केंद्र को भेजेंगे 1457 नए हाईस्कूलों का प्रस्ताव
जाब्यू, लखनऊ : राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) के तहत वित्तीय वर्ष 2012-13 में राज्य की ओर से केंद्र को सूबे में 1457 नए राजकीय हाईस्कूल की स्थापना का प्रस्ताव भेजा जाएगा। फैसला मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उप्र माध्यमिक शिक्षा अभियान परिषद के शासी निकाय की सोमवार को हुई बैठक में किया गया। सरकार की मंशा है कि नए हाईस्कूल असेवित क्षेत्रों, खास तौर पर अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में स्थापित किए जाएं। शासी निकाय ने आरएमएसए के तहत 2011-12 में स्वीकृत 449 हाईस्कूलों में शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के 4938 पदों के सृजन के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। प्रत्येक हाईस्कूल में प्रधानाचार्य के एक, सहायक अध्यापक के सात, कनिष्ठ लिपिक के एक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के दो पदों के सृजन को स्वीकृति दी गई है। शासी निकाय ने 2010-11 में प्रदेश में स्वीकृत 148 मॉडल स्कूलों में शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के पदों के सृजन के प्रस्ताव पर विचार तो किया पर उसे मंजूरी नहीं दी। मॉडल स्कूल में सिर्फ एक वर्ग (कला/विज्ञान) की कक्षाएं संचालित करने के लिए जो न्यूनतम स्टाफ निर्धारित किया गया है उसमे प्रधानाचार्य का एक, प्रवक्ता के पांच, सहायक अध्यापक (एलटी ग्रेड) के सात, अपर डिवीजन क्लर्क का एक और समूह घ के चार पद हैं। योजना के तहत इन पदों के लिए सालाना वेतन 75 लाख रुपये तय किया गया है जबकि वेतन पर असल खर्च सालाना 92 लाख रुपये होगा। यदि कला और विज्ञान दोनों वर्ग की कक्षाएं संचालित की जाएंगी तो स्टाफ बढ़ेगा और वेतन पर प्रति वर्ष तकरीबन सवा करोड़ रुपये खर्च होगा। बैठक में यह तय हुआ कि इन पदों के सृजन के प्रस्ताव को स्वीकृति देने से पहले इन पदों पर नियुक्त किये जाने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन के लिए निर्धारित धनराशि को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया जाए। एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले के तहत यह तय किया गया है कि आरएमएसए के तहत स्वीकृत निर्माण कार्य तथा मॉडल स्कूलों व बालिका छात्रावासों को बनाने के लिए कार्यदायी संस्थाओं के चयन का अधिकार अब शासन स्तर की बजाय जिलाधिकारी/अध्यक्ष जिला शिक्षा परियोजना समिति को दे दिया जाए। संस्था वित्त विभाग से अनुमोदित होनी चाहिए। मुख्य सचिव ने आरएमएसए के तहत संचालित 105 विद्यालय भवनों का निर्माण नवंबर तक पूरा करने का निर्देश दिया। पूरे हो चुके 35 विद्यालयों के भवनों को तत्काल हस्तांतरित कर उनमें कक्षाएं संचालित करने का भी निर्देश दिया।
Source - Jagran
जाब्यू, लखनऊ : राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) के तहत वित्तीय वर्ष 2012-13 में राज्य की ओर से केंद्र को सूबे में 1457 नए राजकीय हाईस्कूल की स्थापना का प्रस्ताव भेजा जाएगा। फैसला मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उप्र माध्यमिक शिक्षा अभियान परिषद के शासी निकाय की सोमवार को हुई बैठक में किया गया। सरकार की मंशा है कि नए हाईस्कूल असेवित क्षेत्रों, खास तौर पर अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में स्थापित किए जाएं। शासी निकाय ने आरएमएसए के तहत 2011-12 में स्वीकृत 449 हाईस्कूलों में शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के 4938 पदों के सृजन के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। प्रत्येक हाईस्कूल में प्रधानाचार्य के एक, सहायक अध्यापक के सात, कनिष्ठ लिपिक के एक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के दो पदों के सृजन को स्वीकृति दी गई है। शासी निकाय ने 2010-11 में प्रदेश में स्वीकृत 148 मॉडल स्कूलों में शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के पदों के सृजन के प्रस्ताव पर विचार तो किया पर उसे मंजूरी नहीं दी। मॉडल स्कूल में सिर्फ एक वर्ग (कला/विज्ञान) की कक्षाएं संचालित करने के लिए जो न्यूनतम स्टाफ निर्धारित किया गया है उसमे प्रधानाचार्य का एक, प्रवक्ता के पांच, सहायक अध्यापक (एलटी ग्रेड) के सात, अपर डिवीजन क्लर्क का एक और समूह घ के चार पद हैं। योजना के तहत इन पदों के लिए सालाना वेतन 75 लाख रुपये तय किया गया है जबकि वेतन पर असल खर्च सालाना 92 लाख रुपये होगा। यदि कला और विज्ञान दोनों वर्ग की कक्षाएं संचालित की जाएंगी तो स्टाफ बढ़ेगा और वेतन पर प्रति वर्ष तकरीबन सवा करोड़ रुपये खर्च होगा। बैठक में यह तय हुआ कि इन पदों के सृजन के प्रस्ताव को स्वीकृति देने से पहले इन पदों पर नियुक्त किये जाने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन के लिए निर्धारित धनराशि को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया जाए। एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले के तहत यह तय किया गया है कि आरएमएसए के तहत स्वीकृत निर्माण कार्य तथा मॉडल स्कूलों व बालिका छात्रावासों को बनाने के लिए कार्यदायी संस्थाओं के चयन का अधिकार अब शासन स्तर की बजाय जिलाधिकारी/अध्यक्ष जिला शिक्षा परियोजना समिति को दे दिया जाए। संस्था वित्त विभाग से अनुमोदित होनी चाहिए। मुख्य सचिव ने आरएमएसए के तहत संचालित 105 विद्यालय भवनों का निर्माण नवंबर तक पूरा करने का निर्देश दिया। पूरे हो चुके 35 विद्यालयों के भवनों को तत्काल हस्तांतरित कर उनमें कक्षाएं संचालित करने का भी निर्देश दिया।
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