एटा। बोर्ड परीक्षाओं में राजकीय और सहायता प्राप्त संस्थाओं की छवि धूमिल
हुई है। सामूहिक नकल के आरोप में चिह्नित परीक्षा केंद्रों में 75 प्रतिशत
संस्थाएं सरकारी और अर्द्धसरकारी हैं। सामूहिक नकल की सर्वाधिक शिकायतें
इन्हीं केंद्रों पर मिली हैं। जनपद में निरस्त हुई 27 केंद्राें की परीक्षा
में 20 राजकीय और सहायता प्राप्त संस्थाएं हैं। वहीं, पूरी परीक्षा में
पकड़े गए नकलचियों में से 50 प्रतिशत से अधिक इन्हीं केंद्रों पर दबोचे गए
हैं।
शासन से लाखों रुपये मासिक का वेतन और सुविधाएं लेने वाली संस्थाओं पर विभागीय आदेशों की धज्जियां उड़ाने का आरोप है। शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन द्वारा शासन को भेजी गई रिपोर्ट के बाद तो जनपद के प्रतिष्ठित राजकीय और सहायता प्राप्त संस्थाआें की प्रतिष्ठा तार-तार हो गई। उन पर बोर्ड परीक्षाओं की सुचिता और पारदर्शिता भंग करने की शिकायतें हैं। सामूहिक नकल के आरोप में जनपद के निरस्त हुई 27 केंद्रों की परीक्षाआें में दो राजकीय, 18 सहायता प्राप्त संस्थाएं हैं। जबकि सचल दलों की नजर में केवल सात वित्तविहीन संस्थाएं ही दागी साबित हुई हैं। जबकि परीक्षा केंद्रों की सूची में सात राजकीय, 53 सहायता प्राप्त और 91 वित्तविहीन परीक्षा केंद्र शामिल हैं। वहीं, अभी तक पकड़े गए नकलचियों में से 50 प्रतिशत राजकीय और सहायता प्राप्त परीक्षा केंद्रों पर दबोचे गए हैं। बताते चलें कि शिक्षा अधिकारियों, सचल दलों और प्रशासनिक अधिकारियों की सर्वाधिक कार्रवाइयां सहायता प्राप्त परीक्षा केंद्रों पर ही रही हैं।
माध्यमिक शिक्षा परिषद ने पक्षपातपूर्ण कार्रवाई बताया
एटा (ब्यूरो)। माध्यमिक शिक्षक संघ और सहायता प्राप्त संस्थाओं के केंद्र व्यवस्थापकों ने इसे विभाग और प्रशासन की मिलीभगत एवं पक्षपातपूर्ण नीति बताया है। इनका आरोप है कि नकल के नाम पर सरेआम हो रही वसूली शिकायतों के बाद भी इन्हें नजर नहीं आ रही। वहीं, नकल रोकने वाली संस्थाओं और केंद्र व्यवस्थापकों को जानबूझकर बलि का बकरा बनाया गया है। आधा दर्जन संस्थाओं के नाम खोलते हुए संगठन ने मामले की शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी भेजी है। बताते चलें कि अवैध वसूली को लेकर आधा दर्जन संस्थाओं के विरुद्ध थानों में अभियोग पंजीकृत हुए, लेकिन विभाग ने यहां कोई कार्रवाई नहीं की है।
Source-Amar Ujala
10-4-2012
शासन से लाखों रुपये मासिक का वेतन और सुविधाएं लेने वाली संस्थाओं पर विभागीय आदेशों की धज्जियां उड़ाने का आरोप है। शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन द्वारा शासन को भेजी गई रिपोर्ट के बाद तो जनपद के प्रतिष्ठित राजकीय और सहायता प्राप्त संस्थाआें की प्रतिष्ठा तार-तार हो गई। उन पर बोर्ड परीक्षाओं की सुचिता और पारदर्शिता भंग करने की शिकायतें हैं। सामूहिक नकल के आरोप में जनपद के निरस्त हुई 27 केंद्रों की परीक्षाआें में दो राजकीय, 18 सहायता प्राप्त संस्थाएं हैं। जबकि सचल दलों की नजर में केवल सात वित्तविहीन संस्थाएं ही दागी साबित हुई हैं। जबकि परीक्षा केंद्रों की सूची में सात राजकीय, 53 सहायता प्राप्त और 91 वित्तविहीन परीक्षा केंद्र शामिल हैं। वहीं, अभी तक पकड़े गए नकलचियों में से 50 प्रतिशत राजकीय और सहायता प्राप्त परीक्षा केंद्रों पर दबोचे गए हैं। बताते चलें कि शिक्षा अधिकारियों, सचल दलों और प्रशासनिक अधिकारियों की सर्वाधिक कार्रवाइयां सहायता प्राप्त परीक्षा केंद्रों पर ही रही हैं।
माध्यमिक शिक्षा परिषद ने पक्षपातपूर्ण कार्रवाई बताया
एटा (ब्यूरो)। माध्यमिक शिक्षक संघ और सहायता प्राप्त संस्थाओं के केंद्र व्यवस्थापकों ने इसे विभाग और प्रशासन की मिलीभगत एवं पक्षपातपूर्ण नीति बताया है। इनका आरोप है कि नकल के नाम पर सरेआम हो रही वसूली शिकायतों के बाद भी इन्हें नजर नहीं आ रही। वहीं, नकल रोकने वाली संस्थाओं और केंद्र व्यवस्थापकों को जानबूझकर बलि का बकरा बनाया गया है। आधा दर्जन संस्थाओं के नाम खोलते हुए संगठन ने मामले की शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी भेजी है। बताते चलें कि अवैध वसूली को लेकर आधा दर्जन संस्थाओं के विरुद्ध थानों में अभियोग पंजीकृत हुए, लेकिन विभाग ने यहां कोई कार्रवाई नहीं की है।
Source-Amar Ujala
10-4-2012
No comments:
Post a Comment