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Thursday 19 July 2012

UPTET- टीईटी ः बेसिक शिक्षकों की भर्ती के लिए बना नया प्रस्ताव कैबिनेट के पास अब तीन विकल्प


शैलेंद्र श्रीवास्तव
लखनऊ। राज्य सरकार के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) आफत बन गई है। उसके लिए न तो यह निगलते बन रहा है और न ही उगलते। इसलिए पूर्व में कैबिनेट के लिए तैयार प्रस्ताव को निरस्त करते हुए नए सिरे से तैयार किया गया है। नए प्रस्ताव में तीन विकल्प दिए गए हैं। 
पहला विकल्प शिक्षकों की भर्ती टीईटी मेरिट पर करने का है। पर साथ में यह भी कहा गया है कि टीईटी मेरिट पर भर्ती से ऐसे अभ्यर्थियों का चयन हो सकता है, जिन्होंने धांधली कर अंक बढ़वाए हैं और प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए यह ठीक नहीं होगा। 
दूसरा शैक्षिक मेरिट पर भर्ती करने और
तीसरा टीईटी 2011 को निरस्त करने का प्रस्ताव है। बेसिक शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को कैबिनेट मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। कैबिनेट तीनों विकल्पों में किसी एक पर निर्णय करेगी।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद टीईटी पास करने वाला ही शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के लिए पात्र माना गया है। यूपी में नवंबर 2011 में तत्कालीन बसपा सरकार ने शिक्षकों की भर्ती टीईटी मेरिट के आधार पर कराने का निर्णय करते हुए इसका आयोजन कराया। टीईटी में करीब 11 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए, जिसमें 2 लाख 92 हजार अभ्यर्थियों ने परीक्षा उत्तीर्ण की। टीईटी में धांधली की शिकायत के बाद रमाबाई नगर की पुलिस ने पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया। सत्ता परिवर्तन के बाद टीईटी पास अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की। राज्य सरकार ने पूरे मामले की जांच कराई, पर किसी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंच पा रही है। इसलिए बार-बार प्रस्ताव में संशोधन किया जा रहा है।
बेसिक शिक्षा विभाग ने मुख्य सचिव की जांच रिपोर्ट के आधार पर शिक्षकों की भर्ती टीईटी मेरिट के आधार पर न कराकर शैक्षिक मेरिट पर कराने के लिए प्रस्ताव तैयार करते हुए कैबिनेट को भेजा था। इसकी जानकारी होने के बाद टीईटी पास अभ्यर्थियों ने जमकर हंगामा किया। सूत्रों का कहना है कि हंगामे के बाद तीन विकल्पों पर विचार करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। पहले विकल्प के रूप में शिक्षकों की भर्ती टीईटी मेरिट पर करने का है। पर प्रस्ताव में यह भी तर्क दिया गया है कि यदि टीईटी मेरिट के अंकों पर शिक्षकों का चयन किया जाता है, तो कई ऐसे अभ्यर्थी जो अनियमितता और भ्रष्टाचार में संलिप्त थे वे शिक्षक बन जाएंगे और ऐसे शिक्षकों के माध्यम से बच्चों को शिक्षा दिलाया जाना उचित नहीं होगा।
दूसरे विकल्प के रूप में कहा गया है कि टीईटी को पात्रता परीक्षा मानते हुए शिक्षकों की भर्ती शैक्षिक मेरिट के आधार पर की जाए। शिक्षकों की भर्ती शैक्षिक मेरिट के आधार पर करने के लिए वर्तमान बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली को संशोधित करते हुए पूर्व की नियमावली को बहाल करना होगा।
इसके साथ ही वर्तमान में नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन निरस्त करते हुए संशोधित नियमावली के आधार पर जिला स्तर पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकालना होगा। तीसरे विकल्प के रूप में टीईटी 2011 को निरस्त करने का प्रस्ताव है। इसमें कहा गया है टीईटी निरस्त किए जाने के बाद धोखाधड़ी कर पास होने वालों के शिक्षक बनने की संभावना पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। टीईटी निरस्त किए जाने की स्थिति में अभ्यर्थियों को आयु सीमा में छूट दिया जाना और टीईटी 2011 में शामिल होने वालों को पुन: परीक्षा में शामिल होने के लिए शुल्क माफ किया जाना चाहिए। बेसिक शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव पर कैबिनेट 6 अगस्त से पहले निर्णय लेगी। शिक्षा विभाग इसके आधार पर ही 6 अगस्त को हाईकोर्ट को इसकी जानकारी देगा।
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ये हैं विकल्प
= पहला विकल्प शिक्षकों की भर्ती टीईटी मेरिट पर कराने का है। पर साथ में यह भी तर्क दिया गया है कि यदि टीईटी मेरिट को शिक्षक चयन का आधार बनाया जाता है, तो कई ऐसे अभ्यर्थी शिक्षक बन जाएंगे जिन्होंने गड़बड़ी कर परीक्षा पास की है।
= टीईटी को पात्रता परीक्षा मानते हुए शिक्षकों की भर्ती शैक्षिक मेरिट के आधार पर किया जाए। इसके लिए बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में संशोधन कर जिले स्तर पर नए सिरे से भर्ती का विज्ञापन निकालना होगा।
= टीईटी को निरस्त कर नए सिरे से परीक्षा करा ली जाए। इससे गड़बड़ी कर पास होने वालों के शिक्षक बनने की संभावना पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। इसके लिए आयुसीमा में छूट देने के साथ नई परीक्षा में शामिल होने वालों का शुल्क पूरी तरह से माफ कर दिया जाए।

SOURCE : AMAR UJALA
19/7/2012

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