विशिष्ट बीटीसी में मेरिट से सीधे चयन व छह माह प्रशिक्षण के बाद लगभग 28 हजार रुपये मासिक वेतन की नौकरी। हाईस्कूल से स्नातक तक प्राप्तांक प्रतिशत ठीक हो तो किसी तरह बीएड करके विशिष्ट बीटीसी का लाभ मिलना तय था। इसी माध्यम से करीब एक लाख शिक्षक शिक्षिकाओं की नियुक्तियां भी हुईं। ऐसे में बीएड का ग्राफ इतना चढ़ा कि हर साल कालेजों में 20 से 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई और संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या साढ़े पांच लाख तक पहुंच गयी। प्रबंधन कोटे की सीटों पर सीधे प्रवेश के लिए सवा लाख से दो लाख रुपये तक के रेट खुले। काउंसलिंग से प्रवेशित छात्रों से भी अतिरिक्त शुल्क वसूला गया पर बेहतर मेरिट पाने के चक्कर में वे खामोश रहे। विशिष्ट बीटीसी प्रक्रिया खत्म होते ही अभ्यर्थियों का बीएड के प्रति मोह बिखरने लगा। इसी सत्र में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने शिक्षक बनने के लिए पात्रता परीक्षा (टीईटी) लागू कर दी। अर्थात अब बीएड करने के बाद टीईटी नहीं तो बीएड बेकार। इस व्यवस्था से जुगाड़ करके बीएड में अच्छे अंक पाने वाले अभ्यर्थियों की सांस फूलने लगी। उन्हें टीईटी क्वालीफाई कर लेने का आत्मविश्वास नहीं था, इसलिए उन्होंने भी बीएड से मुंह मोड़ लिया। इधर शासन ने पिछले सत्र में निजी कालेजों के लिए बीटीसी के द्वार खोल दिये। चूंकि बीटीसी से तुरंत नौकरी मिलती है इसलिए तमाम छात्र-छात्राएं बीएड छोड़कर बीटीसी की ओर मुड़ गये।
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बीएड का ग्राफ
बीते सत्र में कालेज : 980
बीते सत्र में सीटें : 1.10 लाख
इस बार सीटें बढ़ीं : शून्य
बीते सत्र में अभ्यर्थी : 5.26 लाख
इस बार अभ्यर्थी : 3.49 लाख
अभ्यर्थी घटे : 1.77 लाख
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बीएड डिग्रीधारियों के लिए नौकरी के अवसर घटे हैं। पहले से ही लाखों बीएड बेरोजगार हैं। शुल्क भी कम नहीं है। इसीलिए बीएड अभ्यर्थियों की संख्या कम हो रही है।
- प्रो. अशोक कुमार, कुलपति सीएसजेएम
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निजी बीटीसी खुलने, टीईटी लागू होने तथा विशिष्ट बीटीसी पर रोक के चलते बीएड के प्रति मोह घटा है। पहले अच्छी मेरिट वाले सीबीएसइ व आइसीएसइ बोर्ड से इंटर कर अंग्रेजी माध्यम से स्नातक बड़ी संख्या में बीएड की ओर आये थे, लेकिन अब वे पीछे हट गये हैं।
- विनय त्रिवेदी, अध्यक्ष उप्र. स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन
Source- Jagran
23-4-2012
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