UPTET - टीईटी - TET
उत्तर प्रदेश में 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती : सरकार से न निगलते बन रही न उगलते!
इस लेख के प्रारंभ में ही स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि यह लेख केवल उनके
लिए है जो टी.ई.टी. मेरिट के आधार पर 72825 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के
लिए 29 /30 नवम्बर और बाद में 2 दिसंबर 2011 को प्रकाशित संशोधित
विज्ञप्ति के आधार पर भर्ती के पक्षधर है, तार्किकता और लोकतंत्र में
विश्वास करते हैं, न्यायपालिका में पूर्ण आस्था रखते हुए मानते हैं कि अगर
लड़ाई लड़ी गई तो न्याय जरूर मिलेगा और इस लड़ाई को सार्थक मानते हैं. भिन्न
मत वाले, जो सार्थक और तार्किक बहस में विश्वास रखते हैं, वे भी अगर मेरी
जानकारी या राय में कोई वृद्धि या संशोधन करें तो मैं उनका भी स्वागत करता
हूँ पर मात्र अपने स्वार्थ या दुराग्रह के कारन अपना राग अलापने पर आमादा
महानुभाव इसे पढने में अपना समय न व्यर्थ करें तो उनके लिए उपयुक्त होगा.
वास्तव में कहूं तो मेरी यह यह पोस्ट स्थिति से पूर्णतया अवगत जानकार
साथियों के लिए नहीं , उन आम अभ्यर्थियों के लिए हैं जिनकी काल्स, संदेशों
और चैटिंग का अपनी व्यस्तता के कारण मैं उत्तर देने में अक्षम रहता हूँ.
• पिछले 8 महीने से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चल रहे 72825 प्रशिक्षु
शिक्षकों की भर्ती से सम्बंधित तमाम मुकदमों में अबतक के नतीजे
अभ्यर्थियों के लिए सकारात्मक नहीं, निराशाजनक ही रहे हैं. वहां किये गए
प्रयासों के गुण-दोष की समीक्षा बेमानी है क्यूंकि कोई खुद को कितना बड़ा
भी कानूनी पंडित , विश्लेषक, सटीक पूर्वानुमानकर्ता या भविष्यदृष्टा
क्यूँ न बताये , इलाहाबाद में आज जो स्थिति है , उसकी कल्पना तक किसी ने
नहीं की थी, फिर इसका ठीकरा कोर्ट केसेज देख रहे चंद सक्रिय साथियों पर
फोड़ना उनके साथ ज्यादती होगी. वैसे भी कुछ न करने वालों , (इनमे अगर आप
मुझे भी शामिल करें तो मैं आपत्ति नहीं उठाऊंगा) से गलती हो ही नहीं सकती
और वे दूसरों पर ऊँगली उठाने को पूर्णतया स्वतंत्र होते हैं. परन्तु
वास्तव में काम करने वाले को ही उस दबाव का अंदाज़ा होता है जो हजारो-लाखों
लोगो की अपेक्षाओं से बनता है, सही इरादे से भी उठाए गए किसी कदम के भी गलत
परिणाम गलते की आशंका से बनता है, स्वयंभू फेसबुकिया विद्वानों की तरह पल
पल स्टैंड बदलने और जरुरत पड़ने पर उसे भूलकर अगले ही पल नया स्टैंड ले
लेने की स्वतंत्रता भी इन्हें नहीं होती.
• निराश हो चले साथियों से केवल इतना कहूँगा कि अगर सरकार के खिलाफ भी हमारी लड़ाई पिछले 9 महीने से जिन्दा है तो यह हमारे पक्ष की मजबूती का ही नतीजा है. दूसरा जब आपको विश्वास है कि आपके साथ अन्याय हुआ है तो उसके विरुद्ध लड़ना ही पौरुष है.
• लखनऊ उच्च न्यायालय में अरविन्द सिंह जी और उनके साथियों द्वारा दायर मुक़दमे में कोर्ट में सरकार द्वारा एक हफ्ते में जवाबी हलफनामा न दाखिल करने की स्थिति में अंतरिम राहत की याचिका को निस्तारित कर देने की चेतावनी निस्संदेह जहाँ इलाहाबाद के घटनाक्रम से निराश अभ्यर्थियों के लिए संजीवनी सिद्ध हुई है, वहीं मदांध सरकार के लिए एक कडवे सच से साक्षात्कार ! शायद सरकार को अब आभास हो कि राज सरकार का नहीं, असल में कानून का होता है, जो न्याय और सत्य के लिए है न कि व्यक्तिगत और राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए.
• इस याचिका में सरकार द्वारा हाल में किये गए पन्द्रहवें संशोधन के मार्फ़त टी.ई.टी. मेरिट के स्थान पर एकादेमिक प्रदर्शन के आधार पर बनाये गए गुणांक मेरिट के फार्मूले को राज्य में संचालित अलग-अलग बोर्डों, विश्व-विद्यालयों की परस्पर भिन्नता वाली मूल्याङ्कन-पद्धति का हवाला देते हुए सिरे से अतार्किक और अव्यवहारिक बताते हुए इस संशोधन को ही निरस्त करने की मांग भी की है. इस याचिका का जवाब देने में शायद सरकार को इतनी परेशानी हो रही है कि पिछले आठ महीने में पहली बार इस मामले में स्केलिंग की सम्भावना तलाशने की खबर अख़बारों में स्पष्ट तौर पे जताई गई. पर यहाँ सरकार एक और नए मकडजाल में उलझने जा रही है. असल में मुद्दा यहाँ बेहतर प्रक्रिया के निर्धारण का नहीं, टी.ई.टी. मेरिट के आधार पर चयन के लिए प्रारंभ की गई एक विधि-सम्मत , वैध और तर्कसंगत प्रक्रिया में निहित राजनैतिक स्वार्थों के लिए परिवर्तन करने की सरकार की नीयत, शक्ति, वैधता और सामर्थ्य का है. पर अगर देखा भी जाये तो अब तक अगर कही हुआ है तो स्केलिंग पद्धति का प्रयोग अभी तक अर्हता निर्धारण यानि कट-ऑफ निर्धारण के लिए होता आया है, चयन के आधार के रूप में नहीं. आप किसी प्रक्रिया में शामिल होने के लिए उ.प्र. बोर्ड के 60% और सी.बी.एस.ई. बोर्ड के 80% को को अर्ह मानते हैं तो सम्बंधित बोर्डों के इस से अधिक अंक पाने वाले सभी अभ्यर्थी अर्ह माने जाते हैं. पर अगर आप किसी चयन के लिए स्केलिंग को अपनाते हैं तो इस मानक के आधार पर जब यू.पी. बोर्ड का 1 प्रतिशत अंक सी.बी.ई.सी.बोर्ड के 1.33 प्रतिशत अंक के बराबर है, ऐसे में तो यू.पी. बोर्ड में 90 प्रतिशत अंक पाने वाले अभ्यर्थी को पछाड़ने के लिए बेचारे सी.बी.एस.ई. वाले अभ्यर्थी को तो 120 प्रतिशत की जरूरत होगी जो असंभव है. साथ ही बी.एड. में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के आधार पर 12, 6 और 3 गुणांक देने के लिए क्या सरकार यह फिर से तय करने की हैसियत में होगी कि फलानी युनिवेर्सिटी में 60 प्रतिशत एवं ऊपर वालों को प्रथम श्रेणी, 45 प्रतिशत एवं ऊपर वालों को द्वितीय श्रेणी और 33 प्रतिशत एवं ऊपर वालों को तृतीय श्रेणी में रखा जायेगा और फलानी यूनिवर्सिटी के ये प्रतिशत क्रमशः 80, 55 एवं 40 होंगे? फिर तो विभिन्न विश्व-विद्यालयों की उपाधियों में भेद-भाव का एक नया मामला बनेगा और जिन युनिवर्सिटियों के छात्र इस वजह से पिछड़ेंगे, वो क्या कोर्ट केसेज की झड़ी नहीं लगा देंगे? वैसे यह अभी एक सम्भावना मात्र है पर आशा है कि हमारी चुनी हुई सरकार भी इस नज़रिए से मामले को देखेगी.
• हाल ही में जिस प्रकार से नियुक्ति के स्थान पर फिलहाल VBTC प्रशिक्षण के लिए विज्ञापन आने कि सम्भावना के मद्देनज़र टी.ई.टी. फेल बी.एड. धारकों ने इस में आवेदन करने का जो दावा पेश किया है, वर्तमान नियमों के हिसाब से उसमे काफी वज़न है क्यूंकि वाकई में नियमावली के अनुसार प्रशिक्षण के लिए सरकार न टी.ई.टी. अर्हता मांग सकती है न ही टी.ई.टी. फेल बी.एड. वालों को इसमें बैठने से रोक सकती है.
