा दिग्गज व्यापारी वर्ग इसका लाभ उठा सकते हैं)
  • वे लोग, जो करदाता हैं या करदाताओं के बच्चों को आरक्षण का पात्र नहीं होना चाहिए. इससे यह सुनिश्चित होता है कि इसका लाभ गरीबों में गरीबतम तक पहुंचे और इससे भारत को सामाजिक न्याय प्राप्त होगा जाएगा. इसका विरोध करनेवाले लोगों का कहना है कि यह लोगों को कर भुगतान न करने के लिए प्रोत्साहित करेगा और यह उनके साथ अन्याय होगा जो ईमानदारी से टैक्स भुगतान करते हैं.
  • आईटी (IT) का उपयोग करना सरकार को जातिगत आबादी, शिक्षा योग्यता, व्यावसायिक उपलब्धियों, संपत्ति आदि का नवीनतम आंकड़ा इकट्ठा करना होगा और इस सूचना को राष्ट्र के सामने पेश करना होगा. अंत में यह देखने के लिए कि इस मुद्दे पर लोग क्या चाहते हैं, जनमत संग्रह करना होगा. लोगों क्या चाहते हैं, इस पर अगर महत्वपूर्ण मतभेद (जैसा कि हम इस विकि में देख सकते हैं) हो तो सरकार हो सकती है विभिन्न जातियों को अपने शैक्षिक संस्थानों चल रहा है और किसी भी सरकार के हस्तक्षेप के बिना रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के द्वारा अपने ही समुदाय की देखभाल कर रहे हैं.


हिन्दू वर्ण (जाति) व्यवस्था (Caste system in India)


हिन्दू वर्ण (जाति) व्यवस्था



वर्ण व्यवस्था हिन्दू धर्म में प्राचीन काल से चले आ रहे सामाजिक गठन का अंग है, जिसमें विभिन्न समुदायों के लोगों का काम निर्धारित होता था । इन लोगों की संतानों के कार्य भी इन्हीं पर निर्भर करते थे तथा विभिन्न प्रकार के कार्यों के अनुसार बने ऐसे समुदायों को जाति या वर्ण कहा जाता था । प्राचीन भारतीय समाज ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र वर्णों में विभाजित था । ब्राह्मणों का कार्य शास्त्र अध्ययन, वेदपाठ तथा यज्ञ कराना होता था जबकि क्षत्रिय युद्ध तथा राज्य के कार्यों के उत्तरदायी थे । वैश्यों का काम व्यापार तथा शूद्रों का काम सेवा प्रदान करना होता था । प्राचीन काल में यह सब संतुलित था तथा सामाजिक संगठन की दक्षता बढ़ानो के काम आता था। पर कालान्तर में ऊँच-नीच के भेदभाव तथा आर्थिक स्थिति बदलने के कारण इससे विभिन्न वर्णों के बीच दूरिया बढ़ीं । आज आरक्षण के कारण विभिन्न वर्णों के बीच अलग सा रिश्ता बनता जा रहा है । कहा जाता है कि हिटलर भारतीय वर्ण व्यवस्था से बहुत प्रभावित हुआ था । भारतीय उपमहाद्वीप के कई अन्य धर्म तथा सम्प्रदाय भी इसका पालन आंशिक या पूर्ण रूप से करते हैं । इनमें सिक्ख, इस्लाम तथा इसाई धर्म का नाम उल्लेखनीय है ।
==चार वर्ण == वास्तव में चार वर्ण मनुष्य जाति का मूलभूत स्वभाव है, ज्योतिष में भी इसके लक्षण मिलते हैं और श्री मदभगवत गीता में भी। वे इस प्रकार है- १-युद्धलोलुप- लड्ने को अक्सर अमादा- क्षत्रिय २-ग्यानलोलुप- विद्याएं सीखने को इच्छुक- किताबी कीडा-ब्राम्हण ३-धनलोलुप- अत्यंत लोभी, ठग,- हमेशा ९९ को १०० करने के चक्कर में- बनिया या वैश्य ४-बेपरवाह, मस्तमौला जीव- कल की फिक्र नहीं,मेहनत करो और खाओपियो मौजकरो-शूद्र। दुर्भाग्य से इन स्वभावों को कुटिल लोगों ने जाति में बदल कर अपने को श्रेष्ठ घोषित कर दिया, यानि ब्राम्हण, और लोगों को धर्म, भगवान के नाम पर ठग ठग कर उनकी कमाई पर ऍश करने लगे।यहीं से धर्म में विकृति आने लगी, क्योंकि धर्म शास्त्र की मनमानि व्याख्या अपने स्वार्थ सिद्धी के लिये इन्होनें की। ब्रम्हभोज को ब्राम्हणभोज में बदल दिया।

अनुक्रम

क्षत्रिय

क्षत्रियोँ का काम राज्य के शासन तथा सुरक्षा का था । क्षत्रिय युद्ध में लड़ते थे ।क्षत्रिय लोग बल,बुद्दि और विद्या तीनोँ मेँ पराँगत होते हैँ। भारत की मुख्य क्षत्रिय जातियां है:
मराठा . राजपूत,सैनी, जाट , डोगरा ,गोरखा ,मीणा , पाटील आदि।

ब्राह्मण

शिक्षा देना, यज्ञ करना-कराना, वेद पाठ, मन्त्रोच्चारण, क्रियाकर्म तथा विविध संस्कार कराना जैसे कार्य ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित किये जाते थे। मन्दिरों की देखभाल तथा देवताओं की उपासना करने तथा करवाने का दायित्व भी उन्हीं के पास है । मंदिरों में वेदों के ज्ञान के अतिरिक्त नृत्य तथा संतीत का भी प्रचलन था । भारत के विभिन्न भागों में विभिन्न उपनामों से जाने जाते हैं । द्विवेदी, दूबे, त्रिवेदी, चतुर्वेदी, पाण्डेय, शर्मा तथा झा जैसे नाम क्षेत्र के अनुसार बदलते हैं ।

वैश्य

वे वर्ग जिसे व्यापार का काम सौपा गया था वो इस जाति मेँ आते हैँ ।उनके नाम के आगे अग्रवाल,गुप्ता,जैसवाल, खंडेलवाल,poddarआदि लगा होता है।

शूद्र

ये विभिन्न कार्यों को करने के लिए जिम्मेवार थे जैसे कृषि, पशुपालन(यादव), ,मालि,लौहकार,बढई(लकड़ी का काम),डोम(नाले कि सफाई करने वाले),nai,dhobhi,teli,kahar,dhimar,khatik इत्यादि ।

उत्पत्ति

वर्णों कि उत्पत्ति के दो मान्य सिद्धन्त हैं।

धार्मिक उत्पत्ति

धर्म के अनुसार श्रिष्टी के बनने के समय मानवों को उत्पत्त करते समय ब्रह्मा जी के विभिन्न अंगों से उत्पन्न होने के कारण कई वर्ण बन गये।

