याचिकाओं के हिन्दी से अंग्रेजी अनुवाद की बाध्यता हटी
विधि संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट में हिंदी भाषा में दाखिल याचिकाओं व संलग्नों के अंग्रेजी अनुवाद को लेकर छिड़ा विवाद मंगलवार को खत्म हो गया। हाईकोर्ट ने कहा है कि याचिका में हिन्दी भाषा के संलग्नकों का अंग्रेजी अनुवाद दाखिल करने के लिए वादकारी को विवश नहीं किया जा सकता। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले एवं प्रदेश के राज्यपाल की अधिसूचना का अनुपालन किया जाना चाहिए जिसके तहत इलाहाबाद हाईकोर्ट में अंग्रेजी के साथ ही हिन्दी की देवनगरी भाषा में याचिका दाखिल करने की छूट दी गयी है।
प्रदेश के अहिन्दी भाषा राज्यों से आने वाले न्यायाधीशों की कठिनाई को देखते हुए न्यायालय ने हाईकोर्ट रूल्स के तहत जरूरी होने पर रजिस्ट्री दस्तावेजों का अंग्रेजी अनुवाद कराने का भी आदेश दिया है। साथ ही मुख्य स्थायी अधिवक्ता को कार्यालय परिपत्र का पालन जारी रखने की छूट दी है जब तक कि नियमों में संशोधन नहीं कर लिया जाता।
न्यायालय ने यह आदेश इसी न्यायालय की एकल पीठ एवं खण्डपीठ द्वारा हिन्दी याचिकाओं व हलफनामे सहित दस्तावेजों का अंग्रेजी अनुवाद किये जाने के निर्देशों से उत्पन्न समस्या का कानूनी हल निकालते हुए दिया है। न्यायालय ने कहा है कि उक्त आदेश पारित करने वाली न्यायपीठों को कानून की सही जानकारी नहीं दी गयी कि राज्यपाल ने हाईकोर्ट की भाषा हिन्दी कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एपी साही ने श्रीमती राजेश्वरी की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। न्यायालय के समक्ष बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वीपी श्रीवास्तव पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र ने कहा कि उत्तर प्रदेश हिन्दी प्रदेश है। राज्य सरकार की अधिसूचना को देखते हुए याची या वकील को हिन्दी दस्तावेजों का अनुवाद करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। ऐसा करने से वादकारियों को भारी परेशानी उठानी पड़ेगी।
गौरतलब है कि हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद किए जाने के आदेश का अधिवक्ताओं ने प्रबल विरोध किया था। हाईकोर्ट बार ने भी एक प्रस्ताव पारित कर इस आदेश को न्यायसंगत नहीं माना था।
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इस आदेश पर था विवाद
एकल पीठ ने महानिबंधक कार्यालय को निर्देश दिया था कि वह हिन्दी भाषा में दाखिल होने वाली याचिका या हलफनामा तभी स्वीकार करे जब उसका अंग्रेजी अनुवाद साथ में लगाया गया हो। न्यायालय ने महानिबंधक को इस संबंध में नियम संशोधन की कार्यवाही करने को भी कहा था।
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देश में 90 फीसदी लोग हिंदी बोलते व समझते हैं। हिंदी भाषी प्रदेश में हिंदी भाषा में न्यायिक कार्यवाही पर अंकुश लगाने का प्रयास उचित नहीं माना जा सकता। यह राज्य सरकार की अधिसूचना और न्यायिक निर्णयों का उल्लंघन था
वीसी मिश्र
पूर्व अध्यक्ष, बार कौंसिल आफ इंडिया
Source - Jagran
16-10-2012
13 comments:
Today, court me 72825 ko lekar kuch nahi hua, court ne B.T.C. and V.B.T.C. ki selection process ko clear karne k liya 2 din ka time diya, agar court ko usme kuch galat lagta hai, to usse kharij kar sakti hai, isse clear hai ki government abhi 72825 ke liye aur samay legi. Sayad kal ki cabinet ki meeting me kuch good news mile.
Date for adv. still unknown because, according to hindustan and amar ujala- adv. 27 August tak aane wala tha, sab galat sabit hua, govn. ne bhi court me 15 din me adv. nikalne ka aaswasan diya tha,
Aaj fir date badkar 24 oct. Ho gayi,
Good night
AB KYA HOGA
AB KYA HOGA
SAMASYA ANEK BUT SAMADHAN SIRF EK
GRADUATION+B.ED.+TET
SAMASYA ANEK BUT SAMADHAN SIRF EK
GRADUATION+B.ED.+TET
brijeshji have you slept?
Gaurav yadav ji india nws pe clear shw kr rha tha ki add btc.v.btc and tet b.ed. Ka sanyukt roop se nikalane ka aadesh court ne gov ko dia h. Fir aap kyu bhramkta faila rhe h??
SAMASYA ANEK
BUT SAMADHAN SIRF EK
GRADUATION+B.ED.+TET
ab is blog koi aisa aadmi nai h jo kuch khabar de sake wo sirf gali de saktee h vk yadav or prabhakar to na jane kaha gayab hi ho gaye h ab muje pura yakeen h ki ye bharti 2014me hogi
Allahabad crt ki date to 18 hai to 24 kaha se ho gai.
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