सावधान - डाक विभाग में रजिस्ट्री कराते समय सतर्क रहें :
INDIAN POST - डाक विभाग में पकड़ा गया गोलमाल, दो कर्मचारी निलंबित
हरदोई, जागरण प्रतिनिधि : डाक विभाग में एक बड़े गोलमाल का खुलासा हुआ है।मामले के खुलासे के बाद डाक अधीक्षक वीके सिंह ने दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है।
डाक अधीक्षक को खबर मिली थी कि रजिस्ट्री काउंटर पर गोलमाल किया जा रहा है। इसके बाद विभागीय इंस्पेक्टर और अन्य अधिकारियों के साथ अधीक्षक ने सोमवार को रजिस्ट्री काउंटर पर छाप मारकर 36 रजिस्ट्री जब्त की थीं। इन रजिस्ट्रियों में पोस्टल लिखा था जब कि किसी भी रजिस्ट्री में टिकट नहीं लगे थे। इनकी जांच सोमवार से ही शुरू कर दी गई थी। जांच के बाद प्रथम दृष्टया दोषी पाते हुए सहायक डाकपाल एसके मिश्रा और डाक सहायक विकेश कुमार को निलंबित कर दिया गया।
ऐसे होता था खेल
कम्प्यूटराइजेशन रजिस्ट्री की व्यवस्था होने के बाद अब दो प्रकार की रजिस्ट्रियां होती हैं, एक तो वह जिनमें डाक टिकट लगकर आता है, दूसरे वह जिनमें डाक टिकट लगा नहीं आता है। जिन रजिस्ट्री में डाक टिकट लग कर आता है, उसकी बिना रुपये लिए रसीद दे दी जाती है, इसी के साथ उस पर पोस्टल लिख दिया जाता है। जिन रजिस्ट्री में डाक टिकट नहीं लगा होता है उसमें रुपये लेकर रसीद दे दी जाती है।
सभी रजिस्ट्री पर पोस्टल लिख कर यह प्रदर्शित किया जाता था कि इनमें डाक टिकट पहले से लगे हैं और इनका भुगतान जेब में रख लिया जाता था।
जिला पंचायत राज अधिकारी को भी लिखा पत्र
पकड़ी 36 रजिस्ट्रियों में सर्वाधिक 25 जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय की मिलीं। इसके अलावा 9 सीबीएसई बोर्ड दिल्ली और दो बंगलौर के लिए थीं। डाक अधीक्षक की ओर से जिला पंचायत राज अधिकारी को पत्र लिख कर कहा गया कि जो कर्मचारी रजिस्ट्री कराने आया था क्या उसके संज्ञान में यह गोलमाल था या नहीं। यह जांच का विषय है। उन्होंने संबंधित कर्मचारी के आचरण और गतिविधियों की जांच करने को कहा है।
व्यक्तिगत तौर पर वितरित कराई गई रजिस्ट्रियां
जांच कार्य से रजिस्ट्रियों का वितरण प्रभावित न हो इसके लिए जिले की
सभी डाक संबंधित डाकपाल को बुलाकर सौंपी गई हैं। उनसे कहा गया कि रजिस्ट्री
देकर उसका लिफाफा वापस ले आएं ताकि जांच में बतौर दस्तावेज इसे प्रयोग
किया जा सके। बाहर की रजिस्ट्रियों के लिए संबंधित डाकघर को पत्र लिखा गया
कि इसका लिफाफा वापस भिजवाने की व्यवस्था करें।
Source- Jagran
29-8-2012
52 comments:
blog editor ji hindustan me news h ki 2014tak ncte ne time diya h.
शैझिक मेरिट ही बनेगी क्यो कि सपा सरकार इतनी भर्ती का श्रेय मयावती को कभी नही ले जाने देगी रही कोर्ट की बात तो अभी तक सरकार ने अपना पझ रखा ही नही है ।
maths or science ke pad kab bhare jayenge plz koi batao kya 72825 ke sath bhare jayenge
maths or science ke kitne pad hai plz vk yadav ji bataye
Hi.. frnd
Plz koi frnd bataye ye bharti kitne salo me bhari jayegi?????????????????????.
