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Friday, 6 July 2012

UPTET- बवाल पर लठियाए गए टीईटी अभ्यर्थी

बस में तोड़फोड़ कर पथराव किया, सिविल लाइंस थाने पर हंगामा

अमर उजाला ब्यूरो (5-7-2012)
इलाहाबाद। लंबे अरसे से चयन का इंतजार कर रहे टीईटी अभ्यर्थियों केसब्र का बांध गुरुवार को टूट गया। प्रदेश सरकार की तरफ से प्राथमिक शिक्षक पद पर चयन में हो रही ढिलाई से खफा अभ्यर्थी सड़क पर उतर आए और सिविल लाइंस में जमकर हंगामा किया। आक्रोशित युवकों ने सड़क पर पथराव कर बसों में तोड़फोड़ की। नारेबाजी के दौरान भीड़ को पुलिस ने खदेड़ा तो प्रदर्शनकारी दूसरे इलाके में पहुंच हंगामा करने लगे। तोड़फोड़ के आरोप में दो युवकों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इसके बाद दर्जनों की संख्या में जमा हुए छात्रों ने सिविल लाइंस थाने के गेट पर बैठकर नारेबाजी शुरू कर दी। बवाल बढ़ता देख पुलिस ने लाठी चला दी। युवकों को पिटाई कर भगा दिया गया। लाठी चलने से सड़क पर अफरातफरी मच गई। छात्र नारेबाजी करते हुए इधर-उधर भागते रहे।
टीईटी अभ्यर्थी चयन की मांग को लेकर काफी दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मामला हाईकोर्ट में है। इस मामले में प्रदेश सरकार के रवैये से नाखुश अभ्यर्थी गुरुवार को सड़क पर उतर हंगामा करने लगे। करीब तीन दर्जन छात्र सिविल लाइंस स्थित एकलव्य चौराहा पहुंचे और सड़क पर नारेबाजी तथा शोरशराबा करने लगे। गुस्साए छात्रों ने सिटी बस में तोड़फोड़ शुरू कर दी। पुलिस ने छात्रों को वहां से खदेड़ा तो वह पथराव कर भागने लगे। मौके से नैनी निवासी सुल्तान अहमद समेत दो छात्रों को सिविल लाइंस पुलिस ने हिरासत में ले लिया। दोपहर में दोनों छात्रों को थाने लाया गया तो आक्रोशित छात्रों ने थाने का घेराव कर दिया। कई युवक थाने के सामने जमीन पर बैठ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। कुछ देर इंतजार के बाद पुलिस ने लाठी चला दी। छात्रों को लाठी पड़ी तो वह शोर मचाकर भागने लगे। इसके बार पुलिस ने छात्रों को दौड़कर पीटना शुरू कर दिया। छात्रों ने लोक सेवा आयोग चौराहा, सुभाष चौराहा समेत कई और इलाके में भी हंगामा किया। एआरएम की तरफ से बस तोड़ने वालों के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है।
पुलिस ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, जमकर हुई नारेबाजी, दो छात्र हिरासत में लिए गए

लोक सेवा आयोग चौराहा, सुभाष चौराहा समेत कई और इलाके में भी हंगामा
देवबंद की डिग्री पर चयन निरस्त करना गलत
इलाहाबाद। हाईकोर्ट ने जमातुल इस्लामिया दारूल उलूम देवबंद की फाजिल डिग्री के आधार पर सहायक अध्यापक पद पर चयन हेतु अर्हता न मानने को गलत ठहराया है। इस आधार पर सहायक अध्यापक के चयन को निरस्त करने संबंधी आदेश भी रद कर दिया है। कोर्ट का मानना है कि सहायक अध्यापक पद पर चयन के लिए अर्हता स्नातक और बीएड की डिग्री है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के अंक मेरिट बनाने के लिए आवश्यक हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने मुजफ्फर नगर के सरफराज अहमद की याचिका पर दिया है।
अदालत का मानना था कि याची का चयन नियमानुसार किया गया है, इसलिए उसके चयन को निरस्त किया जाना अवैधानिक कार्य है। सरफराज को सेवा में मानते हुए उसे बकाया वेतन का भुगतान करने का भी निर्देश दिया है। प्रदेश सरकार का कहना था कि फाजिल की डिग्री उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल डिग्री के समकक्ष नहीं है। इसलिए चयन अवैध माना गया। सरफराज का चयन प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक पद पर नियमानुसार हुआ था। उसे मथुरा विकास क्षेत्र चर्थवाल में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति दी गई थी।
-सिविल लाइंस थाने के सामने प्रदर्शन करते टीईटी अभ्यर्थियों को खदेड़ती पुलिस।

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