• पर यह तो मात्र एक शुरुआत है, लड़ाई अभी बाकी है. पिछले 8 महीने में स्थितियों में नाटकीय परिवर्तन हुए है, हमें भविष्य में आ सकने वाली हर संभावित किसी अनिश्चितता, किसी भी संभावना का अंदाजा लगाना होगा, उसके संभावित दुष्परिणामों का आंकलन करना होगा और समय रहते संभावित समाधान और विकल्प तलाश कर, अवसर उत्पन्न होते ही तत्काल उसके प्रतिकार के लिए समर्थ और सन्नद्ध रहना होगा. इस स्थिति में केवल अपने विचारों पर अड़े रहने की हठधर्मिता, दूसरों के विचारों को बिना विचार किये नकार देने की वैचारिक कूपमंडूकता और व्यक्तिगत अहम् के टकराव के कारण किसी व्यक्ति को साथ न लेने वाली छुआ-छूत संगठन और एकता के लिए बहुत खतरनाक सिद्ध हो सकती है.
• आज मुकदमों की स्थिति को लेकर कानूनी राय बंटी हुई है. व्यक्तिगत पसंद को परे रखकर, शुद्ध कानूनी रूप से स्थिति के आंकलन, संभावित विकल्पों की तलाश, संगठन को बचाए रखने और प्रदेश भर के अभ्यर्थियों का विश्वास और मनोबल बनाये रखने और भिन्न-भिन्न राय रखने के बावजूद इस लड़ाई से जुड़े हर साथी को साथ रखने, और इस लड़ाई के हर गंभीर मोर्चे पर लड़ रहे साथियों को हर संभव सहयोग करने के उद्देश्य से दिल्ली में पिछले महीने 16 व 17 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट के वकील श्री आनंद मिश्रा जी की मौजूदगी में हुई दो-दिवसीय खुली और पारदर्शी बैठक काफी हद तक सफल हुई, ध्यान दें कि ये मीटिंग किसी कमिटी की नहीं, इस लड़ाई से नौकरी पाने के लिए आशावान और लड़ने के लिए तैयार हर आम अभ्यर्थी की मीटिंग थी, जिसमे प्रदेश भर से 50 से अधिक साथी आये, वकील साहब की मौजूदगी में अपने विचार रखे, अपनी शंकाएं रखी और इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही की अपनी जिद पर अड़े रहने के बजाय हर आगंतुक ने स्थितियों के अनुसार अपने रुख में लचीलापन रखने और तदनुसार निर्णय लेने और बदलने पर सहमति दी. इस मीटिंग में भाई विवेक सिंह (प्रतापगढ़), रत्नेश पाल (कानपूर), देवेन्द्र सिंह (दिल्ली), एस.बी.सिंह (दिल्ली), आनंद तिवारी (दिल्ली), प्रमोद पाण्डेय (दिल्ली), कुमार नीरज (दिल्ली), शिव कुमार (गाज़ियाबाद), विजय सिंह तोमर (कानपूर), अलकेश प्रजापति (दिल्ली), विपिन तिवारी (प्रतापगढ़), अमित मिश्रा (औरैय्या), नीलेश पुरोहित (ललितपुर) के साथ साथ हरीश गंगवार (बरेली), के साथ साथ विकास कुमार. सुरेन्द्र सिंह सहित मेरठ, हापुड़ और तमाम जिलो के प्रतिनिधि थे. इस मीटिंग ने एक ऐसा समूह खड़ा करने में मदद की जो इस बड़ी लड़ाई के हर मोर्चे को मजबूती देने के प्रयास में तो रहेगा ही, आवश्यकता पड़ने पर स्वयं भी एक्शन लेने में परहेज नहीं करेगा. जरुरी हुआ तो इलाहबाद और लखनऊ या कही भी, किसी भी याची के साथ जुड़ने को तैयार है अगर जीत के लिए ऐसा करने को तैयार है, पर आवश्यकता पड़ने पर स्वयं भी एक्शन लेने में परहेज नहीं करेगा. इसकी पारदर्शिता, खुलापन और लचीलापन ही इसकी शक्ति है और इसके प्रति अल्पकाल में लोगो में इसके प्रति विश्वास और उनके समर्थन का कारण, क्यूंकि यह किसी से अलग नहीं, सबके साथ है. मीटिंग में आये साथियों के साथ साथ, तमाम साथी जो चाहकर नहीं आ पाए, उन्होंने भी इस लड़ाई में वैचारिक और आर्थिक सहयोग तक किया, (दिल्ली में मिले जिन साथियों के नाम यहाँ नहीं हैं, उनका महत्त्व किसी भी प्रकार से कम नहीं होता, पर अगर आप यह पोस्ट पढ़ रहे हैं तो कृपया एक कमेन्ट द्वारा अन्य को अवगत कराएँ) ).
• इस मीटिंग से यह स्पष्ट हुआ कि यदि एक आम अभ्यर्थी को विश्वास हो जाये की उसकी लड़ाई इमानदारी से लड़ी जा रही है तो वह हर संभव सहयोग करने को तत्पर है और आर्थिक तंगी इस लड़ाई में बाधा नहीं बनेगी. इस मीटिंग के परिणाम स्वरुप न सिर्फ तत्कालीन स्थिति के अनुसार आनन्-फानन में सुप्रीम कोर्ट में सीधे विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने के बजाय पहले हाईकोर्ट में डिविजन बेंच में स्पेशल अपील का परिणाम देखने की सहमति बनी.
• 19 व 20 सितम्बर को इलाहाबाद के कई वकीलों से गहन विचार-विमर्श के अलावा शीर्ष कानूनी दिग्गज आर. के. जैन साहब से इस मुद्दे पर रत्नेश पाल, पुनीत सिंह (प्रतापगढ़) शलभ तिवारी (हरदोई), विनोद सिंह व अवधेश तिवारी (इलाहाबाद), धर्मेन्द्र श्रीवास्तव (उन्नाव) व मेरी उपस्थिति में एक पारदर्शी विचार-विमर्श हुआ, जिसमे उन्होंने हाई कोर्ट में स्पेशल अपील अभी न करने और विज्ञापन आने के बाद ही कोई कदम उठाने की सलाह दी. इसी बीच देवरिया के भाई प्रियरंजन वर्मा जी ने अपने मामा जी, पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता, भारत सरकार, श्री अमरेन्द्र शरण जी से इस मामले की चर्चा के बाद हम सबको बताया कि अभी विज्ञापन आने के पहले कुछ करना सही नहीं होगा. उनके मामाजी के विचार से हमें अपनी लीगल रिमेडीज यानि कानूनी उपचार के अवसर कम नहीं करने चाहिए अर्थात, सिंगल बेंच, डबल बेंच और फिर आवश्यकता पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए. पर दिल्ली के वकील द्वारा विज्ञापन निकलने के पूर्व ही सुप्रीम कोर्ट आने की सलाह दी गई. ऐसी स्थिति में कोई सलाह अंतिम नहीं मानी जा सकती थी, अपने पास उपलब्ध सीमित समय, सीमित संसाधन और सीमित विकल्पों का शत-प्रतिशत प्रयोग अपरिहार्य था, साथ ही इस काम के लिए आ रहा पैसा कोई हराम का पैसा नहीं था जिसे मनमाने और हलके तरीके से बर्बाद कर दिया जाये. यहाँ पर अलग-अलग तरीकों से लड़ रहे साथियों ने भी अपने लक्ष्य को प्रमुखता देते हुए एक-दुसरे का सहयोग किया जो एक बड़ी उपलब्धि थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट में जहाँ भाई सुजीत सिंह ने भाई रत्नेश पाल की कई मुश्किलों के समाधान में सहयोग किया तो वही भाई सुजीत सिंह के द्वारा डिविजन बेंच में स्पेशल अपील के लिए धन की कमी बताये जाने पर दिल्ली में हुई उपरोक्त मीटिंग में आये सदस्यों की सहमति से अविलम्ब आनंद तिवारी जी के खाते में इकठ्ठा सहयोग राशि से उनकी जरुरत पूरी की गई. इस मीटिंग में आये साथियों ने हरदोई के साथियों द्वारा लखनऊ में दायर याचिका की जानकारी मिलने पर उनसे स्वयं संपर्क कर उनको विश्वास दिलाया और यह सुनिश्चित किया कि उनको हर संभव आवश्यक सहयोग समय पर मिले. वैसे इन साथियों का प्रयास साधुवाद का पात्र है. आनंद तिवारी के खाते में आये एक-एक पैसे का हिसाब हम सबके पास है जो कभी भी सार्वजानिक किया जा सकता है. साथ ही बताना चाहूँगा कि इस काम के लिए 3 दिन इलाहाबाद में रुके रत्नेश पाल और उनके साथियों द्वारा इलाहाबाद आने जाने, ठहरने और खाने के नाम पर एक भी रुपया इस कोष से नहीं लिया गया. आगे भी जरुरत पड़ने पर और आवश्यक होने पर हम अपने किसी मोर्चे को मजबूत करने के लिए सहयोग को प्रतिबद्ध हैं. पारदर्शिता हमारी पहली और आखिरी शर्त है. इस समूह की उपरोक्त गतिविधियों की पुष्टि सम्बंधित साथियों से कोई भी कर सकता है. यह साथी नाम के लिए नहीं, मात्र काम के लिए सक्रिय हैं . ये सुप्रीम कोर्ट में सीधे कूद पड़ने को आतुर लोगो की नहीं, स्थिति के अनुसार किसी भी हद तक अपने रूख में लचीलापन रखने को तैयार लोगो का एक गंभीर प्रयास था और एक अदृश्य कारक की तरह इस आन्दोलन को जिन्दा रखने का छोटा सा ही सही, पर ईमानदार प्रयास है.