खंडन

उपरोक्त कल्पित विचार का खंडन भगवान बुद्ध ने अपने जीवन काल में हे कर दिया था | दिघ निकाय के आगण सुत्त के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद जब जीवो को क्रमिक विकास हुआ और उनमे तृष्णा लोभी अभिमान जेसे भावो का जन्म हुआ तो उन प्रारंभिक सत्वो में विभिन्न प्रकार की विकृतिया और आयु में क्रमश: कमी होने लगी | इसके बाद वे लोग चोरी जेसे कर्मो में प्रवृत्त होने लगे और पकडे जाने पर क्षमा याचना पर छोड़ दिए जाने लगे किन्तु लगातार चोर कर्म करने के कारण सभी जन समुदाय परेशां होकर एक सम्म्नानीय व्यक्ति के पास गए और बोले तुम यहाँ अनुशासन की स्थापना करो उचित और अनुचित का निर्णय करो हम तुम्हे अपने अन्न में से हिस्सा देंगे उस व्यक्ति ने यह मान लिया | चूँकि वह सर्व जन द्वारा सम्मत था इसलिए महा सम्मत नाम से प्रसिंद्ध , लोगो के क्षेत्रो (खेतों) का रक्षक था इसलिए क्षत्रिय हुआ और जनता का रंजन करने के कारण राजा कहलाया | उन सर्व प्रथम व्यक्ति को आज मनु कहा जाता हे जिसके आचार विचार पर चलने वाले मनुष्य कहलाये | इस प्रकार क्षत्रिय वर्ण की उत्पत्ति प्रजतात्त्रिक तरीके से जनता द्वारा रजा चुनने के कारण हुई | यह वर्ण का निर्णय धर्म (निति) के आधार पर हुआ न की किसी देविय सत्ताके कारण | इसी प्रकार ब्राहमण वेश्य और शुद्र वर्ग की उत्पत्तिभी अपने उस समय के कर्मो के अनुसार हुई 

इतिहासकारों के अनुसार उत्पत्ति

भारतवर्ष में प्राचीन हिंदू वर्ण व्यचस्था में लोगों को उनके द्वारा किये जाने वाले कार्य के अनुसार अलग-अलग वर्गों में रखा गया था।
  • पूजा-पाठ व अध्ययन-अध्यापन आदि कार्यो को करने वाले ब्राह्मण
  • शासन-व्यवस्था तथा युद्ध कार्यों में संलग्न वर्ग क्षत्रिय
  • व्यापार आदि कार्यों को करने वाले वैश्य
  • श्रमकार्य व अन्य वर्गों के लिए सेवा करने वाले 'शूद्र कहे जाते थे। यह ध्यान रखने योग्य है कि वैदिक काल की प्राचीन व्यवस्था में जाति वंशानुगत नहीं होता था लेकिन गुप्तकाल के आते-आते आनुवंसिक आधार पर लोगों के वर्ण तय होने लगे। परस्पर श्रेष्ठता के भाव के चलते नई-नई जातियों की रचना होने लगी। यहाँ तक कि श्रेष्ठ समझे जाने वाले ब्राह्मणों ने भी अपने अंदर दर्जनों वर्गीकरण कर डाला। अन्य वर्ण के लोगों ने इसका अनुसरण किया और जातियों की संख्या हजारों में पहुँच गयी।
वैदिक काल में वर्ण-व्यवस्था जन्म-आधारित न होकर कर्म आधारित थी|

आरक्षण और वर्तमान स्थिति

उन्नीसवीं तथा बीसवी सदी में भी जाति व्यवस्था कायम है नीच जाति वालोँ को आरक्षण के नाम पर उनकी नीचता उन्हे याद दिलाई जा रही है।आरक्षण जहाँ पिछड़ी जातियोँ को अवसर दे रहा है वही वे उन्हे ये अहसास भी याद करवाता है कि वे उपेक्षित हैँ। महात्मा गांधी, भीमराव अंबेदकर जैसे लोगों ने भारतीय वर्ण व्यवस्था की कुरीतियों को समाप्त करने की कोशिश की । कई लोगों ने जाति प्रथा को समाप्त करने की बात की । पिछली कई सदियों से "उच्च जाति" कहे जाने वाले लोगों की श्रेष्ठता का आधार उनके कर्म का मानक होने लगा । ब्राह्मण बिना कुछ किये भी लोगों से उपर नहीं समझे जान लगे । भारतीय संविधान में जाति के आधार पर अवसर में भेदभाव करने पर रोक लगा दी गई । पिछली कई सदियों से पिछड़ी रही कई जातियों के उत्थान के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई । यह कहा गया कि १० सालों में धीरे धीरे आरक्षण हटा लिया जाएगा, पर राजनैतिक तथा कार्यपालिक कारणों से ऐसा नहीं हो पाया ।
धारे धीरे पिछड़े वर्गों की स्थिति में तो सुधार आया पर तथाकथित उच्च वर्ग के लोगों को लगने लगा कि दलितों के आरक्षण के कारण उनके अवसर कम हो रहे हैं । इस समय तक जातिवाद भारतीय राजनीति तथा सामाजिक जीवन से जुड़ गया । अब भी कई राजनैतिक दल तथा नेता जातिवाद के कारण चुनाव जीतते हैं । आज आरक्षण को बढ़ाने की कवायद तथा उसका विरोध जारी है । जाति स्ब एक् ह्वे कोइ हीन् नही ह्वे सब मनुष ह्वे।

क्षेत्रीय विविधता

दलितों को लेकर विभिन्न लोगों में मतभेद हैं । कुछ जातियां किसी एक राज्य मे पिछड़े वर्ग की श्रेणी में आती हैं तो दूसरे में नहीं इसके कारण आरक्षण जैसे विषयों पर बहुत अन्यमनस्कता की स्थिति बनी हुई है। कई लोग दलितों की परिभाषा को जाति के आधार पर न बनाकर आर्थिक स्थिति के आधार पर बनाने के पक्ष में हैं

UPTET- मांगों के समर्थन में 29 जुलाई को लखनऊ में विधानसभा के समक्ष शांतिपूर्ण क्रमिक अनशन किया जाएगा।

UPTET- मांगों के समर्थन में 29 जुलाई को लखनऊ में विधानसभा के समक्ष शांतिपूर्ण क्रमिक अनशन किया जाएगा।

