SHIKSHAMITRA - शिक्षामित्रों के लिए अनिवार्य नहीं होगी टीईटी : वसीम
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री वसीम अहमद ने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों को पूर्ण शिक्षक का दर्जा देगी। शिक्षकों की कमी से निपटने के लिए सूबे में शीघ्र 73 हजार शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। साथ ही प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके शिक्षामित्रों को भी बिना टीईटी अनिवार्य किये ही समायोजित किया जाएगा।
अहमद सोमवार को पीडब्लूडी डाक बंगले में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षकों के हितों को लेकर गंभीर है। बशर्ते शिक्षक समय से हर रोज स्कूल जाएं और निष्ठापूर्वक शिक्षण कार्य करें। बच्चों के पठन-पाठन में लापरवाही ठीक नहीं है। सपा सरकार चुनाव पूर्व किए अपने वादे रोटी-कपड़ा सस्ती होगी, दवा-पढ़ाई मुफ्ती होगी को लागू कर रही है, ताकि जनता को इसका सीधा लाभ मिले। पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पुष्टाहार यदि बेचा जा रहा है तो यह गंभीर मामला है ऐसा करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि गत दिनों लखनऊ में आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया था कि पुष्टाहार बांटने से पूर्व मुनादी कराई जाए, ताकि अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें। अधिकारियों को प्रत्येक जनपदों में इसके क्रियान्वयन का सख्त निर्देश दिया गया था। जिस जनपद में इसका अनुपालन नहीं हो रहा है वहां के संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
Source - Jagran
5-11-2012
बीस साल बाद फिर बनेगी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति
राजकेश्वर सिंह, नई दिल्ली
बीस साल बाद देश की शिक्षा नीति फिर बदलेगी। ‘नॉलेज इकोनॉमी’ में भारत को विश्व हब बनाने का सपना देख रही सरकार अब नई चुनौतियों के मद्देनजर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाएगी। सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों के मद्देनजर नई शिक्षा नीति दुनिया के एक्सीलेंस के मापदंडों के लिहाज से होगी।
देश की नई शिक्षा नीति कैसी हो? उसकी दशा और दिशा तय करने के लिए सरकार ने शिक्षा आयोग का गठन कर दिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में बीते दिनों हुए फेरबदल में मानव संसाधन विकास मंत्रलय का प्रभार कपिल सिब्बल से भले ही छिन गया हो, लेकिन फेरबदल से पहले इस आयोग के गठन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मुहर लगवाने में वह कामयाब रहे। नेशनल रिसर्च प्रोफेसर आंद्रे ब्रेते 15 सदस्यीय इस आयोग के चेयरमैन होंगे। आयोग दो साल के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को देगा। इससे पहले 1966, 1986 और 1992 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव किया गया था। सूत्रों के मुताबिक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति कई बदलावों को अंजाम देगी। मौजूदा जरूरतों और वैश्विक चुनौतियों के लिहाज से शिक्षा नीति बनाने के क्रम में समावेशी के साथ ही गुणवत्ता में तेजी से सुधार के उपायों पर फोकस होगा। आयोग अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े, अल्पसंख्यकों और लड़कियों की शिक्षा की रफ्तार बढ़ाने की राह भी सुझाएगा।
इतना ही नहीं, विकेंद्रीकरण के मद्देजर संवैधानिक प्रावधानों के तहत प्राइमरी, माध्यमिक, व्यावसायिक शिक्षा और साक्षरता केंद्रों को चलाने में शहरी निकायों व पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका फिर से तय की जाएगी। नैतिक व संवैधानिक मूल्य शिक्षा का अभिन्न हिस्सा कैसे बने? आयोग उसका उपाय तो सुझाएगा ही, साथ ही उच्च शिक्षा में जवाबदेही के साथ स्वायत्तता को बढ़ावा देने के नीतिगत व वैधानिक रास्ते भी बताएगा। विश्वविद्यालयों से कॉलेजों की संबद्धता के पुराने ढांचे में बदलाव भी होगा। नई नीति में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कामगारों को रोजगार पर खास फोकस के मद्देनजर स्कूली शिक्षा को उच्च शिक्षा से जोड़ने, प्रोफेशनल एजुकेशन, वोकेशनल (व्यावसायिक) शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट और विश्वविद्यालयी शिक्षा में तारतम्य स्थापित करने पर जोर होगा।
मौजूदा जरूरतों, चुनौतियों व ग्लोबल स्टैंडर्ड ऑफ एक्सीलेंस पर आधारित होगी नई नीति
बीस साल बाद देश की शिक्षा नीति फिर बदलेगी। ‘नॉलेज इकोनॉमी’ में भारत को विश्व हब बनाने का सपना देख रही सरकार अब नई चुनौतियों के मद्देनजर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाएगी। सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों के मद्देनजर नई शिक्षा नीति दुनिया के एक्सीलेंस के मापदंडों के लिहाज से होगी।
देश की नई शिक्षा नीति कैसी हो? उसकी दशा और दिशा तय करने के लिए सरकार ने शिक्षा आयोग का गठन कर दिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में बीते दिनों हुए फेरबदल में मानव संसाधन विकास मंत्रलय का प्रभार कपिल सिब्बल से भले ही छिन गया हो, लेकिन फेरबदल से पहले इस आयोग के गठन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मुहर लगवाने में वह कामयाब रहे। नेशनल रिसर्च प्रोफेसर आंद्रे ब्रेते 15 सदस्यीय इस आयोग के चेयरमैन होंगे। आयोग दो साल के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को देगा। इससे पहले 1966, 1986 और 1992 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव किया गया था। सूत्रों के मुताबिक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति कई बदलावों को अंजाम देगी। मौजूदा जरूरतों और वैश्विक चुनौतियों के लिहाज से शिक्षा नीति बनाने के क्रम में समावेशी के साथ ही गुणवत्ता में तेजी से सुधार के उपायों पर फोकस होगा। आयोग अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े, अल्पसंख्यकों और लड़कियों की शिक्षा की रफ्तार बढ़ाने की राह भी सुझाएगा।
इतना ही नहीं, विकेंद्रीकरण के मद्देजर संवैधानिक प्रावधानों के तहत प्राइमरी, माध्यमिक, व्यावसायिक शिक्षा और साक्षरता केंद्रों को चलाने में शहरी निकायों व पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका फिर से तय की जाएगी। नैतिक व संवैधानिक मूल्य शिक्षा का अभिन्न हिस्सा कैसे बने? आयोग उसका उपाय तो सुझाएगा ही, साथ ही उच्च शिक्षा में जवाबदेही के साथ स्वायत्तता को बढ़ावा देने के नीतिगत व वैधानिक रास्ते भी बताएगा। विश्वविद्यालयों से कॉलेजों की संबद्धता के पुराने ढांचे में बदलाव भी होगा। नई नीति में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कामगारों को रोजगार पर खास फोकस के मद्देनजर स्कूली शिक्षा को उच्च शिक्षा से जोड़ने, प्रोफेशनल एजुकेशन, वोकेशनल (व्यावसायिक) शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट और विश्वविद्यालयी शिक्षा में तारतम्य स्थापित करने पर जोर होगा।
मौजूदा जरूरतों, चुनौतियों व ग्लोबल स्टैंडर्ड ऑफ एक्सीलेंस पर आधारित होगी नई नीति
Source - Jagran
6-11-2012
1 comment:
Akhir sm ko chot kyu?
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