• वैसे तमाम ईमानदार प्रयासों की आड़ में या इनके साथ, रिटों का मार्केट इलाहाबाद से लेकर लखनऊ तक गरमा गया है. सबकी रिटों के अपनी-अपनी यूएसपी है, अनमैच्ड फीचर हैं, किसी में कॉम्बो ऑफर है तो किसी में अर्ली-बर्ड ऑफर. किसी ऑफर में “जो-आएगा-वोही-पायेगा” की “शर्तें लागू” हैं तो किसी में ग्रुप में आने पर “ग्रुप-डिस्काउंट” तक मिल रहा है. कुछ इतनी गोपनीय हैं कि उनके फीचर्स देखने के पहले रजिस्ट्रेशन जरुरी है. कुछ का काम तो ख़ुफ़िया ब्यूरो की याद दिलाता है . पर ठहरिये, आप सब तो सिर्फ 2 दिसंबर 2011 को सरकार द्वारा प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर चयन प्रक्रिया पूरी करने भर के लिए लड़ रहे हैं न? फिर ये क्या है? असल में न्यायालय द्वारा केवल याचियों को लाभ दिए जाने की आशंका के मद्देनज़र जहाँ कुछ डरे हुए अभ्यर्थियों द्वारा रिटें डाली जा रही हैं वहीं कुछ लोगो द्वारा इसी भय का दोहन करके आम अभ्यर्थी को डराकर स्पोंसरशिप हासिल की जा रही है. कुछ लोग नाम के लिए रिट्स लांच कर रहे हैं तो कुछ काम के लिए, पर ये सब कुछ मनमाने तौर पर हो रहा है, सही और गलत में भेद करने का कोई पैमाना नहीं है पर निर्बाध गति से बन रहे ये छोटे-छोटे समूह क्या एकदम से हुए किसी जन-जागरण का परिणाम है या मुख्य संगठन से ख़त्म हो रहे विश्वास का?? कुछ याचिकाएं लांच हो चुकी है, कुछ होने वाली है तो कुछ प्रतीक्षासूची में हैं. यहाँ मेरा उद्देश्य किसी के प्रयासों या विचारों को कमतर दिखाना नहीं, एकदम से परिदृश्य में आई या आनेवाली याचिकाओं में से गंभीर और मजबूत याचिकाओं की पहचान में आनेवाली समस्या की और ध्यान दिलाना है. किस आधार पर अभ्यर्थी और संगठन किसी याचिका के बारे में निर्णय करें कि उसका सहयोग, समर्थन या बचाव किया जाये, अबतक जितने मोर्चे खुले, जितनी याचिकाएं पडी, उनका हश्र बताने की कोई जरूरत नहीं. प्रश्न गंभीर है, क्यूंकि अगर सारे साथी एक साथ मिलकर सागर का रूप लेते तो बड़े से बड़े पर्वत लील जाते. पर आज ये अभी कई नदियों के रूप में बंटे हुए प्रवाहमान हैं, फिर भी इनके वेग के सामने शत्रु का टिकना मुश्किल हो सकता है, अगर ये सब छोटे छोटे नालों और नालियों में बंट गए या बाँट दिए गए तो गिनती में बहुत होंगे पर परिणाम में शून्य. यह एक सामान्य टिप्पणी है जो किसी गंभीर, जानकार और जुझारू साथी द्वारा किये जाने वाले छोटे से सही, पर सही दिशा में सही तरीके से किये गए ईमानदार प्रयास पर लागू नहीं होती, और वो भी कोई चमत्कारिक परिणाम दे सकते हैं पर पिछले 8 महीने के घटनाक्रम को देखते हुए इसके भरोसे पर बैठे रहना बहुत बड़ा जुआ साबित हो सकता है.
• ऐसी स्थिति में कोई अपनी राय को अंतिम सत्य बताये तो यह प्रथमदृष्टया असत्य होगा. आज हम इलाहाबाद और लखनऊ में सिंगल बेंच में जूझ रहे हैं. इलाहाबाद वाले टंडन साहब ने हमारी बात सुनकर भी सरकार को 15 दिन के अन्दर विज्ञापन निकलने की अनुमति दी है वही लखनऊ में गुप्ता साहब ने सरकार द्वारा हफ्ते भर में जवाब न दिए जाने की स्थिति में याचियों को अंतरिम राहत दे डालने की चेतावनी दे दी है. डिविजन बेंच ने हमारी स्पेशल अपील डिसमिस करते हुए मामला सिंगल बेंच के पास ही लौटा दिया है और उसके निर्देश के बावजूद भी सिंगल बेंच से हमें सकारात्मक निर्णय नहीं मिला.
• आगे क्या होने वाला है, कहा नहीं जा सकता है. पर चूंकि सत्य हमारे साथ है, निराशा हमसे दूर ही रहे तो बेहतर है. विधि-विशेषज्ञों की राय में हम गलत नहीं, पीड़ित हैं, हमारा पक्ष मजबूत है. ऐसे में अब दो रास्ते हैं, पहला, विज्ञापन आने के पहले सुप्रीम कोर्ट जाना ताकि वो आ ही न पाए या सिंगल बेंच को हमारे पक्ष में कोई निर्देश दिया जाये, और दूसरा, विज्ञापन आने के बाद सुप्रीम कोर्ट जाना. वैसे विज्ञापन आने के बाद कुछ न कुछ करना विकल्प नहीं, मज़बूरी है, इस से कोई इंकार नहीं कर सकता, पर शायद उस स्थिति में भी सुप्रीम कोर्ट नहीं, सिंगल बेंच में ही जाना पड़ेगा. कुल मिलाकर विज्ञापन के पहले सीधे सुप्रीम कोर्ट जाना, और बाद में नए सिरे से सिंगल बेंच, डबल बेंच होते हुए सुप्रीम कोर्ट जाना, ये दो विकल्प नहीं, दो मौके हैं. दूसरा अपरिहार्य है पर पहला अगर हाथ से निकल गया तो दोबारा नहीं मिलेगा. लखनऊ के हालिया आदेश से राहत पाकर अब यह प्रयास हो रहे है कि अभ्यर्थियों में बढ़ रही बेचैन और हो सकने वाले नुकसान के मद्देनज़र शीघ्रातिशीघ्र अब वकीलों के बजाय मामले को सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस सहायता समिति के सामने रखकर इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट जाने न जाने के मुद्दे पर, उनकी राय का अनुपालन किया जाये जहाँ के पैनल में वरिष्ठ अधिवक्ता ही होते हैं. और व्यक्तिगत सनक, दुराग्रह, विचार, राय या जिद्द के बजाय अगर सामूहिक हित के लिए कानूनी सिद्धांतों , प्रक्रियाओं और विशेषज्ञों को वरीयता दी जाये तो वर्तमान संक्रमणकाल में शायद ही किसी को आपत्ति हो.
• इस लड़ाई के सभी मोर्चों में समन्वय, आपसी तालमेल, सोच-समझकर लिए जाने वाले निर्णय, कानूनी सलाह को वरीयता , संगठन की मजबूती और आम अभ्यर्थी के विश्वास व मनोबल को बनाये रखने के लिए सबको साथ लेकर चलना अपरिहार्य है, समय की आवश्यकता है. ताकि साथी न बंटे, शक्ति न बंटे और संसाधन न बंटे. और समय रहते स्थिति के वास्तविक मूल्याङ्कन करने, आवश्यक रणनीति बनाने और उसके लिए समय से तैयार हो जाने के लिए अब परस्पर विचार-विमर्श की महती आवश्यकता है. बेहतर होगा कि सबलोग मिलकर जल्द से जल्द एक तिथि, समय और स्थान आपस में तय करे एवं तदनुसार एक बैठक का आयोजन करें ताकि संभावित बिखराव को रोका जा सके और विजय के पथ पर ठोस कदम बढ़ाये जा सके. एक आम अभ्यर्थी को अपने अग्रणी साथियों से अभी बहुत आशा है.
• निराश हो चले साथियों से केवल इतना कहूँगा कि अगर सरकार के खिलाफ भी हमारी लड़ाई पिछले 9 महीने से जिन्दा है तो यह हमारे पक्ष की मजबूती का ही नतीजा है. दूसरा जब आपको विश्वास है कि आपके साथ अन्याय हुआ है तो उसके विरुद्ध लड़ना ही पौरुष है.