हिंदू को मुसलमान बनाने का सीधा प्रसारण

हिंदू को मुसलमान बनाने का सीधा प्रसारण
पाकिस्तान के एक चैनल ने पार की सारी हदेंइंतेहा:जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली : टेलीविजन से दर्शकों को चिपकाए रखने के लिए रियलिटी शो के नाम पर घरेलू झगड़े से लेकर सेलिब्रिटी की शादी दिखाने और यहां तक कि कम से कम कपड़ों में समाचार पढ़ने के प्रयोग पूरी दुनिया में किए जा रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान में जो हुआ है वह तो इंतेहा है। वहां एक रियलिटी शो में हिंदू लड़के को इस्लाम धर्म स्वीकार करते हुए दिखाया गया। इस पर पाकिस्तान के मीडिया जगत में वाजिब और तीखी प्रतिक्रिया हुई है। इस तरह की घटनाओं से वहां के अल्पसंख्यकों को साफ संदेश देने की कोशिश की गई है कि इस्लाम के अलावा और किसी धर्म को सांस लेने की इजाजत नहीं है।सुनील नाम के इस हिंदू किशोर को मुफ्ती मुहम्मद अकमल की निगरानी में एआरवाई डिजिटल चैनल के स्पेशल रमजान लाइव शो में इस्लाम धर्म स्वीकार करते दिखाया गया। यह शो मंगलवार को प्रसारित किया गया था। माया खान ने इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया। बकौल सुनील, अंसार बर्नी के एनजीओ के लिए काम करने के दौरान उसने धर्म परिवर्तन का फैसला किया था। उस पर कोई दबाव नहीं है। धर्म बदलने के बाद उसका नाम मुहम्मद अब्दुल्ला कर दिया गया।हिंदू नेताओं ने इस घटना पर चिंता जताई है। उनका मानना है कि इससे दूसरे हिंदुओं पर इस्लाम स्वीकार करने का दबाव बढ़ेगा। लाहौर के हिंदू सुधार सभा के अमरनाथ रंधावा ने कहा, 'हमारे समुदाय में निराशा का माहौल है।' इस शो को लेकर सोशल बेवसाइटों पर भी चर्चा का दौर चल पड़ा है। अखबारों ने भी ऐसे शो का विरोध किया है। इस टीवी शो को गैरबाजिब करार देते हुए अखबार 'द डॉन' ने इस बात पर अफसोस जताया है कि टीवी चैनलों की गला काट प्रतिस्पर्धा में अब 'धर्म' भी जुड़ गया है। मुनाफा कमाने के लिए जिस तरह से नैतिकता को ताक पर रखा गया है, वह चिंताजनक है। अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा है कि दर्शकों को हरदम कुछ नया और अलग देने के चक्कर में चैनल यह भी भूल गया कि इसका अल्संख्यकों में क्या संदेश जाएगा और पाकिस्तान की बाहरी मुल्कों में क्या छवि बनेगी। धर्म परिवर्तन के इस सीधे प्रसारण के बाद जाहिर की गई खुशी और मुबारकबाद के संदेशों ने यह जता दिया कि पाकिस्तान में दूसरे धर्मो को वह हैसियत नहीं है जो इस्लाम की है। पहले से ही दोयम दर्जे के नागरिक का जीवन बिता रहे हिंदू एवं दूसरे अल्पसंख्यक और भी हाशिये पर चले जाएंगे। ऐसा लगता है कि पाकिस्तानी मीडिया अपनी जिम्मेदारी भूल गया है। उत्तेजना फैलाने वाली सामग्री के प्रसारण से पहले यह नहीं सोचा जा रहा है कि इसका नतीजा क्या होगा? आम लोगों में इसका क्या संदेश जाएगा?'6मीडिया में इस कार्यक्रम की तीखी आलोचनाहिंदू नेताओं ने इस घटना पर चिंता जताई
 
Source- Jagran
28-7-2012

UPTET NEWS- टीईटी मैरिट बने शिक्षक भर्ती का आधार

टीईटी मैरिट बने शिक्षक भर्ती का आधार


टीईटी मैरिट बने शिक्षक भर्ती का आधार
मैनपुरी: टीईटी यानि शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की नगर के कलक्ट्रेट स्थित तिकोनियां पार्क में हुई बैठक में में अभ्यर्थियों ने एक स्वर में मैरिट को ही अध्यापक चयन प्रक्रिया का आधार बनाने की मांग की। इसके लिए एडीएम को ज्ञापन भी सौंपा।
बैठक में जितेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि सपा सरकार अपने को ग्रामीण गरीब और पिछड़ों की सरकार कहती है वही उनके बच्चों को आगे बढ़ने से रोकती है। प्रदेश सरकार बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा से वंचित रखना चाहती है ताकि ग्रामीणों और गरीबों के बच्चे पढ़ लिखकर योग्य नागरिक न बन सकें, यही कारण है कि सरकार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में टीईटी मैरिट को शिक्षक चयन का आधार नहीं बना रही है।
जबकि उपेन्द्र यादव ने कहा कि विधान सभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि वह भ्रष्ट और बेईमानों को बढ़ावा नहीं देंगे तो फिर शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में परिवर्तन कर वह शिक्षा माफियाओं को बढ़ावा देने का काम क्यों कर रहे हैं।
कायम सिंह यादव ने कहा सरकार यदि टीईटी मैरिट पर शिक्षक भर्ती नहीं करती है तो वह सड़क से लेकर न्यायालय की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। बैठक में त्रिभुवन नारायण, गोविंद शरन, यशलोक कुमार सिंह, राजेश कुमार, उपेन्द्र कुमार, दुष्यंत यादव, संजय माथुर, कमलेश तिवारी, अवनीश यादव, प्रभाकर पांडेय, सर्वेश कुमार यादव मनोज कुमार, सुरजीत यादव, शैलेन्द्र कुमार, रवि प्रताप सिंह, ऋषि कुमार, अनिल कुमार, विजय कुमार आदि मौजूद थे।

Source- Jagran
27-7-2012

UPTET NEWS- टीईटी मेरिट के आधार पर हो नियुक्ति : वर्मा

टीईटी मेरिट के आधार पर हो नियुक्ति : वर्मा


अंबेडकरनगर : टीईटी संघर्ष मोर्चा के जिलाध्यक्ष अनिल कुमार वर्मा ने कहा कि टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की नियुक्ति टीईटी मेरिट के आधार पर होनी चाहिए। प्रदेश सरकार इसके इतर नियुक्ति की नीति बना रही है जो न्यायोचित नहीं है। इसका हर मोर्च पर विरोध किया जाएगा। वर्मा शुक्रवार को कलेक्ट्रेट के समीप मोर्चा की बैठक को संबोधित कर रहे थे।
जिलाध्यक्ष ने कहा कि हाईस्कूल, इंटर व स्नातक में 50 प्रतिशत अंक वाले छात्र आईएएस, पीसीएस हो सकते हैं तो प्राथमिक विद्यालयों में परीक्षा के आधार पर सहायक शिक्षकों की नियुक्ति क्यों नहीं हो सकती। कोषाध्यक्ष देंवेंद्र ने कहा कि राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के चलते ही टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया जा रहा है। इसके विरोध के लिए टीईटी छात्र एकजुट हैं। इस दौरान बताया गया कि मांगों के समर्थन में 29 जुलाई को लखनऊ में विधानसभा के समक्ष शांतिपूर्ण क्रमिक अनशन किया जाएगा। इसमें जिले से बड़ी संख्या में टीईटी अभ्यर्थी शामिल होंगे। बैठक में संतोष प्रजापति, राम बदन यादव, शिवेंद्र विक्रम सिंह, जगरुपन मौर्य, अनोखेराम वर्मा, जितेंद्र मौर्य, शिवकुमार पाठक, रिजवान अहमद, डॉ. नितिन त्रिपाठी व जगदंबा शर्मा समेत अन्य टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी मौजूद थे।

