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Saturday, 22 September 2012

सरकारी बाजीगरी! तीन रुपए में ‘मिड डे मील’

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सरकारी बाजीगरी! तीन रुपए में ‘मिड डे मील’




इलाहाबाद। थाली में दाल, रोटी, सब्जी, खीर, कढ़ी और वह भी केवल तीन रुपए में। हैरान हो गए न आप! कोई भी हैरान हो सकता है लेकिन सर्व शिक्षा अभियान को इस बजट में कोई अचंभा नहीं दिखता। तभी तो प्राथमिक विद्यालयों में मिड डे मील के लिए प्रति बच्चे केवल तीन रुपए 11 पैसे की दर तय की गई है। यानी केवल तीन रुपये में दोपहर का भोजन। महंगाई का आलम यह है कि लगभग सभी जरूरी चीजों के दाम दोगुने-तीनगुने हो गए हैं। रसोई गैस, दाल, सरसो तेल, घी, मसाले की कीमतें पिछले दो महीनों में 25 फीसदी से अधिक हो गईं। आर्थिक मंदी के नाम पर पेट्रोल, डीजल से लेकर रसोई गैस और सभी चीजे महंगी करने वाली सरकार को बच्चों के भोजन के मद की फिक्र नहीं है। सभी जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ने के बाद भी मिड डे मील का बजट नहीं बढ़ा। मात्र तीन रुपए 11 पैसे में बच्चों को एक वक्त का भोजन देने का बजट किस सोच से तैयार किया गया, कैसे सरकार ने इसे पास कर दिया, समझ से परे है। हद तो यह है कि इसे पूरी तरह लागू कराने के लिए प्राथमिक शिक्षकों पर बराबर दबाव भी पड़ रहा है। शिक्षकों पर जो मेनू लागू करने का दबाव है, उसे तीन क्या 15 रुपए प्रति बच्चे की दर से भी लागू करना मुश्किल है।
अब जरा एक दिन के भोजन का मेनू देखिए। सबसे सरल मेनू। बुधवार को बच्चों को कढ़ी चावल या खीर देने का प्रावधान है। यदि कढ़ी बने तो सौ बच्चों के लिए विभाग ने ढाई किलो बेसन, 500 ग्राम तेल, मसाला तय किया है और यदि खीर बने तो दस लीटर दूध, तीन किलोग्राम चीनी। दस लीटर दूध यानी औसतन 250 रुपए और तीन किलोग्राम चीनी यानी 120 रुपए। यानी सौ बच्चों को केवल खीर दी जाए तो केवल सामान के 370 रुपए चाहिए जबकि विभाग की तरफ से केवल 311 रुपए तय है। इसमें अन्य कोई खर्च शामिल नहीं है। जाहिर है कि कि पौष्टिक भोजन को दूर, दोपहर भोजन में केवल खीर देना है तो भी तीन रुपए प्रति छात्र की दर से संभव नहीं है लेकिन सर्व शिक्षा अभियान यह अजूबा भी कर रहा है।
सर्व शिक्षा अभियान ने प्रतिदिन बच्चों को भोजन देने का जो मेनू बनाया है, तीन रुपए 11 पैसे में कभी उसका पालन नहीं हो सकता। यही कारण है कि कभी मेनू के मुताबिक भोजन नहीं मिलता। अक्सर बच्चों को तय भोजन के बजाय खिचड़ी दी जाती क्योंकि उसका बजट कम है। ताज्जुब यह कि खिचड़ी मेनू में है ही नहीं। खिचड़ी बनाने के लिए चावल अलग से मिलता है। उसमें दिखाने भर को दाल, दो-चार आलू डाल दिए, हो गया।
सोयाबीन, मेवा, सांभर कभी देखा नहीं
मेनू के मुताबिक बच्चों को मेवे वाली खीर, सोयाबीन मिश्रित सब्जी और सांभर भी मिलना चाहिए लेकिन ऐसा होता नहीं। तीनों ऐसी चीजें हैं जिनके लिए बजट नहीं है। दाल, सब्जी, नमक, मसाला, तेल-घी की व्यवस्था करना ही मुश्किल है। 

Source - Amar Ujala
22-9-2012

1 comment:

sunil kumar tiwari sunlkmrr@gmail.com said...

B.T.C & SBTC WALON K LIYE TET SE CHHOT NA MILNA FILHAL TO B.ED WALON K LIYE BURI KHABAR HAI BECAUSE YE LOG AB 72825 WALI VACABCY ME SAMIL HONGE AUR MERIT HIGH HO JAYEGI ISKE ALAWA TET APPEAR 2011 WALON KO BHI KOI NAHIN ROK PAYEGA BECAUSE WE IS BASE PAR COURT JA SAKTE HAIN KI AB UNKE PAS B.ED. AND TET DONO KO DEGREE HAI AUR SESSION BHI 2012 HO GAYA HAI SARKAR EK TARAF TO QUALITY OF EDUCATION KI BAAT KAR RAHI HAI DOOSRI TARAF TET KO MATR PATRTA EXAM BANAKAR USKI IMPORTANCE SE KHILWAD KAR RAHI HAI YE USKA DOHRA CHARITR UJAGAR KARTI HAI.