• लखनऊ उच्च न्यायालय में अरविन्द सिंह जी और उनके साथियों द्वारा दायर मुक़दमे में कोर्ट में सरकार द्वारा एक हफ्ते में जवाबी हलफनामा न दाखिल करने की स्थिति में अंतरिम राहत की याचिका को निस्तारित कर देने की चेतावनी निस्संदेह जहाँ इलाहाबाद के घटनाक्रम से निराश अभ्यर्थियों के लिए संजीवनी सिद्ध हुई है, वहीं मदांध सरकार के लिए एक कडवे सच से साक्षात्कार ! शायद सरकार को अब आभास हो कि राज सरकार का नहीं, असल में कानून का होता है, जो न्याय और सत्य के लिए है न कि व्यक्तिगत और राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए.
• इस याचिका में सरकार द्वारा हाल में किये गए पन्द्रहवें संशोधन के मार्फ़त टी.ई.टी. मेरिट के स्थान पर एकादेमिक प्रदर्शन के आधार पर बनाये गए गुणांक मेरिट के फार्मूले को राज्य में संचालित अलग-अलग बोर्डों, विश्व-विद्यालयों की परस्पर भिन्नता वाली मूल्याङ्कन-पद्धति का हवाला देते हुए सिरे से अतार्किक और अव्यवहारिक बताते हुए इस संशोधन को ही निरस्त करने की मांग भी की है. इस याचिका का जवाब देने में शायद सरकार को इतनी परेशानी हो रही है कि पिछले आठ महीने में पहली बार इस मामले में स्केलिंग की सम्भावना तलाशने की खबर अख़बारों में स्पष्ट तौर पे जताई गई. पर यहाँ सरकार एक और नए मकडजाल में उलझने जा रही है. असल में मुद्दा यहाँ बेहतर प्रक्रिया के निर्धारण का नहीं, टी.ई.टी. मेरिट के आधार पर चयन के लिए प्रारंभ की गई एक विधि-सम्मत , वैध और तर्कसंगत प्रक्रिया में निहित राजनैतिक स्वार्थों के लिए परिवर्तन करने की सरकार की नीयत, शक्ति, वैधता और सामर्थ्य का है. पर अगर देखा भी जाये तो अब तक अगर कही हुआ है तो स्केलिंग पद्धति का प्रयोग अभी तक अर्हता निर्धारण यानि कट-ऑफ निर्धारण के लिए होता आया है, चयन के आधार के रूप में नहीं. आप किसी प्रक्रिया में शामिल होने के लिए उ.प्र. बोर्ड के 60% और सी.बी.एस.ई. बोर्ड के 80% को को अर्ह मानते हैं तो सम्बंधित बोर्डों के इस से अधिक अंक पाने वाले सभी अभ्यर्थी अर्ह माने जाते हैं. पर अगर आप किसी चयन के लिए स्केलिंग को अपनाते हैं तो इस मानक के आधार पर जब यू.पी. बोर्ड का 1 प्रतिशत अंक सी.बी.ई.सी.बोर्ड के 1.33 प्रतिशत अंक के बराबर है, ऐसे में तो यू.पी. बोर्ड में 90 प्रतिशत अंक पाने वाले अभ्यर्थी को पछाड़ने के लिए बेचारे सी.बी.एस.ई. वाले अभ्यर्थी को तो 120 प्रतिशत की जरूरत होगी जो असंभव है. साथ ही बी.एड. में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के आधार पर 12, 6 और 3 गुणांक देने के लिए क्या सरकार यह फिर से तय करने की हैसियत में होगी कि फलानी युनिवेर्सिटी में 60 प्रतिशत एवं ऊपर वालों को प्रथम श्रेणी, 45 प्रतिशत एवं ऊपर वालों को द्वितीय श्रेणी और 33 प्रतिशत एवं ऊपर वालों को तृतीय श्रेणी में रखा जायेगा और फलानी यूनिवर्सिटी के ये प्रतिशत क्रमशः 80, 55 एवं 40 होंगे? फिर तो विभिन्न विश्व-विद्यालयों की उपाधियों में भेद-भाव का एक नया मामला बनेगा और जिन युनिवर्सिटियों के छात्र इस वजह से पिछड़ेंगे, वो क्या कोर्ट केसेज की झड़ी नहीं लगा देंगे? वैसे यह अभी एक सम्भावना मात्र है पर आशा है कि हमारी चुनी हुई सरकार भी इस नज़रिए से मामले को देखेगी.
• हाल ही में जिस प्रकार से नियुक्ति के स्थान पर फिलहाल VBTC प्रशिक्षण के लिए विज्ञापन आने कि सम्भावना के मद्देनज़र टी.ई.टी. फेल बी.एड. धारकों ने इस में आवेदन करने का जो दावा पेश किया है, वर्तमान नियमों के हिसाब से उसमे काफी वज़न है क्यूंकि वाकई में नियमावली के अनुसार प्रशिक्षण के लिए सरकार न टी.ई.टी. अर्हता मांग सकती है न ही टी.ई.टी. फेल बी.एड. वालों को इसमें बैठने से रोक सकती है.
• पर यह तो मात्र एक शुरुआत है, लड़ाई अभी बाकी है. पिछले 8 महीने में स्थितियों में नाटकीय परिवर्तन हुए है, हमें भविष्य में आ सकने वाली हर संभावित किसी अनिश्चितता, किसी भी संभावना का अंदाजा लगाना होगा, उसके संभावित दुष्परिणामों का आंकलन करना होगा और समय रहते संभावित समाधान और विकल्प तलाश कर, अवसर उत्पन्न होते ही तत्काल उसके प्रतिकार के लिए समर्थ और सन्नद्ध रहना होगा. इस स्थिति में केवल अपने विचारों पर अड़े रहने की हठधर्मिता, दूसरों के विचारों को बिना विचार किये नकार देने की वैचारिक कूपमंडूकता और व्यक्तिगत अहम् के टकराव के कारण किसी व्यक्ति को साथ न लेने वाली छुआ-छूत संगठन और एकता के लिए बहुत खतरनाक सिद्ध हो सकती है.
• आज मुकदमों की स्थिति को लेकर कानूनी राय बंटी हुई है. व्यक्तिगत पसंद को परे रखकर, शुद्ध कानूनी रूप से स्थिति के आंकलन, संभावित विकल्पों की तलाश, संगठन को बचाए रखने और प्रदेश भर के अभ्यर्थियों का विश्वास और मनोबल बनाये रखने और भिन्न-भिन्न राय रखने के बावजूद इस लड़ाई से जुड़े हर साथी को साथ रखने, और इस लड़ाई के हर गंभीर मोर्चे पर लड़ रहे साथियों को हर संभव सहयोग करने के उद्देश्य से दिल्ली में पिछले महीने 16 व 17 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट के वकील श्री आनंद मिश्रा जी की मौजूदगी में हुई दो-दिवसीय खुली और पारदर्शी बैठक काफी हद तक सफल हुई, ध्यान दें कि ये मीटिंग किसी कमिटी की नहीं, इस लड़ाई से नौकरी पाने के लिए आशावान और लड़ने के लिए तैयार हर आम अभ्यर्थी की मीटिंग थी, जिसमे प्रदेश भर से 50 से अधिक साथी आये, वकील साहब की मौजूदगी में अपने विचार रखे, अपनी शंकाएं रखी और इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही की अपनी जिद पर अड़े रहने के बजाय हर आगंतुक ने स्थितियों के अनुसार अपने रुख में लचीलापन रखने और तदनुसार निर्णय लेने और बदलने पर सहमति दी. इस मीटिंग में भाई विवेक सिंह (प्रतापगढ़), रत्नेश पाल (कानपूर), देवेन्द्र सिंह (दिल्ली), एस.बी.सिंह (दिल्ली), आनंद तिवारी (दिल्ली), प्रमोद पाण्डेय (दिल्ली), कुमार नीरज (दिल्ली), शिव कुमार (गाज़ियाबाद), विजय सिंह तोमर (कानपूर), अलकेश प्रजापति (दिल्ली), विपिन तिवारी (प्रतापगढ़), अमित मिश्रा (औरैय्या), नीलेश पुरोहित (ललितपुर) के साथ साथ हरीश गंगवार (बरेली), के साथ साथ विकास कुमार. सुरेन्द्र सिंह सहित मेरठ, हापुड़ और तमाम जिलो के प्रतिनिधि थे. इस मीटिंग ने एक ऐसा समूह खड़ा करने में मदद की जो इस बड़ी लड़ाई के हर मोर्चे को मजबूती देने के प्रयास में तो रहेगा ही, आवश्यकता पड़ने पर स्वयं भी एक्शन लेने में परहेज नहीं करेगा. जरुरी हुआ तो इलाहबाद और लखनऊ या कही भी, किसी भी याची के साथ जुड़ने को तैयार है अगर जीत के लिए ऐसा करने को तैयार है, पर आवश्यकता पड़ने पर स्वयं भी एक्शन लेने में परहेज नहीं करेगा. इसकी पारदर्शिता, खुलापन और लचीलापन ही इसकी शक्ति है और इसके प्रति अल्पकाल में लोगो में इसके प्रति विश्वास और उनके समर्थन का कारण, क्यूंकि यह किसी से अलग नहीं, सबके साथ है. मीटिंग में आये साथियों के साथ साथ, तमाम साथी जो चाहकर नहीं आ पाए, उन्होंने भी इस लड़ाई में वैचारिक और आर्थिक सहयोग तक किया, (दिल्ली में मिले जिन साथियों के नाम यहाँ नहीं हैं, उनका महत्त्व किसी भी प्रकार से कम नहीं होता, पर अगर आप यह पोस्ट पढ़ रहे हैं तो कृपया एक कमेन्ट द्वारा अन्य को अवगत कराएँ) ).