Source- Jagran
27-7-2012

Friday 27 July 2012

UPTET- 2011 कराने हेतु जारी शाशनादेश





72825 शिक्षको की भर्ती के लिए 29/30-11-2011 को निकाला गया विज्ञापन राज्य सरकार की अध्यापक सेवा नियमावली के नियम के अनुरूप है इस लिए यह विज्ञापन कोर्ट में रद्द नहीं होगा और भर्ती पुराने विज्ञापन से ही होगी ।

टेट मेरिट  के लिए कोर्ट का आदेश 

 9. So far as making of qualifying examination basis of selection is
concerned, it is always permissible to the rules framing authority to
determine the criteria for selection which may base on the merits of the

candidate possessed in various academic qualifications or qualifying

test or any other criteria which may otherwise be valid and once it is so

determined, unless it can be said that the same amendment in the rule
is contrary to any statutory provision or otherwise ultra vires or
vitiated in law, the same cannot be interfered.
10. In the result, writ petition lacks merit. Dismissed.
Dt. 12.12.2011
PS
हिंदी अनुवाद -
नियम बनाने वाले प्राधिकारी(सरकार ) को यह अधिकार है कि वह  चयन का आधार तय कर सके  वह आधार विभिन्न शैक्षिक  मेरिट, अहर्ता परीक्षा और कोई  अन्य मानदंड हो मान्य हो सकता है और यह एक बार तय हो चुका है

UPTET NEWS- अगली शैक्षिक पात्रता परीक्षा छह माह के भीतर

अगली शैक्षिक पात्रता परीक्षा छह माह के भीतर


-टीईटी को अर्हकारी परीक्षा बनाने के लिए शासनादेश जारी
-बढ़ेगी बीएड अभ्यर्थियों के चयन के लिए निर्धारित तिथि
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए बीते वर्ष आयोजित अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी)-2011 को अर्हकारी परीक्षा बनाने के मंत्रिपरिषद के निर्णय पर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को शासनादेश जारी कर दिया। इसमें छह महीने के भीतर अध्यापक पात्रता परीक्षा-2012 आयोजित करने का निर्देश भी है।
आदेश में कहा गया है कि अध्यापक पात्रता परीक्षा अर्हकारी ही रहेगी। साथ ही निर्देश दिया कि भारत सरकार की ओर से बीएड अभ्यर्थियों के चयन के लिए पूर्व निर्धारित 1 जनवरी 2012 की तिथि 31 मार्च 2015 तक बढ़ाने का निर्णय यथा शीघ्र कराया जाए। टीईटी के साथ ही केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से ली गई पात्रता परीक्षा को भी नियमों में संशोधन कर अर्हकारी मान लिया जाए।
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए बारहवें संशोधन के पूर्व शैक्षणिक योग्यता के आधार पर वेटेज की व्यवस्था को बहाल किया जाए और छह माह के विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण हेतु चयनित बीएड कालेजों को अधिकृत किया जाए। जांच में अभ्यर्थियों का नाम अनियमितता में आने पर चयन रद कर दिया जाएगा।

Source- Jagran
26-7-2012

Thursday 26 July 2012

UPTET- टीईटी अभ्यर्थियों को झटका

टीईटी अभ्यर्थियों को झटका


मधुबन (मऊ) : महीनों की कड़ी माथापच्ची के बाद आखिरकार टीईटी भर्ती के संबंध में राज्य सरकार का फैसला आ ही गया। नई घोषणा के अनुसार अब टीईटी चयन का आधार हाईस्कूल, इण्टर और बीए में आवेदकों द्वारा प्राप्त अंकों के आधार पर बनने वाली मेरिट सूची होगी। हां इसके लिए टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा।
टीईटी भर्ती के लिये पिछली सरकार द्वारा जारी विज्ञापन को निरस्त करके नये सिरे से विज्ञापन जारी करने का नई सरकार ने निर्णय लिया है। यानी चयन के लिये अब सफल अभ्यर्थियों को फिर से आवेदन करना होगा। इस प्रकार पिछले विज्ञापन के आधार पर आवेदन के रूप में हजारों रुपये खर्च कर चुके छात्रों का पैसा पानी में चला जायेगा। ज्ञात हो कि आवेदन के लिये पिछली बार एक अभ्यर्थी को पांच सौ रुपये की डीडी जमा करना था। इतना ही नहीं कई जिले से आवेदन करने पर दूसरे अलग जिले के साथ अलग से पांच सौ का डीडी जमा करना था। यानी यदि कोई पांच जिलों में आवेदन करता है तो उसके डीडी के रूप में 2500 रुपये खर्च हो गए। नौकरी पानी की चाह में तो कई छात्र दस से बारह जिलों में आवेदन कर चुके थे। इस प्रकार उनके पांच से छ: हजार की एक मोटी रकम खर्च हो गई। फोटो स्टेट कापी एवं अन्य सामग्री के खर्च अलग। अब जबकि सब कुछ नए सिरे से होनी है तो आवेदकों द्वारा खर्च किए गए इन पैसों का क्या होगा। इस बात को लेकर आवेदकों में काफी रोष है। दुबारी के संतोष शर्मा, ममता शर्मा, रमेश सिंह, हरिकेश यादव, राजेश यादव, जितेन्द्र कुमार, गजियापुर के मनोज यादव, मनोज उपाध्याय, दरगाह के अजय शर्मा, सतीश गुप्ता, लियाकत अली जैसे दर्जनों सफल अभ्यर्थियों का मानना है कि पिछले विज्ञापन को निरस्त करके नये सिरे से विज्ञापन जारी करने का सरकार का फैसला सरासर हम लोगों के साथ धोखा है। या तो सरकार डीडी के रूप में जमा किये गये पैसे को वापस करे या पुराने विज्ञापन के आधार पर चयन हो।

Source- Jagran
25-7-2012

Wednesday 25 July 2012

UPTET- टीईटी पास करके भी नहीं बन सकेंगे टीचर







TET passed can not become a teacher in government school
राज्य सरकार ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2011 पर भले ही निर्णय कर लिया हो पर केवल उच्च प्राथमिक के लिए टीईटी पास करने वाले सरकारी स्कूलों में शिक्षक नहीं बन पाएंगे। सरकार ने इन्हें केवल सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षक बनने के लिए पात्र माना है। इससे इन अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में भी लटक सकता है। वजह साफ है, क्योंकि सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों की भर्ती स्कूल प्रबंधन और बेसिक शिक्षा अधिकारी की साठगांठ से होता है। इन स्कूलों में भर्ती के लिए विज्ञापन भी एक साथ न निकल कर एक-एक स्कूलों का निकलता है।

