सहारनपुर:टीईटी के साख्यिकी आंकड़ों का अभी तक खुलासा नहीं किया गया जो कई शंकाओं का जन्म दे रहा है।
प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा गत 13 नवंबर को मंडल स्तर पर टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) कराई गई थी। रिजल्ट 25 नवंबर को घोषित करने के बाद परिषद ने आज तक इसके सांख्यिकी आंकड़े जारी नहीं किए हैं। सूत्रों का कहना है कि आंकड़े जारी न करने के पीछे कोई बड़ा खेल हो सकता है। फरवरी में सामने आए घोटाले में तत्कालीन निदेशक माध्यमिक शिक्षा संजय मोहन को गिरफ्तार किया गया था। चुनाव बाद प्रदेश में सपा सरकार आने के साथ ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि अब टीईटी गड्ढे में चली जायेगी। हालांकि सरकार की ओर से प्रक्रिया को रद्द न करने के संकेत दिए गए हैं।
सांख्यिकी आंकड़ों से परहेज
माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा 25 नवंबर को घोषित रिजल्ट के मुताबिक प्राथमिक परीक्षा में 5 लाख 94 हजार 53 अभ्यर्थियों में से 2 लाख 70 हजार 806 तथा उच्च प्राथमिक परीक्षा में 5 लाख 19 हजार 665 में से 2 लाख 9 हजार 789 अभ्यर्थी सफल हुए थे। बाद में रिजल्ट में संशोधन का दौर चला और इसके बाद उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की संख्या में आंशिक परिवर्तन हुआ।
आंकड़ों से बड़ा उलटफेर
टीईटी प्रक्रिया के जानकार सूत्रों के मुताबिक सांख्यिकी आंकड़े जारी न करने के पीछे कई पेंच हैं। बताते हैं कि सामान्य, अन्य पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति/जनजाति के अभ्यर्थियों में कुछ वर्ग ऐसे हैं जो अपनी कैटेगिरी के रिक्त पदों के सापेक्ष परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो सके हैं। अभ्यर्थियों का आंकड़ा शिक्षक भर्त्ती प्रक्रि या के अनुकूल नहीं है जो पूरे गणित को गड़बड़ा रहा है। सूत्रों का कहना है कि परीक्षा संस्था द्वारा आमतौर पर परीक्षा व रिजल्ट के सांख्यिकी आंकड़े जारी किए जाते हैं। लेकिन टीईटी में ऐसा न किया जाना नई शंकाओं को जन्म दे रहा है।
इन्होंने कहा...
टीईटी की परीक्षा बोर्ड ने कराया था, उसी ने रिजल्ट जारी किया, इसलिए वह संख्या उन्हीं के पास हो सकती है। मंडल स्तर पर इस विषय में कोई जानकारी उपलब्ध नही है।
जेडी, मंजू सिंह, मेरठ
Source- Jagran
12-6-2012
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