• इस मीटिंग से यह स्पष्ट हुआ कि यदि एक आम अभ्यर्थी को विश्वास हो जाये की उसकी लड़ाई इमानदारी से लड़ी जा रही है तो वह हर संभव सहयोग करने को तत्पर है और आर्थिक तंगी इस लड़ाई में बाधा नहीं बनेगी. इस मीटिंग के परिणाम स्वरुप न सिर्फ तत्कालीन स्थिति के अनुसार आनन्-फानन में सुप्रीम कोर्ट में सीधे विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने के बजाय पहले हाईकोर्ट में डिविजन बेंच में स्पेशल अपील का परिणाम देखने की सहमति बनी.
• 19 व 20 सितम्बर को इलाहाबाद के कई वकीलों से गहन विचार-विमर्श के अलावा शीर्ष कानूनी दिग्गज आर. के. जैन साहब से इस मुद्दे पर रत्नेश पाल, पुनीत सिंह (प्रतापगढ़) शलभ तिवारी (हरदोई), विनोद सिंह व अवधेश तिवारी (इलाहाबाद), धर्मेन्द्र श्रीवास्तव (उन्नाव) व मेरी उपस्थिति में एक पारदर्शी विचार-विमर्श हुआ, जिसमे उन्होंने हाई कोर्ट में स्पेशल अपील अभी न करने और विज्ञापन आने के बाद ही कोई कदम उठाने की सलाह दी. इसी बीच देवरिया के भाई प्रियरंजन वर्मा जी ने अपने मामा जी, पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता, भारत सरकार, श्री अमरेन्द्र शरण जी से इस मामले की चर्चा के बाद हम सबको बताया कि अभी विज्ञापन आने के पहले कुछ करना सही नहीं होगा. उनके मामाजी के विचार से हमें अपनी लीगल रिमेडीज यानि कानूनी उपचार के अवसर कम नहीं करने चाहिए अर्थात, सिंगल बेंच, डबल बेंच और फिर आवश्यकता पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए. पर दिल्ली के वकील द्वारा विज्ञापन निकलने के पूर्व ही सुप्रीम कोर्ट आने की सलाह दी गई. ऐसी स्थिति में कोई सलाह अंतिम नहीं मानी जा सकती थी, अपने पास उपलब्ध सीमित समय, सीमित संसाधन और सीमित विकल्पों का शत-प्रतिशत प्रयोग अपरिहार्य था, साथ ही इस काम के लिए आ रहा पैसा कोई हराम का पैसा नहीं था जिसे मनमाने और हलके तरीके से बर्बाद कर दिया जाये. यहाँ पर अलग-अलग तरीकों से लड़ रहे साथियों ने भी अपने लक्ष्य को प्रमुखता देते हुए एक-दुसरे का सहयोग किया जो एक बड़ी उपलब्धि थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट में जहाँ भाई सुजीत सिंह ने भाई रत्नेश पाल की कई मुश्किलों के समाधान में सहयोग किया तो वही भाई सुजीत सिंह के द्वारा डिविजन बेंच में स्पेशल अपील के लिए धन की कमी बताये जाने पर दिल्ली में हुई उपरोक्त मीटिंग में आये सदस्यों की सहमति से अविलम्ब आनंद तिवारी जी के खाते में इकठ्ठा सहयोग राशि से उनकी जरुरत पूरी की गई. इस मीटिंग में आये साथियों ने हरदोई के साथियों द्वारा लखनऊ में दायर याचिका की जानकारी मिलने पर उनसे स्वयं संपर्क कर उनको विश्वास दिलाया और यह सुनिश्चित किया कि उनको हर संभव आवश्यक सहयोग समय पर मिले. वैसे इन साथियों का प्रयास साधुवाद का पात्र है. आनंद तिवारी के खाते में आये एक-एक पैसे का हिसाब हम सबके पास है जो कभी भी सार्वजानिक किया जा सकता है. साथ ही बताना चाहूँगा कि इस काम के लिए 3 दिन इलाहाबाद में रुके रत्नेश पाल और उनके साथियों द्वारा इलाहाबाद आने जाने, ठहरने और खाने के नाम पर एक भी रुपया इस कोष से नहीं लिया गया. आगे भी जरुरत पड़ने पर और आवश्यक होने पर हम अपने किसी मोर्चे को मजबूत करने के लिए सहयोग को प्रतिबद्ध हैं. पारदर्शिता हमारी पहली और आखिरी शर्त है. इस समूह की उपरोक्त गतिविधियों की पुष्टि सम्बंधित साथियों से कोई भी कर सकता है. यह साथी नाम के लिए नहीं, मात्र काम के लिए सक्रिय हैं . ये सुप्रीम कोर्ट में सीधे कूद पड़ने को आतुर लोगो की नहीं, स्थिति के अनुसार किसी भी हद तक अपने रूख में लचीलापन रखने को तैयार लोगो का एक गंभीर प्रयास था और एक अदृश्य कारक की तरह इस आन्दोलन को जिन्दा रखने का छोटा सा ही सही, पर ईमानदार प्रयास है.
• वैसे तमाम ईमानदार प्रयासों की आड़ में या इनके साथ, रिटों का मार्केट इलाहाबाद से लेकर लखनऊ तक गरमा गया है. सबकी रिटों के अपनी-अपनी यूएसपी है, अनमैच्ड फीचर हैं, किसी में कॉम्बो ऑफर है तो किसी में अर्ली-बर्ड ऑफर. किसी ऑफर में “जो-आएगा-वोही-पायेगा” की “शर्तें लागू” हैं तो किसी में ग्रुप में आने पर “ग्रुप-डिस्काउंट” तक मिल रहा है. कुछ इतनी गोपनीय हैं कि उनके फीचर्स देखने के पहले रजिस्ट्रेशन जरुरी है. कुछ का काम तो ख़ुफ़िया ब्यूरो की याद दिलाता है . पर ठहरिये, आप सब तो सिर्फ 2 दिसंबर 2011 को सरकार द्वारा प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर चयन प्रक्रिया पूरी करने भर के लिए लड़ रहे हैं न? फिर ये क्या है? असल में न्यायालय द्वारा केवल याचियों को लाभ दिए जाने की आशंका के मद्देनज़र जहाँ कुछ डरे हुए अभ्यर्थियों द्वारा रिटें डाली जा रही हैं वहीं कुछ लोगो द्वारा इसी भय का दोहन करके आम अभ्यर्थी को डराकर स्पोंसरशिप हासिल की जा रही है. कुछ लोग नाम के लिए रिट्स लांच कर रहे हैं तो कुछ काम के लिए, पर ये सब कुछ मनमाने तौर पर हो रहा है, सही और गलत में भेद करने का कोई पैमाना नहीं है पर निर्बाध गति से बन रहे ये छोटे-छोटे समूह क्या एकदम से हुए किसी जन-जागरण का परिणाम है या मुख्य संगठन से ख़त्म हो रहे विश्वास का?? कुछ याचिकाएं लांच हो चुकी है, कुछ होने वाली है तो कुछ प्रतीक्षासूची में हैं. यहाँ मेरा उद्देश्य किसी के प्रयासों या विचारों को कमतर दिखाना नहीं, एकदम से परिदृश्य में आई या आनेवाली याचिकाओं में से गंभीर और मजबूत याचिकाओं की पहचान में आनेवाली समस्या की और ध्यान दिलाना है. किस आधार पर अभ्यर्थी और संगठन किसी याचिका के बारे में निर्णय करें कि उसका सहयोग, समर्थन या बचाव किया जाये, अबतक जितने मोर्चे खुले, जितनी याचिकाएं पडी, उनका हश्र बताने की कोई जरूरत नहीं. प्रश्न गंभीर है, क्यूंकि अगर सारे साथी एक साथ मिलकर सागर का रूप लेते तो बड़े से बड़े पर्वत लील जाते. पर आज ये अभी कई नदियों के रूप में बंटे हुए प्रवाहमान हैं, फिर भी इनके वेग के सामने शत्रु का टिकना मुश्किल हो सकता है, अगर ये सब छोटे छोटे नालों और नालियों में बंट गए या बाँट दिए गए तो गिनती में बहुत होंगे पर परिणाम में शून्य. यह एक सामान्य टिप्पणी है जो किसी गंभीर, जानकार और जुझारू साथी द्वारा किये जाने वाले छोटे से सही, पर सही दिशा में सही तरीके से किये गए ईमानदार प्रयास पर लागू नहीं होती, और वो भी कोई चमत्कारिक परिणाम दे सकते हैं पर पिछले 8 महीने के घटनाक्रम को देखते हुए इसके भरोसे पर बैठे रहना बहुत बड़ा जुआ साबित हो सकता है.