Hi.. frnd
Junior ki bharti se koi faida nahi jinka prt me hoga woh bhi junior me bharenge aur high merit walo ka selection hoga.
Tet merit se ya tet+acd se bharti hoti h to theek h warna is par 4 year ke liye stay lag jaega.
Shabir husain jee
aap kaise kah sakte hai junior ki
vaccancy se koi fayada nahi hoga
Fayada hoga
High merit student ka junior me hoga
baki ka prt me hoga
Because junior tet wala prt tet me sure pass hoga
sabhi junior me selection lena chaienge
to prt merit low ho gaygi
hoga na fayda
vk yadav ji plz btaye ki LT grade ke 1425 pd kb bhre jayenge aur iski process kya hoti hai plz sir btaye kyo ki me is wakt up me nhi hu
Tet morcha ab kanooni taur par jeet hasil karega.inshaf zindabad, aur shaitan(sp) murdabad.
Shabbir hussain you are a dupe.
Deleep g faida tab hoga jab junior ki bharti primary se pahle hon .agar baad me junior ki bharti hogi to koi faida nahi.qki tet 2012 ke aur primary ke selected bhi junior me davedar honge.
Lt grade ki vaccancy same as ggic ki tarah bharti hogi Acc base merit se
10 ka 10%
12 ka 20%
Gradu ka40%
Bed theory pract
div 1 15 15
2 10 10
3 5 5
master degree
1 15 marks
2 10
3 5
aapka bhut bhut dhanyvad dilip ji plz sir aap ye btaye ki ye kb tk aane ke chance hai
plz sir jb ye form nikle to aap msg kr dena me bat kr lunga 09509608839 plz dilip ji jrur bta dena
V k jee
my acc mrrit 245 Sc Science & tet 100 hai kya chance hai
dilip ji vaise me bi aligarh se hu khair gav ka hu lekin ab rajasthan me hu
sir is bare me kuch nhi janta me to god se bs yhi prayer krta hu ki kisi ko to naukri mile kyo ki me up me nhi rhta tet 105 acc 265 GEN SCIENCE
ye sb ho kya raha?koi to bataye.......
dilip g ye btaiye Lt grade main entrance test b hoga kya?
Hi
r prof.degree like MBA r MCA IS considered as a pg degree pls. inform at blog
pls .
in Tet most of candidates (200000)are strong in both tet and acd who wants to start this process
but 10000 Candidates are only tet supporter and even 10000 candidates are only acd supporter
so gov do some thing in fever to much number candidates 200000
In 10000 candidets 60% are belonging to dhadhli, sure.
Bahut hoshiyar बच्चा hai tu....
सब कुछ जानता है...
saying thief to anyone without proof is a cowardice act and it only please you else nobody. there is every one has right to express one's opinion freely.
anonymous (bina naam ke ) if. you have such fabulous academic record them why did you not get selection in IAS,PCS tet kyu ragad rahe ho.
one word substitution - whom parents were not assigned a name to their son called??????
Ajay shukla
Acd merit is very good
Ncte ke guidline se ye bhi ho sakta hai ki chyan me 2 ya more candidate ke acd ank saman hone pe tet ke adhar pe variyta
Ncte ke guidline se ye bhi ho sakta hai ki chyan me 2 ya more candidate ke acd ank saman hone pe tet ke adhar pe variyta
Vijay sen i can understand ur opinion ur also in this categry, isiliye ab tak nukary nhi mili.
