UPTET - टीईटी - TET
UPTET - शिक्षक नियुक्ति का विज्ञापन शीघ्र जारी करे सरकार
विधि संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश के परिषदीय प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों की भारी कमी पर चिंता जाहिर की है और राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह योग्य अध्यापकों की नियुक्ति करने का विज्ञापन बिना किसी विलंब के जारी करे। प्रदेश के अपरमहाधिवक्ता सीवी यादव ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि सरकार 15 दिन के भीतर विज्ञापन प्रकाशित करेगीतथा बिना देरी किए नियमानुसार नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करेगी। न्यायालय ने इस आश्वासन के बाद याचिका की अगली सुनवाई की तिथि 27सितंबर नियत की है। न्यायालय के इस आदेश से टीईटी, बीटीसी आदि की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टण्डन ने शिव प्रकाश कुशवाहा की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याची का कहना है कि शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत बच्चों की निश्शुल्क शिक्षा की व्यवस्था है। राज्य सरकार का दायित्व है किस्कूलों में पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक रखे जाएं। राज्यसरकार को लंबे समय तक अध्यापकों के पदों को खाली रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जबकि अपर महाधिवक्ता का कहना है कि सरकार लगातार खाली पदों को भरने का प्रयास कर रही है। वर्ष 2004, 2007 व 2008 में अध्यापकों की भर्ती की गई है। न्यायालय ने कहा है कि यह विवाद नहीं है कि भर्ती हो रही है या नहीं, परिषदीय विद्यालयों में अध्यापकों की भारी कमी है, जिससे शिक्षा बुरी तरह से प्रभावित हो रही है।
Source - Jagran
12-9-2012
UPTET - शिक्षक नियुक्ति का विज्ञापन शीघ्र जारी करे सरकार
विधि संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश के परिषदीय प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों की भारी कमी पर चिंता जाहिर की है और राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह योग्य अध्यापकों की नियुक्ति करने का विज्ञापन बिना किसी विलंब के जारी करे। प्रदेश के अपरमहाधिवक्ता सीवी यादव ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि सरकार 15 दिन के भीतर विज्ञापन प्रकाशित करेगीतथा बिना देरी किए नियमानुसार नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करेगी। न्यायालय ने इस आश्वासन के बाद याचिका की अगली सुनवाई की तिथि 27सितंबर नियत की है। न्यायालय के इस आदेश से टीईटी, बीटीसी आदि की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टण्डन ने शिव प्रकाश कुशवाहा की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याची का कहना है कि शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत बच्चों की निश्शुल्क शिक्षा की व्यवस्था है। राज्य सरकार का दायित्व है किस्कूलों में पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक रखे जाएं। राज्यसरकार को लंबे समय तक अध्यापकों के पदों को खाली रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जबकि अपर महाधिवक्ता का कहना है कि सरकार लगातार खाली पदों को भरने का प्रयास कर रही है। वर्ष 2004, 2007 व 2008 में अध्यापकों की भर्ती की गई है। न्यायालय ने कहा है कि यह विवाद नहीं है कि भर्ती हो रही है या नहीं, परिषदीय विद्यालयों में अध्यापकों की भारी कमी है, जिससे शिक्षा बुरी तरह से प्रभावित हो रही है।
Source - Jagran
12-9-2012
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