• ऐसी स्थिति में कोई अपनी राय को अंतिम सत्य बताये तो यह प्रथमदृष्टया असत्य होगा. आज हम इलाहाबाद और लखनऊ में सिंगल बेंच में जूझ रहे हैं. इलाहाबाद वाले टंडन साहब ने हमारी बात सुनकर भी सरकार को 15 दिन के अन्दर विज्ञापन निकलने की अनुमति दी है वही लखनऊ में गुप्ता साहब ने सरकार द्वारा हफ्ते भर में जवाब न दिए जाने की स्थिति में याचियों को अंतरिम राहत दे डालने की चेतावनी दे दी है. डिविजन बेंच ने हमारी स्पेशल अपील डिसमिस करते हुए मामला सिंगल बेंच के पास ही लौटा दिया है और उसके निर्देश के बावजूद भी सिंगल बेंच से हमें सकारात्मक निर्णय नहीं मिला.
• आगे क्या होने वाला है, कहा नहीं जा सकता है. पर चूंकि सत्य हमारे साथ है, निराशा हमसे दूर ही रहे तो बेहतर है. विधि-विशेषज्ञों की राय में हम गलत नहीं, पीड़ित हैं, हमारा पक्ष मजबूत है. ऐसे में अब दो रास्ते हैं, पहला, विज्ञापन आने के पहले सुप्रीम कोर्ट जाना ताकि वो आ ही न पाए या सिंगल बेंच को हमारे पक्ष में कोई निर्देश दिया जाये, और दूसरा, विज्ञापन आने के बाद सुप्रीम कोर्ट जाना. वैसे विज्ञापन आने के बाद कुछ न कुछ करना विकल्प नहीं, मज़बूरी है, इस से कोई इंकार नहीं कर सकता, पर शायद उस स्थिति में भी सुप्रीम कोर्ट नहीं, सिंगल बेंच में ही जाना पड़ेगा. कुल मिलाकर विज्ञापन के पहले सीधे सुप्रीम कोर्ट जाना, और बाद में नए सिरे से सिंगल बेंच, डबल बेंच होते हुए सुप्रीम कोर्ट जाना, ये दो विकल्प नहीं, दो मौके हैं. दूसरा अपरिहार्य है पर पहला अगर हाथ से निकल गया तो दोबारा नहीं मिलेगा. लखनऊ के हालिया आदेश से राहत पाकर अब यह प्रयास हो रहे है कि अभ्यर्थियों में बढ़ रही बेचैन और हो सकने वाले नुकसान के मद्देनज़र शीघ्रातिशीघ्र अब वकीलों के बजाय मामले को सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस सहायता समिति के सामने रखकर इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट जाने न जाने के मुद्दे पर, उनकी राय का अनुपालन किया जाये जहाँ के पैनल में वरिष्ठ अधिवक्ता ही होते हैं. और व्यक्तिगत सनक, दुराग्रह, विचार, राय या जिद्द के बजाय अगर सामूहिक हित के लिए कानूनी सिद्धांतों , प्रक्रियाओं और विशेषज्ञों को वरीयता दी जाये तो वर्तमान संक्रमणकाल में शायद ही किसी को आपत्ति हो.
• इस लड़ाई के सभी मोर्चों में समन्वय, आपसी तालमेल, सोच-समझकर लिए जाने वाले निर्णय, कानूनी सलाह को वरीयता , संगठन की मजबूती और आम अभ्यर्थी के विश्वास व मनोबल को बनाये रखने के लिए सबको साथ लेकर चलना अपरिहार्य है, समय की आवश्यकता है. ताकि साथी न बंटे, शक्ति न बंटे और संसाधन न बंटे. और समय रहते स्थिति के वास्तविक मूल्याङ्कन करने, आवश्यक रणनीति बनाने और उसके लिए समय से तैयार हो जाने के लिए अब परस्पर विचार-विमर्श की महती आवश्यकता है. बेहतर होगा कि सबलोग मिलकर जल्द से जल्द एक तिथि, समय और स्थान आपस में तय करे एवं तदनुसार एक बैठक का आयोजन करें ताकि संभावित बिखराव को रोका जा सके और विजय के पथ पर ठोस कदम बढ़ाये जा सके. एक आम अभ्यर्थी को अपने अग्रणी साथियों से अभी बहुत आशा है.
इतनी बड़ी पोस्ट के लिए क्षमाप्रार्थना के साथ
आपका साथी
श्याम देव मिश्रा
Source - http://shyamdevmishra.jagranjunction.com/2012/10/05/october-5-2012-an-overview-of-state-of-affairs-on-recruitment-of-72825-trainee-teachers-in-uttar-pradesh/आपका साथी
श्याम देव मिश्रा
92 comments:
Shyamdev bhai and team ko raghuvanshi ki taraf se dhanyavad. Aapke prayas nihsandeh sarahniy aur preranadayi hain. Punah Dhanyavad.
Rightly said..
shyam dev mishra tum sangharsh karo ham tumhare saath hain kisi bhi prakar (tan man dhan) ki kami nahin hone dege.
ABE KU BHARTI RUKBANE K CHAKKAR ME HO
S.D.bhai aap ek great wark kar rahe hi but kush harami k pille jo apne ko bharti ka supproter bolte hi wo ulte comment. Dege lekin aap unhe ignore kar dena ant me aap ko v.v.thanks
FRIENDS..B.ED 2011-12 ke candidates jo tet paas kar certificate bhi le chuke hain.. kya vo bharti ke liye apply kar sakte hain..as now they hv got marksheets also
Pahle bharti to aane do apply baad me karna waise mai to yehi chahunga ki bharti ho base chahe kuch bhi ho
@umesh vermat ji
jab appear walon ko sarkar ne roka nahin tha to we to waise hi valid ho gaye hain aur abto b.ed. marksheet bhi aa gai hai.
ab bharti 2012 hai jisme we kanuni roop se eligible hain aur waise bhi appear walon ke liye yahi niyam hota hai ki ve vacancy k samay marksheet uplabdh karayen.
shyam dev ji
thanhs ham apke sath h
Sunil Kr. Tiwari ji..thanks for yr words..par kuch log keh rahe hain ki B.ed 2011-12 volo ko TET certificate to mil gaya hai par vo valid nahi hoga..kuki vo us samay unke exams nahi the..plz gv yr views
THANKS SHYAM DEV JI HUM APKE SATH HAI JEET HMARI HOGI
THANKS SHYAM DEV JI HUM APKE SATH HAI JEET HMARI HOGI
SS
SS
dev ji aap tet merit walo ko kewal pagal banate rahenge,kewal kuch rupee ki khatir.
jaha total 100 me se hai waha koi anter nahi kar sakta.
1-btc2010 me accd per hone wali bharti me kuch log board ko leker court gaye the kuch nahi hua.ager kuch ho sakta tha to waha bhi hota , nahi hua ab bhi nahi hoga.
2-ager aap cbse/upboard me anter bata rahe hai ,to CENTRAL UNI. and STATE UNI. me bhi 25% ka anter hota hai.central Hons 50% per deti hai ,state 75% per.
3-ager aap process rukwane ki baat ker rahe hai to pehle LT(G.I.C.) ka rukwa ke dekhwa do.
4-IIT me kabhi merit per kabhi nahi hota hai,phir merit kaha se aagyi,scaling to kewal last student ka manak hai,jo ki sarkari naukari me kabhi manye nahi hoga.
5-process sarkar ke haat me hai kabhi nahi ruk sakta.aap tet merit per kaewane wale the , jab abi court ne nahi roka phir kab rokega.
6- kuch logo ko rupee kamane ka accha plateform mil gaya hai.
dev ji aap tet merit walo ko kewal pagal banate rahenge,kewal kuch rupee ki khatir.
jaha total 100 me se hai waha koi anter nahi kar sakta.
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Central University and State University or deemed Uni. me bhi 25% or more ka anter hota hai.
central university
BSc/BA/BCOM/Bed/med/MA/MSC
>50% Hons Degree
<50% only pass Degree
State university or deemed uni.
BSC/BA/BCOM/BED/MED/MA/MSC
>75% Hons Degree
<75% only pass Degree
This may lead to a large difference.