G.m
Updated on: Fri, 31 Aug 2012 01:14 AM (IST)
पटना : सूबे में जाली रिपोर्ट कार्ड का बाजार इन दिनों काफी गर्म है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित माध्यमिक एवं प्राथमिक पात्रता परीक्षा में (टीईटी-एसटीईटी)असफल परीक्षार्थियों के कुछ गिरोहों द्वारा तैयार जाली रिजल्ट कार्ड बाजार में 80 हजार से एक लाख रुपये में बेचे जा रहे हैं। नौकरी की लालच में परीक्षार्थी इन फर्जी रिपोर्ट कार्ड की खरीदारी कर रहे हैं। कई जिलों में फर्जी रिपोर्ट कार्ड के आधार पर आवेदन भी भरे जा रहे हैं। माध्यमिक एवं प्राथमिक शिक्षक पदों के लिए 15 सितम्बर तक फार्म भरने की अवधि निर्धारित की गयी है।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा में सफल परीक्षार्थियों के लिए रिजल्ट कार्ड जारी किये गए हैं। ठीक इसी स्वरूप में असफल परीक्षार्थियों के रिजल्ट कार्ड कुछ गिरोहों द्वारा तैयार कर बाजार में धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : सूबे के वह सभी स्नातक शिक्षामित्र जिन्होंने संविदा के दौरान ही अनुमति और बगैर अनुमति के स्नातक की डिग्री हासिल की थी, को शिक्षामित्रों के दूसरे प्रशिक्षण सत्र में शामिल किया जाएगा। इनमें से बगैर अनुमति के स्नातक की डिग्री हासिल करने वालों से मानदेय की वसूली की जाएगी। यह वसूली शिक्षामित्रों के अप्रशिक्षित शिक्षक के बतौर काम करने के दौरान मिलने वाले वेतन से की जाएगी। प्रदेश के लगभग एक लाख 26 हजार स्नातक शिक्षामित्रों में से 62 हजार शिक्षामित्रों को प्रथम चरण के प्रशिक्षण सत्र में शामिल किया गया है। अब द्वितीय प्रशिक्षण सत्र में शेष शिक्षामित्रों को कुछ शर्तो के साथ शामिल किए जाने की घोषणा की गई है। यह प्रशिक्षण सत्र 70 प्रशिक्षुओं के बैच में शुरू किया जाएगा। इससे ज्यादा प्रशिक्षु होने पर 70 के अन्य बैच बनाकर प्रशिक्षण शुरू कराया जाएगा। यह प्रशिक्षण बीआरसी और नगर संसाधन केंद्र पर कराया जाएगा। प्रशिक्षण की पूरी जिम्मेदारी डायट प्राचार्य को दी गई है। प्रशिक्षण के लिए चुने जाने वाले शिक्षामित्रों का कार्यकाल संविदा शुरू होने की सबसे नजदीकी तारीख मानी जाएगी।
Jo apne jeevan k 35 year me nukary nhi pa sakta vo agle 5 year me kaun sa teer mar lega, age limit 35 year sahi hai, par ye buddhe pareshan hi rahege.
UPTET - Article By Shyam Dev Mishra on Current Situation of recruitment through UPTET
प्रशिक्षु प्राथमिक शिक्षको की भर्ती-प्रक्रिया : आजतक की वस्तुस्थिति
प्रिय मित्रों,
टी.ई.टी. संघर्ष से जुड़े तमाम विश्वसनीय साथियों (जिनमे से बहन अंजलि राय, भाई सुजीत सिंह, गणेश दीक्षित, निर्भय सिंह, राजेश प्रताप सिंह, सदानंद मिश्रा, अजय सिसोदिया, ज्ञानेश देव, अर्जुन सिंह, अमितेश पाण्डेय, आनंद तिवारी, शलभ तिवारी, विकास पाण्डेय, पीयूष चतुर्वेदी सहित अन्य महत्वपूर्ण लोग सम्मिलित हैं) द्वारा आनलाइन दी गयी जानकारी के बाद भी हमारे तमाम साथी इस बात से या तो अनभिज्ञ हैं या आशंकित कि हमारे साथ अर्थात टी.ई.टी. मेरिट के आधार पर चयन की पूर्व-निर्धारित प्रक्रिया के साथ आनेवाले दिनों में सरकार क्या खेल खेलने वाली है, बहुतों को तो ऐसा लग रहा है कि सरकार द्वारा कल बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में 13वे संशोधन के द्वारा शिक्षकों की भर्ती अकादमिक मेरिट के आधार पर करने की व्यवस्था इस 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती पर लागू होगी. अत्यंत सामान्य बुद्धि से सोचा जाये तो भी स्पष्ट है कि कोई नियम बनने की तारीख और उसके बाद प्रभावी होता है न कि पिछली किसी तारीख से.
