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- संघर्ष मोर्चा ने बढ़ाया दबाव, 20 जुलाई को आंदोलन का ऐलान
आचार संहिता लागू होने से लटकी पड़ी है चयन प्रक्रिया
जागरण संवाददाता, सहारनपुर : टीईटी पर छाए संशय के बादल दूर करने में यह माह निर्णायक साबित होगा। निकाय चुनाव की आचार संहिता इसमें फिलहाल बड़ी बाधा है। प्रदेश सरकार की ओर से बरती जा रही सावधानी 'सकारात्मक संकेत' की ओर इशारा कर रही है। दबाव बनाने के लिए टीईटी (उत्तीर्ण) संघर्ष मोर्चा ने आंदोलन के जरिए सरकार को घेरने का निर्णय लिया है।
आचार संहिता के कारण टीईटी पास अभ्यर्थियों की चयन प्रक्रिया पर विराम लगा है। मामले में सरकार की ओर से टीईटी प्रक्रिया की कई कोणों से समीक्षा की जा चुकी है, जिसके बाद सरकार द्वारा प्रक्रिया को निरस्त न करने का सैद्धांतिक निर्णय लिया जा चुका है। पिछले दिनों बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी द्वारा प्रक्रिया के पक्ष में सकारात्मक संकेत दिए थे। माना जा रहा है कि पूर्व घोषित नीति के मुताबिक ही लंबित टीईटी प्रक्रिया को सिरे चढ़ा दिया जाएगा। जुलाई में ही इस बारे में निर्णय होने की उम्मीद है।
कितनी भर्ती लंबित
प्रदेश में टीईटी के माध्यम से 72 हजार 825 शिक्षकों की भर्त्ती होनी है। टीईटी से 800 पद जिले को आवंटित है जबकि जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पहुंचे आवेदन पत्रों की संख्या 1.15 लाख है।
संघर्ष से मिलेगी कामयाबी
टीईटी (उत्तीर्ण) संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष संजय कुमार का कहना है सरकार की ओर से टीईटी के मामले में परस्पर विरोधी बयान आते रहे हैं, जिससे अभ्यर्थियों में कुंठा पैदा हो रही है। प्रदेश भर में कई अभ्यर्थी आत्महत्या कर चुके हैं। मोर्चा ने सरकार को चेताने के लिए आंदोलन का निर्णय लिया है। 20 जुलाई तक भर्त्ती प्रक्रिया शुरू न करने पर लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में अनिश्चितकालीन आंदोलन छेड़ दिया जाएगा।
निर्देश के बाद कार्रवाई
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य संजय उपाध्याय का कहना है कि टीईटी के संबंध में शासन की ओर से निर्देश मिलने के बाद ही कार्रवाई शुरू की जा सकेगी।
Source- Jagran
2-7-2012
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