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pehle LT(G.I.C) 1427 boys ki vacancy ka rukwake dikha de ager dam hai to.
ye style bahut acchi hai ki sabi aapne aapne tet
1-tet roll no de
2-name de
3-mail.id de
4-fir rupee de
2,4 lakh collect ho jayega,usme se 50-60 hazar writ me kharch ho jayenge,waki bach jayenge.
abhi to en logo ka ho bhi jayega warna 1-2 mahine bad tet2012 hone ke bad kabhi nahi hoga.
AGER DAM HAI TO LT(G.I.C.)KI RUKWA KE DIKHBAO USME BHI TO SAME METHOD HAI.
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Aa gya mangne paiso ko. SDM ke pas paise khatm ho gaye.
बीटीसी की नियुक्तियों के लिए आठ से विज्ञापन
लखनऊ (ब्यूरो)। बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी और उर्दू प्रवीणता धारियों को शिक्षक के रूप में भर्ती करने के लिए आगमी सोमवार सेविज्ञापन जारी करने केलिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेशदे दिए गए हैं।
प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार ने बीटीसी 2004 और विशिष्टबीटीसी 2004 से लेकर 2008 तक तथाइसी अवधि के उर्दू प्रवीणताधारियों को शिक्षक बनाने के लिए पिछले दिनों शासनादेश जारी किया था। 9770 पदों के लिए भर्ती की जानी है। शासनादेश के अनुसार सात अक्तूबर तक विज्ञापन निकालने और 31 दिसम्बर तक सारी प्रक्रिया पूरी कर ज्वाइन कराने को कहा गया था। अब बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से प्रदेश के समस्त जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को विज्ञापन जारी करने की कार्रवाई सोमवार से शुरू करने को कहा गया है। इसके लिए जिलेवार आवेदन लिए जाएंगे।
आगरा में भरे जाएंगे 300 पद
आगरा। बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी और उर्दू बीटीसी प्रशिक्षित और टीईटी को पास करने वालों की भर्तीके शासनादेश हो चुके हैं। जिलेवार इनकी नियुक्ति की संख्याभी शुक्रवार को बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालयों को प्राप्त हो गई। आगरा जिले में 300 पद भरे जाएंगे।
बेसिक शिक्षा सचिव, इलाहाबाद ने सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि आठ अक्तूबर तक नियुक्ति की विज्ञप्ति प्रकाशित कर दी जाए। 31 दिसंबर 2012 तक चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्ण करनी है। आगरा जनपद के अलावा फीरोजाबाद में 120, मैनपुरी में 130, अलीगढ़ में 130, कांशीराम नगर में 100, एटा में 100, हाथरस में 60 और मथुरा में 300 नियुक्तियां होनी है।
खास बात यह है कि आवेदन को लेकर आवेदकों को बेसिक शिक्षा अधिकारीकार्यालय का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा। आनलाइन आवेदन किए जाएंगे।
Nishant !
Ma..d..c..d.
SDM sir jo kr rhe hain hum sb unke sath hain .
Kutte ki aulad! Tum sb apne ap ko smjhte kya ho? Bhrti hogi aur kewal tet merit pr hogi.
Tum salon ne abhi Ramchandra Raghuwansi se mulakat nahi ki hai. Phle usse milo.
Ab to bechaini bad gayi ab to clear ho gaya ki advt b ed walo ke liye aana ashambhav hai
ONLY BHARTI SUPPORTER
Yar b ed ke liye vigyapan nhi aa rha hai. Aur na hi bharti ho rhi hai.
abhinay ji namaskar. Kaise ho dost bahut din baad aaye. Dost plz btc4 tet pass walo ki bulandshahar,hapur.meerut,ghaziabad,noida or baghpat me kitni seat h.
@ NISHANT
TUM KYON PAGAL HUE JA RAHE HO MAMLA ABHI COURT ME HAI AUR ACADEMIC SUPPORTER NE WRIT DALNE KI SURUAT KI THI TAB TO BADE KHUSH HO RAHE THE TO AB KYON FAT RAHI HAI JISKA HAK CHHINEGA WO TO COURT JAYE GA HI .
AAKHIR JEET SATY KI HOGI BHAROSA RAKHO.
Dosto tgt/pgt ki taiyary shuru kr do... प्रतियोगी छात्रों
ने किया प्रदर्शन
इलाहाबाद : अध्यक्ष व
सदस्यों के रिक्त
पदों को भरने,
नियुक्ति प्रक्रिया को
शीघ्र शुरू करने,
साक्षात्कार के
न्यूनतम अंक
निर्धारित करने
जैसी विभिन्न
मांगों को लेकर
प्रतियोगी छात्रों ने
शुक्रवार
को माध्यमिक
शिक्षा सेवा चयन
बोर्ड के बाहर
प्रदर्शन किया। मनोज
सिंह यादव के नेतृत्व में
प्रतियोगियों ने
मुख्यमंत्री को संबोधित
ज्ञापन बोर्ड के सचिव
को सौंपा।
छात्रों का कहना है
कि बोर्ड में
प्रशिक्षित स्नातक व
प्रवक्ता के लगभग
दो हजार पदों को भरने
के लिए कई माह पूर्व
आवेदन मांगे गए थे।
अध्यक्ष व सदस्यों के पद
रिक्त होने के कारण
नियुक्ति प्रकिया नहीं
शुरू हो पा रही है। आंसर
की न जारी करने,
साक्षात्कार में
न्यूनतम और अधिकतम
अंक निर्धारित न होने
के कारण भ्रष्टाचार
हो रहा है।
प्रतियोगी छात्रों ने
नियुक्ति प्रक्रिया को
पारदर्शी बनाने और
घूसखोरी बंद करने
की मांग की।
प्रतियोगी छात्रों ने
चेतावनी दी है
कि यदि इसी माह
रिक्त पद नहीं भरे गए
और चयन
प्रक्रिया नहीं शुरू हुई
तो छात्र बड़े आंदोलन
को मजबूर होंगे।
D.k. Ji , i,m fine. Ab to khus honge aap.
8 k adv me 90% sambhawna hai gunak ki...
Abhinay ji is news me 72825 k baare me kuch nhi bataya gya kya adv b.ed walo k liye bhi hai.
Ye kya paglpanthi hai sirf 9770 btc, v.btc k liye adv aur 72825 b.ed tet walo k liye kuch nhi.
Shyam dev ji itna lamba bhasan dene ke liye dhanyawad. Waise aapki post padhne me jyada dikkat nahi hui kyuki isase bade bade bhasan hum jhel chuke hai . Lekin mai aapse puchhana chahta hu ki aap TET ke itne bade supporter kyu hai....?
Iske to sirf 3 karan ho sakte hai..-
1. Aaap khud TET pass ho.
2. Aap sirf TET supporter ki help karna chahte hai.
3. Aap sirf TET ki aad me paisa kamana chahte hai.
1. Agar aap itne hi vidwan hai aur TET acche numbaro se pass kiya hai to acd. kyu accha nahi hai...?
2. Aap kahte hai bharti sirf unki ho jinke tet marks acche ho. Aap hume ye bata sakte hai ki kitna no. pane wale tet me safe hai. Aur jo tet me safe hai unse 1-2 no. kam pane wala kya bharti ka adhikari nahi hai. Jisne hs se b.ed. tak acche no. laye aur kisi karan bas tet ke us safe abhyarthi se mahaj 1-2 no kam laya hai to kya aap usko nyay dila payenge.
3. Aap un TET pass abhyarthiyo ko job dilana chahte hai ya latkana chate hai. Kya tet me 110 no pane wala gen. condidate safe hai agar nahi to aap use kyu bargala rahe hai.
4. Last me mai aapse puchhna chahta hu ki aaj tak aapne sarkar ki kisi mansa ko rok paye hai. Aaj tak aapke paksh me koi nirnay court se mila....? Agar nahi to aap logo ko bahaka kar sif paisa kamane ke liye unke future ke sath khilwad nahi kar sakte.
thanx abhinay ji. Dost mene jo jile me seat punchi h plz plz un seato ka vyora de.
Dost me to apse contact karna chahta tha lekin mujhe aapka kahi b ph no nahi mila. Facebook mere se chala nahi.
@piush singh ji
piush singh ji aap achchhi tarah se jante hain ki 21-40 age wale candidates ki academic merit me samanta dhundhna bewkoofi hai aur bhi kai karan hain academic merit k against fir bhi aap acd acd chillate rahte hain comptetion exam se yadi job milegi to ye sabke saath samnta wali bat hogi jaise ki pahle btc exam hota tha.
aap poorwgrah tyag kar shyamdev mishra ka saath den.
thanx
@sunil ji
mitra mai acd supp. ki bat ya TET supp. ki bat se paresan nahi hu. Paresan hu to sirf bharti me hone wali deri se. Besak mere tet me kam marks aaye hai aur yah bhi satya hai ki marks kam aane ka kuchh vises karan bhi tha. Acd. bhi bahut achha nahi hai par roj college se aane ke bad sochta hu ki kas gov. job hoti. To ek bar bharti ho jaye to hona nahi hona clear ho jayega.