वैसे कैबिनेट के निर्णय में जहाँ सी.टी.ई.टी. को भी अर्हता में शामिल करना इंगित करता है कि यह बदलाव या संशोधन भावी /आगामी भर्तियों को ध्यान में रखकर की गई हो सकती हैं, पर अगर सरकार यह संशोधन 72825 भर्तियों पर लागू करना चाहे तो चयन के आधार के साथ-साथ आयु सीमा में भी परिवर्तन के जैसे कदम, जो वर्तमान प्रक्रिया में अर्ह तमाम अभ्यर्थियों को बिना किसी कारण के अनर्ह करके प्रक्रिया से बाहर कर देंगे, किसी भी प्रकार कोर्ट में वैध नहीं ठहराए जा सकते. वैसे जिस प्रकार सरकार द्वारा गुप-चुप तरीके से संशोधन करके इरादतन अस्पष्ट और संक्षिप्त प्रेस-विज्ञप्ति जारी हुई और समाचार-पत्रों में आधे-अधूरे विवरण प्रकाशित हुए, उनसे अभ्यर्थियों में अटकलबाजियों का दौर शुरू हो गया है, पर इस सब से घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है क्यूंकि सरकार की मंशा अगर इन परिवर्तनों को 72825 पदों की भर्ती पर लागू करने की है भी तो उसके रास्ते में न्यायालय खडा है . वैसे टी.ई.टी. मेरिट समर्थक इस लड़ाई के लिए एकजुट और तैयार हैं और यदि किसी भी प्रकार कोर्ट इनके पक्ष में निर्णय नहीं देता, जिसकी सम्भावना कतई नहीं दिखती, तो हमारे साथी डबल बेंच से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक इस हक़ की लड़ाई को लड़ने के लिए कमर कसे बैठे हैं, जरुरत है तो इनका साथ देने की, इनका मनोबल बढ़ाने की.
फिर भी इस प्रकार की दु:शंका दूर करने के लिए और वस्तुस्थिति से अभी तक अनभिज्ञ साथियों की जानकारी के लिए फिर से दोहराना पड़ रहा है कि हमारा पूरा संगठन एकजुट होकर इस लड़ाई को लड़ रहा है और शायद पहली बार ये लग रहा है कि हम जीत के बहुत करीब हैं. यह सत्य है कि तमाम प्रयासों के बाद भी २७ अगस्त २०१२ तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चल रहे मामले में टी.ई.टी. समर्थको का अधिकृत रूप से पक्ष रखनेवाला कोई नहीं था जिसके कारण शायद जज साहब को भी टी.ई.टी. की वास्तविकता और महत्ता, एन.सी.टी.ई. द्वारा जारी इस से सम्बंधित दिशा-निर्देशों के आलोक में वर्तमान विज्ञप्ति की वैधता और सरकार-मीडिया द्वारा जान-बुझकर किये जा रहे दुष्प्रचार की सही जानकारी नहीं थी. इसी बीच 23 जुलाई को सरकार ने टी.ई.टी.-2011 को जब मात्र अर्हता परीक्षा बनाने और वर्तमान विज्ञप्ति को रद्द कर अकादमिक मेरिट के आधार पर भर्ती करने का निर्णय लिया तो हमारे साथी रत्नेश पाल, अभिषेक त्रिपाठी, नवीन कुमार और एस.के. पाठक ने अलग-अलग याचिकाओं में सरकार के इस निर्णय को चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की मांग की जिसपर माननीय वी. के. शुक्ल जी की एकल बेंच ने पूर्णतया सकारात्मक रवैया दिखाते अर्थात प्रथम दृष्टया अपील को विचार-योग्य मानकर इन्हें भी माननीय अरुण टंडन के न्यायालय में चल रहे मामले से सम्बद्ध कर दिया. गौरतलब है कि विचार के दौरान माननीय न्यायाधीश महोदय ने सरकार के रवैये को राजनैतिक नाटक की संज्ञा दी. यह सब कुछ निर्धारित योजना के अनुरूप ही हुआ.