कैरियर के कई विकल्प

प्रदेश में कक्षा आठ तक के स्कूलों में शिक्षक पद पर भर्ती के लिए अध्यापक पात्रता परीक्षा अनिवार्य है। टीईटी दो स्तर पर आयोजित की गई थी। इसमें प्राथमिक और उच्च प्राथमिक। प्राथमिक कक्षाओं के लिए 2,92,913 अभ्यर्थियों और उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए 2,64,928 अभ्यर्थियों ने परीक्षा उत्तीर्ण की है। टीईटी के आयोजन के समय यह बात आई थी सरकारी उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान, गणित और अंग्रेजी विषय के शिक्षकों की सीधी भर्ती की जाएगी, लेकिन राज्य सरकार ने अब निर्णय किया है कि उच्च प्राथमिक स्तर के जिन अभ्यर्थियों ने टीईटी उत्तीर्ण की है, वे केवल सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए पात्र होंगे।

यूपी में बेसिक शिक्षा परिषद से सहायता प्राप्त करीब 3700 जूनियर हाईस्कूल हैं। प्रत्येक स्कूलों में छात्रसंख्या के आधार पर पद स्वीकृत किए गए हैं। इसके आधार पर अधिकतम स्कूलों में प्रधानाध्यापक को मिलाकर करीब 5 शिक्षक होते हैं। सहायता प्राप्त स्कूलों में पद रिक्त होते ही स्कूल प्रबंधक बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में प्रस्ताव भेजकर उस पर नियुक्ति कर लेता है। कहा तो यहां तक जाता है कि इन स्कूलों में भर्ती के लिए विज्ञापन ऐसे अखबारों में दिया जाता है, जो बाजार में कम दिखता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि स्कूल प्रबंधन अपने हिसाब से शिक्षकों को रख सके। 

Source- Amar Ujala
25-7-2012

UPTET NEWS- 72825 टीईटी शिक्षकों की भर्ती पर विशेष

प्रिय पाठकों आज शिक्षक भर्ती  प्रक्रिया जिस मोड़ पर खड़ी है उससे हमारे देश की भ्रष्ट राजनीति और बदले की भावना साफ़ उजागर होती है । दोस्तों इस भर्ती को लटकाने और चुनाव प्रचार में सीएम द्वारा किये गए वादे (भर्ती एकेडेमिक पर होगी) को पूरा करने के लिए सरकार  द्वारा बीच में भर्ती  प्रक्रिया बदलने की मंशा जतायी गयी है ।
कितना मजबूत है सरकार का पक्ष ?
यह मामला कोर्ट में पहले ही लंबित है और कोर्ट ने सरकार से सिर्फ टीईटी में  धांधली पर हलफनामा माँगा है न कि प्रक्रिया का आधार बदलने पर।
आइये जरा अब कोर्ट में 6-8-12 को होने वाले सवाल-जबाब पर नजर डालते है
कोर्ट- हलफनामा दाखिल कीजिये।
सरकार- सर हम भर्ती  का आधार बदलना चाहते है।
कोर्ट- हलफनामा आधार बदलने का नही टीईटी की सुचिता का दाखिल करना है और आप आधार क्यों बदलना चाहते है?
सरकार- सर हलफनामा टीईटी की सुचिता और आधार बदलने का है । टीईटी में धांधली हुई है इस लिए हम आधार बदलना चाहते है।
कोर्ट- धांधली हुई है तो टीईटी निरस्त कीजिये।
सरकार - इतनी नहीं हुई है कि  इसे निरस्त किया जा सके।
कोर्ट- आधार बदलने से धांधली शून्य हो जाएगी क्या?
सरकार - आधार बदलने से भर्ती प्रक्रिया पर इसका असर शून्य होगा ।
कोर्ट-   कानून के अनुसार टीईटी 100% सही या 100% गलत होगी।
सरकार - टीईटी मेरिट  का आधार बनाना एनसीटीई के विपरीत है।
कोर्ट-  टीईटी मेरिट से भर्ती एनसीटीई गाइड लाइन  के कतई  विपरीत नहीं है।(अधिक जानकारी के लिए नीचे link पर click करे )
http://uptetbreakingnews.blogspot.in/2012/02/tet-merit-can-be-base-of-prt-selection.html 

http://uptetbreakingnews.blogspot.in/2012/02/high-court-decision-favour-to-tet-merit.html 
सरका -  चुप।
कोर्ट- खेल शुरु होने के बाद खेल के बीच में उसके नियमो में बदलाव बिना किसी ठोस कारण के नहीं किया जा सकता यह कानूनन गलत है इसलिए भर्ती  प्रक्रिया का आधार बीच में नहीं बदला जा सकता है।  अदालत भर्ती से स्टे हटाकर भर्ती को शुरु करने का आदेश देती है और यह भी आदेश देती है कि टीईटी की जांच में दोषी पाए  गए लोगो को इस भर्ती से अलग रखा जाये ।

UPTET NEWS
 
 

Tuesday 24 July 2012

टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने फूंका सीएम का पुतला

टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने फूंका सीएम का पुतला


जौनपुर : टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने मंगलवार को मारुति मंदिर टीडी कालेज पर बैठक की। इस बैठक में प्रदेश सरकार के निर्णय की जमकर आलोचना की। कहा कि यदि शैक्षिक योग्यता ही शिक्षक बनने का मूलाधार है तो परीक्षा की उपयोगिता ही क्या है। बैठक के बाद आक्रोशित अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री का पुतला फूंका।
वक्ताओं ने बैठक में कहा कि यदि शैक्षणिक मेरिट के आधार पर भर्ती की जाती है तो अयोग्य, अपात्र लोगों को ही मौका मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार हमेशा नकल को बढ़ावा देने का कार्य करती रही है। आज भी उसी आधार पर नियुक्ति करना चाहती है। इससे सरकार की अदूरदर्शिता झलक रही है। मेरिट को भर्ती का मूलाधार बनाना अन्यायपूर्ण है। अयोग्य लोग नौकरी करेंगे और योग्य पैदल सड़क पर टहलेंगे। बैठक की अध्यक्षता अजित यादव ने की।
इस मौके पर संजय सिंह, राजेश यादव, आनन्द निषाद, धनंजय तिवारी, देवेन्द्र कुमार, सत्य कांत त्रिपाठी, डा.रजी अहमद, अरुण तिवारी, हृदय नरायन यादव, आनन्द मौर्य आदि उपस्थित थे।

UPTET- टीईटी को पात्रता परीक्षा का दर्जा


UPTET- टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने फूंका सीएम का पुतला

टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने फूंका सीएम का पुतला


जौनपुर : टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने मंगलवार को मारुति मंदिर टीडी कालेज पर बैठक की। इस बैठक में प्रदेश सरकार के निर्णय की जमकर आलोचना की। कहा कि यदि शैक्षिक योग्यता ही शिक्षक बनने का मूलाधार है तो परीक्षा की उपयोगिता ही क्या है। बैठक के बाद आक्रोशित अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री का पुतला फूंका।
वक्ताओं ने बैठक में कहा कि यदि शैक्षणिक मेरिट के आधार पर भर्ती की जाती है तो अयोग्य, अपात्र लोगों को ही मौका मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार हमेशा नकल को बढ़ावा देने का कार्य करती रही है। आज भी उसी आधार पर नियुक्ति करना चाहती है। इससे सरकार की अदूरदर्शिता झलक रही है। मेरिट को भर्ती का मूलाधार बनाना अन्यायपूर्ण है। अयोग्य लोग नौकरी करेंगे और योग्य पैदल सड़क पर टहलेंगे। बैठक की अध्यक्षता अजित यादव ने की।
इस मौके पर संजय सिंह, राजेश यादव, आनन्द निषाद, धनंजय तिवारी, देवेन्द्र कुमार, सत्य कांत त्रिपाठी, डा.रजी अहमद, अरुण तिवारी, हृदय नरायन यादव, आनन्द मौर्य आदि उपस्थित थे।

Source- Jagran
24-7-2012

UPTET- टीईटी संघर्ष मोर्चा ने फूंका सीएम का पुतला

टीईटी संघर्ष मोर्चा ने फूंका सीएम का पुतला

  
टीईटी संघर्ष मोर्चा ने फूंका सीएम का पुतला
आजमगढ़: राज्य सरकार द्वारा प्राथमिक अध्यापक नियुक्ति प्रक्रिया को शैक्षिक मेरिट के आधार पर कराने के निर्णय का टीईटी उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा ने विरोध करते हुए मंगलवार को कलेक्ट्रेट चौराहे पर मुख्यमंत्री का प्रतीकात्मक पुतला फूंका।
इस दौरान अभ्यर्थियों ने कहा कि सरकार का यह फैसला कहीं से भी ठीक नहीं है। उनकी मांग थी कि सरकार टीईटी मेरिट के आधार पर नियुक्ति करे लेकिन सरकार ने ऐसा किया नहीं। अभ्यर्थियों ने यह भी कहा कि शैक्षिक आधार पर मेरिट बनाने का कोई औचित्य नहीं है। अध्यापक पात्रता परीक्षा ही काफी थी। किस बेस पर सरकार शैक्षिक मेरिट के आधार पर नियुक्ति की बात कर रही है, इसे स्पष्ट करना चाहिए। यदि सरकार ने अपने निर्णय को वापस नहीं लिया तो संघर्ष मोर्चा के सभी सदस्य वृहद आंदोलन छेड़ने के लिए बाध्य होंगे और इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। इस दौरान आजाद यादव, सुरेश सरोज, उमेश वर्मा, सुशील गौतम, सत्यप्रकाश, रवींद्र यादव, हृदय नारायण सिंह, सुबेदार यादव, रामकेवल, अरविंद, हेमंत पांडेय, योगेंद्र यादव, पंकज, बृजभूषण, सुरेश यादव, ब्रजराज यादव, शिवचंद विश्वकर्मा आदि उपस्थित थे।

Source- Jagran
24-7-2012

UPTET- टीईटी अभ्यर्थियों ने किया प्रदर्शन


टीईटी अभ्यर्थियों ने किया प्रदर्शन


टीईटी अभ्यर्थियों ने किया प्रदर्शन
बिजनौर: प्राइमरी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया टीईटी मेरिट के आधार पर कराए जाने की मांग को लेकर टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया। बाद में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को दिया गया।
टीईटी एसोसिएशन के कार्यकर्ताओं की बैठक सोमवार सुबह एजाज अली पार्क में हुई। जिलाध्यक्ष धर्मेद्र सिंह ने कहा कि टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थी भर्ती के हकदार है, लेकिन सरकार प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में टाल मटोल कर रही है। प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती टीईटी मेरीट के आधार पर की जानी चाहिए। कहा कि कुछ बेईमान अभ्यर्थियों की सजा बेगुनाहों को नहीं दी जानी चाहिए। टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की शीघ्र भर्ती नहीं की गई तो वह न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लडे़ंगे। बैठक के बाद एसोसिएशन के सदस्य जुलूस की शक्ल में नारेबाजी करते हुए कलक्ट्रेट पहुंचे और मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन अतिरिक्त मजिस्ट्रेट रामगोपाल को सौंपा। प्रयाग, रघुवेंद्र, सुनील चौहान, परमेंद्र चौधरी, सचिन विश्नोई, मोहित खण्डेलवाल, खुर्शीद, नदीम दीपक चौधरी, शकील, रचना, सुनीता, रमा एवं वरद चौधरी आदि शामिल रहे।

Source- Jagran
24-7-2012


UPTET- टीईटी को पात्रता परीक्षा का दर्जा

टीईटी को पात्रता परीक्षा का दर्जा
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए बीते वर्ष आयोजित की गई अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी)-2011 को कैबिनेट ने निरस्त न करते हुए उसे पात्रता परीक्षा का दर्जा देने का फैसला किया है। कैबिनेट के फैसले के बाद शिक्षकों का चयन पुरानी व्यवस्था के अनुसार हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और स्नातक स्तर पर पाये गए अंकों के आधार पर जिला स्तर पर तैयार की जाने वाली मेरिट के जरिये होगा। पात्रता परीक्षा का दर्जा मिलने की वजह से टीईटी-2011 उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवेदन कर सकेंगे। शिक्षकों के चयन की पुरानी व्यवस्था बहाल करने के लिए कैबिनेट को उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में संशोधन करना होगा। साथ ही, 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जारी केंद्रीयकृत विज्ञप्ति को निरस्त कर संशोधित नियमावली के आधार पर नये सिरे से जिला स्तर पर विज्ञप्ति जारी करनी होगी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 11 फरवरी 2011 को राज्यों को जारी दिशानिर्देश में टीईटी को पात्रता परीक्षा का दर्जा दिया था। मायावती सरकार ने 13 नवंबर को आयोजित टीईटी से महज चार दिन पहले एनसीटीई की मंशा के विपरीत टीईटी की मेरिट को ही शिक्षक चयन का आधार बनाने का फैसला किया था। इस मकसद से कैबिनेट ने उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली के नियम-14 में संशोधन किया था। विवादों व अनियमितता के घेरे में आये टीईटी-2011 के सभी पहलुओं का परीक्षण करने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। समिति ने मुख्यमंत्री को टीईटी- 2011 को पात्रता परीक्षा का दर्जा देने की सिफारिश की थी। बाद में कैबिनेट को भेजे गए प्रस्ताव में दो और विकल्प जोड़े गए थे। इनमें से एक विकल्प टीईटी की मेरिट के आधार पर ही शिक्षकों का चयन करने का तथा दूसरा बीते वर्ष आयोजित टीईटी को निरस्त कर नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने का था। कैबिनेट ने दोनों विकल्पों को खारिज कर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिश पर मुहर लगायी। कैबिनेट के इस विकल्प पर मुहर लगाने की वजह से सरकार को तत्काल टीईटी आयोजित नहीं करना होगा। जिन्होंने उच्च प्राथमिक स्तर के लिए आयोजित टीईटी उत्तीर्ण की है, वे शासकीय सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों के लिए पात्र होंगे। प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आयोजित टीईटी में 2,92,913 व उच्च प्राथमिक स्तर की परीक्षा में 2,64,928 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं।
 
