INDIAN POST - डाक विभाग के पुनर्गठन के पक्ष में सिब्बल
सिब्बल ने बताया, ‘डाक विभाग को 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए खुद का पुनर्गठन करना चाहिए। विभाग को यह संभावना तलाशनी चाहिए कि डाक क्षेत्र में मंत्रालय को नियामकीय एवं परिचालनकर्ता से कैसे अलग किया जा सकता है जैसा कि दूरसंचार क्षेत्र में हुआ है।’ उन्होंने कहा कि डाक विभाग को नीति निर्माण, नियामक और सेवा प्रदाता जैसी अलग-अलग इकाइयों का गठन करने की भी संभावना तलाशनी चाहिए।
सिब्बल ने कहा, ‘अभी तक कोई निर्णय नहीं किया गया है। यह फिलहाल बहस और चर्चा का विषय है।’ वर्तमान में करीब 5 लाख कर्मचारियों के साथ काम करने वाला डाक विभाग नीति निर्माण, नियमन और डाक सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार है।
सौ साल से भी अधिक पुराना भारतीय डाकघर कानून किसी भी व्यक्ति या इकाई को वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए पत्रों की डिलीवरी करने से रोकता है। निजी कुरियर कंपनियों का कारोबार दस्तावेज, पार्सल और अन्य वस्तुओं की डिलीवरी तक सीमित है जो ‘पत्र’ के वर्ग में नहीं आते।
मंत्रालय सूत्रों ने कहा कि सिब्बल ने राष्ट्रीय डाक नीति, 2012 को अंतिम रूप देने के मुद्दे पर हाल ही में डाक विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक की और उन्हें पुनर्गठन के लिए भी रूपरेखा तैयार करने को कहा। सूत्रों ने कहा कि इस मुद्दे पर अगली बैठक एक पखवाड़े में होने की संभावना है। (एजेंसी)
Source- Zee News
29-8-2012
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