इस प्रकार २७ अगस्त को कोर्ट में टी.ई.टी. समर्थकों का पक्ष रखने के लिए पहली बार अधिकृत रूप से शाशिनंदन जी, अशोक खरे जी, अभिषेक श्रीवास्तव एवं वी.के. सिंह आदि चार वकील मोर्चे पर डटे थे जिसका स्पष्ट फायदा भी दिखा. शायद पहली बार न्यायाधीश महोदय को इस विषय का सिलसिले-वार ब्यौरा, जिसमे एन.सी.टी.ई. द्वारा शिक्षकों के लिए योग्यता निर्धारण के दौरान टी.ई.टी. प्रारंभ करना, सरकार द्वारा नियमावली में परिवर्तन करके टी.ई.टी. को चयन का आधार बनाना, टी.ई.टी. की महता और उसके विषय में तथ्यात्मक जानकारी, टी.ई.टी. का आयोजन एवं परिणाम की घोषणा, शिक्षक भर्ती के लिए विज्ञप्ति का प्रकाशन, आवेदकों द्वारा विज्ञप्ति के आधार पर आवेदन, सरकार द्वारा तथाकथित धांधली के प्रभाव को न्यून करने के नाम पर प्रक्रिया के बीच में चयन का आधार बदलने के लिए नियमावली में परिवर्तन के मंत्री-परिषद् के निर्णय और उसपर उठाई गयी आपत्तियां आदि शामिल है, दिया गया जिसे उन्होंने गौर से सुना. वकीलों द्वारा इस स्तर तक बढ़ चुकी प्रक्रिया के बीच में चयन का आधार बदलने को न्यायसंगत न मानने की बात से भी वो सहमत प्रतीत हुए.
चूंकि सरकारी वकील ने हमारे पक्ष के वकीलों की दलीलों और उनपर कोर्ट के सकारात्मक रुख को देखते हुए मैदान छोड़ना सही मानकर स्पष्ट कर दिया था कि सरकार की ओर से हलफनामा नहीं लाए हैं, उन्होंने कोर्ट से समय माँगा जिसपर न्यायाधीश महोदय ने उन्हें अगले दिन पेश होने को कहा. इस पर सरकारी वकील ने अगले दिन यानि २८ अगस्त को इस सम्बन्ध में निर्णय के लिए अर्थात चयन का आधार बदलने के लिए नियमावली में संशोधन करने के लिए प्रस्तावित कैबिनेट की बैठक का हवाला देते हुए स्थिति स्पष्ट करने के लिए कुछ समय माँगा. हमारे वकीलों ने हस्तक्षेप करते हुए इस बात को उठाया कि इस प्रकार का किया जाने वाला संशोधन तो आगे होने वाली नियुक्तियों पर लागु हो सकता है, इस प्रक्रिया पर नहीं. न्यायाधीश महोदय ने सहमति जताते हुए सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए अगले सोमवार यानि 3 सितम्बर २०१२ कि तारीख दे दी. न्यायालय में अपनी प्रभावी पैरवी और उसपर न्यायालय का रुख हमारे लिए एक संजीवनी सा उत्साह-वर्धक साबित हुआ है. इस से इस सत्य का आभास हुआ है कि कानूनी तौर पे मजबूती के बावजूद आज की परिस्थितियों में सच को भी सच साबित करने के लिए एकजुटता, संगठन और प्रभावी प्रस्तुतीकरण जरुरी है और अब हम समय के साथ, सही रास्ते पर चल पड़े हैं और मंजिल मिलना भी तय है.