Source- Jagran
24-7-2012

Monday 23 July 2012

UPTET

 Aajm khan ne kaha ki koi aisa faisla nhi kiya jayega jisase court k aades ki avhelna ho. Isase ye lagata hai ki cm tet base ko hi manyata denge. Kyoki court pahle hi tet base par niyukti ko sahi thahra chuka hai... Final nirnay humare pach me he hoga.

UPTET- अखिलेश ने पलटा मायावती का फैसला, 8 जिलों के नाम बदले

अखिलेश ने पलटा मायावती का फैसला, 8 जिलों के नाम बदले


लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश की पूर्व मायावती सरकार के एक और फैसले को पलटते हुए आज 8 जिलों के नाम बदल दिए। जिन 8 जिलों के नाम मायावती सरकार के दौरान बदले गए थे उनका पुराना नाम ही वापस किया गया है लेकिन छत्रपति साहू जी नगर का नाम गौरीगंज होगा। यह राहुल का संसदीय क्षेत्र अमेठी है। लखनऊ में आज कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया।
सरकार ने पंचशील नगर का नाम बदलकर हापुड़, ज्योतिबा फूले नगर का नाम अमरोहा, महामाया नगर का नाम हाथरस, कांशीराम नगर का नाम कासगंज, रमाबाई नगर का नाम कानपुर देहात, प्रबुद्ध नगर का नाम शामली और भीमनगर का नाम बदलकर बहजोई कर दिया है। इन जिलों में ज्यादातर के नाम पुराने ही रखे गए हैं, जिन नामों से इन जिलों को पहले भी जाना जाता था।
अखिलेश ने पलटा मायावती का फैसला, 8 जिलों के नाम बदले
कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया कि छत्रपति साहू जी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय का नाम वापस से पुराना ही होगा। इसे केजीएमयू कहा जाएगा। वहीं बैठक में फैसला लिया गया कि टीईटी परीक्षा कैंसिल नहीं होगी। इस टीईटी को सिर्फ अर्हता टेस्ट माना जाएगा। 
Source- 
23-7-2012

UPTET NEWS- कैबिनेट की मीटिंग में टीईटी की मेरिट से शिक्षको की भर्ती पर मुहर लगने के आसार - सूत्र

कैबिनेट की मीटिंग में टीईटी की मेरिट  से शिक्षको की भर्ती पर मुहर लगने के आसार - सूत्र 


सीएम खुद रख सकते है टीईटी मेरिट से चयन  का प्रस्ताव- सूत्र 

UPTET NEWS

UPTET- कैबिनेट की बैठक आज

कैबिनेट की बैठक आज
माया के बनाए जिलों के बदल सकते हैं नाम
•अमर उजाला ब्यूरो
लखनऊ। अखिलेश सरकार सोमवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में मायावती सरकार के कई अहम फैसले को बदल सकती है। बैठक में मायावती द्वारा पिछले साल बनाए गए तीन नए जिलाें को उनका पुराना नाम दिया जा सकता है। वहीं छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ का नाम बदल कर किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय किया जाएगा। इसके अलावा ट ीईटी के साथ रेग्यूलर स्नातक शिक्षा मित्रोंके प्रशिक्षण पर भी निर्णय लिया जा सकता है।
मायावती सरकार ने पिछले साल पश्चिमी यूपी में तीन नए जिले पंचशील नगर, प्रबुद्धनगर व भीम नगर बनाए थे। अब पंचशील नगर का नाम हापुड़, प्रबुद्धनगर का नाम शामली और भीम नगरका नाम बहजोई किए जाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा राजस्व विभाग ने ज्योतिबा फुले नगर को अमरोहा, छत्रपतिशाहूजी महाराजनगर को अमेठी, महामाया नगर को हाथरस, कांशीरामनगर को कासगंज, रमाबाई नगर को कानपुर देहात नाम दिए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की बैठक में बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक रखने के लिए योग्यता तय करने संबंधी प्रस्ताव भी रखे जाने की संभावना है।बेसिक शिक्षा विभाग ने सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए तीन विकल्प का प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें सहायक अध्यापकों की भर्ती शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) मेरिट पर करने अथवा नहीं करने की स्थिति में शैक्षिक मेरिट के आधार परभर्ती के विकल्प का प्रस्ताव है। इसके अलावा टीईटी-2011 को निरस्त कर इसके स्थान पर नए सिरे से टीईटी आयोजित कर शिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव है। कैबिनेट को इन तीन विकल्पों में से किसी एक पर निर्णय लेना है। इसके अलावा रेग्यूलर स्नातक शिक्षा मित्रों को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से दो वर्षीय ट्रेनिंग देने संबंधी प्रस्ताव रखे जाने की संभावना है।
सरकार राज्य कर्मियों को बड़ी राहत देते हुए लिवर ट्रांसप्लांट कराने की स्थिति में उसका खर्च खुद उठाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए उप्र सरकारी सेवक चिकित्सा परिचर्या नियमावली में संशोधन किया जाएगा। अभी राज्य कर्मचारियों को इलाज की सारी सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन लिवरट्रांसप्लांट की सुविधा इसमें शामिलनहीं है।
सार्वजनिक उपक्रमों और निगमों द्वारा सरकारी हथकरघा इकाईयों से उत्पादित वस्त्रों की खरीद अनिवार्यरूप से किए जाने का प्रस्ताव मंजूर हो सकता है। प्रसंस्कृत तिल निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए उप्र प्रसंस्कृत तिल निर्यात नीति को 20 दिसंबर 2017 तक बढ़ाने का प्रस्ताव भी कैबिनेट में रखा जाएगा। उप्र चिकित्सा एवं स्थास्थ्य सेवा नियमावली 2004 में संशोधन के जरिए अपर निदेशक के पद से निदेशक स्तर पर प्रोन्नति के संबंध में विधिक अर्हता में छूट दिलाई जाएगी। इसके अलावा बाढ़ से प्रभावित विस्थापित परिवारों को जमीन मुहैया कराने संबंधी प्रस्ताव को भी हरी झंडी मिल सकती हैै। स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के प्रस्ताव के तहत विकास प्राधिकरणों और सरकारी संस्थाओं के भवन व भूखंडों की रजिस्ट्री में डीएमसर्किल रेट से स्टाम्प ड्यूटी में छूट 31 दिसंबर 2012 तक दी जाएगी। यह छूट इस साल 31 मार्च को खत्म हो चुकी है