एक बात यहाँ अप्रासंगिक लग सकती है पर आप सबके साथ साझा करना चाहूँगा कि विज्ञापन के तकनीकी तौर पर रद्द होने की आशंका भी अब निराधार प्रतीत होती है. बी.एस.ए. द्वारा जिलेवार विज्ञप्ति के स्थान पर सचिव द्वारा उनकी ओर से राज्य-स्तर पर एक विज्ञप्ति के द्वारा आवेदन आमंत्रित करने को विधि-विरुद्ध बताते हुए कपिल यादव द्वारा उठाई गई आपत्ति के जवाब में सरकार की ओर से तत्कालीन सचिव, बेसिक शिक्षा, श्री अनिल संत द्वारा दाखिल हलफनामे में स्पष्ट कहा गया है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के अनुसार कोई अभ्यर्थी जिस प्रक्रिया का हिस्सा है, उसे चुनौती नहीं दे सकता. साथ ही हलफनामे में स्पष्ट रूप से यह भी कहा गया था कि यह भर्ती प्रमुख रूप से "प्रशिक्षु अध्यापकों" कि भर्ती है न कि "सहायक अध्यापकों" कि भर्ती. उन्होंने स्पष्ट किया कि कपिल यादव ने बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, १९८१ में चयन-भर्ती के लिए बी.एस.ए. द्वारा द्वारा जिलेवार विज्ञप्ति निकले जाने की जिस व्यवस्था का उल्लेख किया है, वह "सहायक अध्यापकों" के चयन के लिए लागू होती है. एक बिलकुल ही नई अवधारणा के तहत "प्रशिक्षु अध्यापक" के रूप में यह भर्ती प्रदेश में शिक्षकों की कमी पूरी करने के उद्देश्य से एन.सी.टी.ई. द्वारा दी गई विशेष अनुमति के तहत पहली बार की जा रही है, अतएव इनके चयन या भर्ती के लिए किसी पूर्व-निर्धारित किसी प्रक्रिया या नियम के होने का प्रश्न ही नहीं उठता, ऐसी स्थिति में राज्य-सरकार आवश्यक नियम और प्रक्रिया का निर्धारण एवं क्रियान्वयन करने के लिए पूर्णतया सक्षम है. अतएव वैधानिक दृष्टि से राज्य-सरकार कतई बाध्य नहीं है कि "सहायक अध्यापकों" के चयन-भर्ती के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन "प्रशिक्षु अध्यापकों" के चयन-भर्ती के लिए भी करे. इस प्रकार जहाँ तक वैधानिक रूप से विज्ञप्ति के गलत होने का प्रश्न न्यायालय में नेपथ्य में जा चुका है.
तमाम भाइयों को यह नागवार गुजर रहा है कि कोर्ट ने पहले स्टे क्यूँ नहीं हटा लिया और प्रक्रिया शुरू करने की छूट सरकार को क्यूँ नहीं दी? आप स्वयं समझ सकते हैं कि पल-पल रंग बदल रही सरकार स्टे हटने पर विज्ञप्ति के अनुसार भर्ती करने के बजाय किसी न किसी आधार पर विज्ञप्ति रद्द करके नए आधार पर मनमाने तरीके से भर्ती करती. ऐसी स्थिति में या तो आप चुपचाप बैठ कर अन्याय सहते या फिर नई प्रक्रिया के खिलाफ कोर्ट में नए सिरे से लड़ाई लड़ते, जिसमे कोई जरुरी न होता कि प्रक्रिया पर स्टे मिलता. ऐसी सूरत में आप कोर्ट में लड़ते रहते और अगर कभी जीत भी जाते तो उस समय तक वो भर्ती पूरी हो चुकी होती. ऐसे में आप कोर्ट से कहने को तो भले जीत जाते पर असलियत में आप हार चुके होते. ऐसे में बेहतर है कि सरकार कि हर वो चाल, जिसे स्टे मिलने के बाद वो कोर्ट के दायरे से मुक्त होकर चल पाती, आज कानून की निगरानी में है, उसकी न्यायिक समीक्षा के बाद कोर्ट की हरी झंडी मिलने की सूरत में ही वो क्रियान्वित हो सकती है. इसके अलावा बी.टी.सी./ वि.बी.टी.सी. वाले भाइयों के बी.एड. अभ्यर्थियों से इतर चयन प्रक्रिया और नियुक्ति का मसला भी बाकी है जिसको लेकर कोर्ट ने सरकार से तारीख-वार कार्य-योजना तलब की है. अतः आज की स्थिति में ये न्यायालय का संरक्षण ही है जो इस सरकार की मनमानी से इस प्रक्रिया को आजतक बचाए हुए है.