Source- Amar Ujala
23-7-2012

UPTET- टीईटी मेरिट पर चयन को अड़े अभ्यर्थी



टीईटी मेरिट पर चयन को अड़े अभ्यर्थी
ज्योतिबा फुले नगर ।
टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी टीईटी मेरिट के आधार पर ही चयन को अड़ गए हैं। टीईटी अभ्यर्थियों ने उन्होंने सरकार से टीईटी मेरिट पर ही चयन करने की मांग की है। साथ ही टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से एकजुटता का भी आह्वान किया।
रविवार को अम्बेडकर पार्क में आयोजित टीईटी उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा की बैठक में 23 जुलाई को होने वाली केबिनेट की मीटिंग में आने वाले निर्णय पर चर्चा की गई। संयोजक राजेंद्र सिंह ने टीईटी मेरिट के आधार पर ही अभ्यर्थियों का प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक के पद पर चयन किए जाने की सरकार से मांग की गई। इस दौरान सतीश कुमार ने कहा कि राज्य सरकार टीईटी को निरस्त न करे बल्कि टीईटी की मेरिट के आधार पर अभ्यर्थियों का प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक के पद पर चयन करे। सौरभ सक्सेना ने कहा कि यदि सरकार टीईटी की मेरिट के अतिरिक्त कोई निर्णय लेती है तो सरकार के निर्णय के विरूद्ध टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। बैठक में मनोज गौतम, चेतन स्वरूप, पंकज कुमार, विश्वकांत, गोविंद कुमार, नीरज सैनी, मनोज कुमार, अनवर हुसैन, अनीस अहमद, सलीमुद्दीन, विपिन कुमार, जावेद अख्तर, रजनीश कुमार, अशोक कुमार, राजवीर सिंह, कर्मवीर सिंह, सुखवीर सिंह, विवेक कुमार आदि मौजूद रहे।

Source- Jagran
23-7-2012

UPTET- टीईटी पर कैबिनेट की होगी अग्निपरीक्षा


- सुझाये गए तीनों विकल्प के हैं अपने-अपने गुण-दोष
लखनऊ, जाब्यू : बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए पिछले साल आयोजित की गई अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के बारे में फैसला करना कैबिनेट के लिए आसान न होगा। सत्तारूढ़ होने के साथ ही सपा सरकार के गले की हड्डी बनी इस परीक्षा के बारे में निर्णय करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने कैबिनेट को भेजे गए प्रस्ताव में तीन विकल्प सुझाये हैं। कैबिनेट की कश्मकश इसलिए भी होगी कि तीनों विकल्प के अपने गुण-दोष हैं।
यदि पहले विकल्प के तौर पर कैबिनेट गत वर्ष आयोजित टीईटी की मेरिट को ही चयन का आधार बनाने का फैसला करती है तो इससे अनियमितता और भ्रष्टाचार में संलिप्त कई अभ्यर्थी शिक्षक नियुक्त हो जाएंगे। यह उन योग्य और मेधावी अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा जो अनियमितता के कारण चयनित न हो सके। यदि कैबिनेट इस विकल्प पर मुहर लगाती है तो संदेश यह जाएगा कि सरकार ने भ्रष्टाचार को आत्मसात किया है। इससे शासन को अदालत में फजीहत का सामना करना पड़ सकता है। यदि कैबिनेट टीईटी 2011 को शिक्षक चयन का आधार न बनाने पर रजामंद होती है तो कई ऐसे अभ्यर्थी जो भ्रष्टाचार में शामिल नहीं थे लेकिन टीईटी में अच्छे अंक हासिल करने के कारण चुने जाते, वे अदालत की शरण में जा सकते हैं। टीईटी को चयन का आधार न बनाने पर शासन को उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में संशोधन करना पड़ेगा। साथ ही 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नवंबर 2011 में जारी की गई केंद्रीयकृत विज्ञप्ति को रद कर नये सिरे से जिला स्तर पर विज्ञप्ति जारी करनी होगी।
यदि दूसरे विकल्प के तौर पर कैबिनेट मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिश को मानते हुए टीईटी को अर्हताकारी परीक्षा का दर्जा देने और शिक्षकों का चयन पहले की तरह उनकी शैक्षिक योग्यता के आधार पर करने पर सहमत होती है तो इससे चयन प्रक्रिया पर भ्रष्टाचार का प्रभाव न के बराबर रह जाएगा। ऐसा करने से शासन को तुरंत टीईटी आयोजित करने की जहमत से भी निजात मिलेगी। टीईटी को अर्हताकारी परीक्षा बनाने की स्थिति में शासन को बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में संशोधन करना होगी। संशोधित नियमावली के आधार पर पुरानी विज्ञप्ति को निरस्त कर जिला स्तर पर फिर से विज्ञप्ति जारी करनी होगी। हालांकि बीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों को शिक्षक नियुक्त करने के लिए एक जनवरी 2012 तक के लिए निर्धारित की गई समयसीमा को एनसीटीई से अनुरोध करके आगे बढ़वाना होगा। टीईटी को पात्रता परीक्षा घोषित करने पर इस बात की संभावना भी है कि परीक्षा में ऊंची मेरिट हासिल करने वाले ऐसे अभ्यर्थी जो अनियमितता में शामिल न हों, वे अदालत का दरवाजा खटखटायें। हालांकि परीक्षा उत्तीर्ण करने के कारण ऐसे अभ्यर्थी अर्ह माने जाएंगे।
वहीं तीसरे विकल्प के तौर पर यदि टीईटी को निरस्त कर फिर से परीक्षा करायी जाती है तो अनियमितता में संलिप्त अभ्यर्थियों के चयन की गुंजायश खत्म हो जाएगी। इस विकल्प पर अमल करने का एक नतीजा यह होगा कि जो अभ्यर्थी गत वर्ष आयोजित टीईटी की अनियमितता में शामिल नहीं थे लेकिन परीक्षा उत्तीर्ण करने पर जिनको अर्हता प्रमाणपत्र उपलब्ध कराये जा चुके हैं, वे हतोत्साहित होंगे। इसके अलावा, नये सिरे से टीईटी आयोजित करने पर शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने में और देर लगेगी। परीक्षा को निरस्त करने की स्थिति में अभ्यर्थियों को आयु सीमा में छूट देने के साथ पिछले साल की परीक्षा के लिए नि:शुल्क आवेदन पत्र जमा करने वाले अभ्यर्थियों को परीक्षा शुल्क फिर से माफ करना होगा।

Source- Jagran
22-7-2012