फेसबुक पर समय-समय पर उपयोगी जानकारी देने वाले हमारे साथी अमितेश पांडे जी, अर्जुन सिंह जी और आनंद तिवारी जी द्वारा न्यायालय में हमारे पक्ष के वकील अभिषेक श्रीवास्तव, जोकि कि बी.टी.सी. वालों के भी वकील हैं, द्वारा प्रमुख रूप से मात्र बी.टी.सी. अभ्यर्थियों के पक्ष में की गई बहस के औचित्य पर उठाये गए प्रश्नों और उनके द्वारा सभी वकीलों द्वारा एक-दुसरे के साथ मिलकर एक मजबूत मोर्चे के रूप में अपना पक्ष मजबूती से रखने की जताई गई आवश्यकता को लड़ाई के इस भाग में नज़र-अंदाज़ नहीं किया जा सकता. इस सम्बन्ध में स्वयं भाई रत्नेश पाल से २७ अगस्त (सुनवाई वाली रात) बातचीत के दौरान यह जानकर संतुष्टि हुई कि वे भी अपने साथियों की आशंकाओं से न सिर्फ अवगत और सहमत है बल्कि उन्होंने भी भाई सुजीत जी से इस सम्बन्ध में विस्तृत वार्ता की है ताकि इस लड़ाई में आपसी एकजुटता में किसी प्रकार की कमजोरी न आने पाए, हमारा कोई प्रयास हमारे ही लिए हानिकारक न हो जाये, सभी वकील एकमात्र टी.ई.टी. मेरिट से चयन की वकालत करे. उन्होंने भरोसा दिलाया है कि इस सम्बन्ध में समय रहते आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं ताकि किसी संभावित दुष्परिणाम से बचा जा सके और जीत हासिल की जा सके.
मैंने जो कुछ यहाँ लिखा है, ज्यादातर मित्रो को पहले से ही विदित होगा पर मुझे फिर से ये सब लिखने की जरुरत अपने तमाम साथियों द्वारा व्यक्त कि जा रही जिज्ञासाओं और आशंकाओं के कारण महसूस हुई है. आप में से बहुतों के लिए बासी और अनावश्यक सामग्री को प्रस्तुत करते हुए यह भी अनुरोध है कि यदि मैं भूलवश अगर कुछ गलत लिख गया होऊं या कुछ महत्वपूर्ण बात रह गयी हो तो आप इसमें जोड़ने / सुधार करने का सहयोग प्रदान करेंगे.
टी ई टी की मेरिट से भर्ती करनी चाहिये नही तो एक और भर्ती परीक्षा लेनी चाहिये और बी॰एड॰ की तरह काउन्सिलिग से भर्ती कि जाये
Dosto, kutto ko bhonkne do.inhe tukde dalkar muh mat lagao.yeh apni aukat par aakar khud bhönkna band kar denge.jise bura lage yeh usi ke liye h...mera comment .
Saare kutte chup ho jayege hathi (judge saahab) ko dahadne to do.
Bujurgo ka samman karo बच्चे nahi to nahi karoge to 2 jhapad lagauga.
Ek shyam dev mishra ne tumhari neend haram kar di socho... Hum sab kitne shyam dev hai ?
शब्दों का प्रयोग आपके व्यक्तित्व का परिचय है ।
Pls follow
thnx
Sorry sir
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