Thanks.
Lg rha hai sarkar bed walo ki bharti 2014 tk le jayegi
bharti to hogi hi use kaun liye ja rha hai 72825 ki vacancy sarkar kya hajam kar jayegi maine bahut se logon ko bas yahi comment karte dekha hai haise tet supporter bharti ke virodhi hon aap achchhi tarah se jante hain ki competative exame se jab other vacancy fill hoti hain jaise ssc railye etc to kya log apni marksheet ka dam dikhate hain nahin we apni yogyta exam me sabit karte hain aur fir ham b.ed. me ek exam qualify karke aaye hain wahan to kisi ne academik nahi mangi thi bhai itne se itne academik wale hi exam den baaki ghar jayen
bharti to hogi hi use kaun liye ja rha hai 72825 ki vacancy sarkar kya hajam kar jayegi maine bahut se logon ko bas yahi comment karte dekha hai haise tet supporter bharti ke virodhi hon aap achchhi tarah se jante hain ki competative exame se jab other vacancy fill hoti hain jaise ssc railye etc to kya log apni marksheet ka dam dikhate hain nahin we apni yogyta exam me sabit karte hain aur fir ham b.ed. me ek exam qualify karke aaye hain wahan to kisi ne academik nahi mangi thi bhai itne se itne academik wale hi exam den baaki ghar jayen
Tiwary ji right, 2014 me bharti hogi, ham aaj bhi whi hai jha par 10 mahine pahle the, kuch clear nhi hai.
march 2014 ke baad to bed wale prt teacher ke liye eligible bhi nahi honge. Ab kya hoga dosto humara
SUNIL KRUMAR JI
hum apki bhavnao ki kadder karte hai parunto aap sayad bhol rahe hai ki sarkar ab mayawati ki nahi hai sarkar ab mulayam ki hai . aur jis pirkar adhiktar state mein tet merit ko nakara ja raha hai to ye to up govt hai jo sirf apni marji chalan janti hai hum bhi sirf bharti chate hai chahe kisi base per ho baat rahi ssc ya railway ki to aap khud jante hai ki dhandli to har exam mein hoti hai parunto itni nahi jitni ki upexam mein hoti hai to phir aap kaise kahe sakte hai k tet supporter sabhi imandaari se marks lekar aaye hai ye baat acd per bhi lagu hoti hai parunto five finger not equal...
kya hum bed waale intazaar hi karte
rah jayenge na to court koi decision
le payega aur na hi gov bharti k liye
ad nikalegi.hum logon ko kathputli
bana diya hai par bhagwan in sabko
inki karni ki sazaa jaroor dega bhagwan kare jis takleef se hum log guzar rahe hain wo bhi bina kisi galti k usse 10guna jyada dard inhe
mile jo apne swarth me andhe hokar
pratidin hamara shashan kar rahe hain
haa to beta shyamdev mishra, tune beta khoob dhandha dundh liya hai paise kamane ka. Theek hai chal tu bhi maalamal ho ja. Par 1 baat bata du jab ghar wale tujhse kahte the padh le beta jeevan me kuchh karna hai hai tab to padha nahi college me ladkiyo ki peechhe ki badboo leta rha. Ab kahta hai babuji paise de do tet ki merit lagwani hai. To sun beta tu suprim court ja ya antarashtriya nyayaly tet ki merit nahi lag sakti qki
1. TET me ghotala hua.
2. TET ki meri all india me kahi
bhi nhi lagi.
Aur sun tere baap ko teacher banane se to koi rok nhi sakta bas tujh jese swarthi logo ki vajah se late ho rha hu. Tu b padh leta tu laundiyabazi na karta teri bhi merit mere jaise banti.......
1. Mere UPTET me Ist paper me 115 hain
2. UPTET IInd paper me 108 hain
3. Gunaank 65.63 hain
4. Academic 262 hai
5. Aur iske alawa CTET I & II clear hain
6. RTET I clear hai
7. HTET I clear hai
8. M.Ed. me appear hu.
Aur sun meri DOB 25/04/1990 hai yani tere bachcho ki barabar.
Ab lagwa kiski merit lagwayega.
Baap ki baat yaad kar ...... beta padh le padh le beta kuchh karna hai to. Tb baap ko chutiya samjhta tha. Ladkiyo ke peechhe goomta tha aur ghoom le ladkiyo ke peechhe tujhe to marna hai hamari to job me adanga mat daal kutte.
baap ji
kyon fenk rahe ho sabere sabere itni mehnat aur kisi job k liye karte to ye din dekhne padte
shubhra ji
maan ko udas maro ek andheri raat k baad ek nai subha aati hai usi pirkar jaldi hi bharti start hogi ye swarthi log jyada din tak bharti ko rok nahi payege sarkad apni marji se bharti karegi phir chahe kisi base per ho...
haa to beta shyamdev mishra, tune beta khoob dhandha dundh liya hai paise kamane ka. Theek hai chal tu bhi maalamal ho ja. Par 1 baat bata du jab ghar wale tujhse kahte the padh le beta jeevan me kuchh karna hai hai tab to padha nahi college me ladkiyo ki peechhe ki badboo leta rha. Ab kahta hai babuji paise de do tet ki merit lagwani hai. To sun beta tu suprim court ja ya antarashtriya nyayaly tet ki merit nahi lag sakti qki
1. TET me ghotala hua.
2. TET ki merit all india me kahi bhi nhi lagi.
Aur sun tere baap ko teacher banane se to koi rok nhi sakta bas tujh jese swarthi logo ki vajah se late ho rha hu. Tu b padh leta tu laundiyabazi na karta teri bhi merit mere jaise banti.......
1. Mere UPTET me Ist paper me 115 hain
2. UPTET IInd paper me 108 hain
3. Gunaank 65.63 hain
4. Academic 262 hai
5. Aur iske alawa CTET I & II clear hain
6. RTET I clear hai
7. HTET I clear hai
8. M.Ed. me appear hu.
Aur sun meri DOB 25/04/1990 hai yani tere bachcho ki barabar.
Ab lagwa kiski merit lagwayega.
Baap ki baat yaad kar ...... beta padh le padh le beta kuchh karna hai to. Tb baap ko chutiya samjhta tha. Ladkiyo ke peechhe goomta tha aur ghoom le ladkiyo ke peechhe tujhe to marna hai hamari to job me adanga mat daal kutte.
Kaha ho mitro kuchh good news batao nahi to mera heart attack me jan chali jayegi
agar sarkaar kahti hai ki tet me dhandhli hui hai to ye kiski galti hai kya un adhikariyon ki jo nishpaksh exam nahi karwa paye ya un
students ki jinhone exam diya. yadi niyukti ka aadhar change kiya gaya to ye kiski galti hai sarkar ki ya students ki yadi vigyapan nikalne me technical faults tha to ye vigyapan
nikalne walon ka fault tha ya students ka bina kisi karan students
aaj 10 mahine se kiski sajaa bhugat
rahe hain
bhosdi ke syamdev tu to job kar rha hai aur tu sabko yaha berojgaar dekhna chahta hai ye bharti rukwakar apni bahan chuda saale kutte hrami ki aulaad
absolutely right subhra ji
Mitro meri aap logo se request hai jis tarah se aaj yah blog saf suthra hai, ise banaye rakhe kyunki is blog par bahut si ladkiya bhi hai par ve galat sabdo ke prayog ke dar se is blog par kuchh comment nahi kar pati. Aur tamam abhibhavak bhi isase judhe hai.
Thanks to all.
Bap tu jhooth bolne me sabka bap hi but others me bilkul gadha tu sirf uptet mt 90 markspaya hi
piyush ji hum in adanga daalne walo se pareshaan hain tb aisi bhaasha use karni padti hai.
aur beta sunil hum tujhe saboot b de sakte hai hum tumhari tarah nhi fenkte hain. aur hame kewal education department me jana hai tabhi to m.ed. kar rhe hai. aur saale tujhse certificate nahi chahiye mujhe harami ke pille.
bhosdi ke umesh bol kya saboot dikhau
tum saale itna bhi nahi samjhte ki mujhe saalo kutto tumse jhoot bol kar kya milega.
BHONSDI WALO.
PHIR AA GYE TUM LOG APNA MAAM BADAL KE. LAOO CH...DAO APNI- APMI MAA BAHAN.
SABKA BAAP TO KEWAL EK HAI MERE BHAGWAN -SRI RAM**** JAI SHHREE RAM**** AB KEWAL ENHI KA SAHARA HAI
jai lund bali, band kar de shyam dev ke muh ki gali
shyam teri maa ki beep beep itni beep ki nikal jaye teri maa ki cheekh
sdm aur sunil tiwari jaise logo ki vajah se ye writ dal rahi hai jab bharti niklegi tab dekhna kitni dalwayenge ye abhi to add nikla bhi nahi aur na ye nikalne denge tiwari kahate hai ki 44% 10th/12th me lane wala grad/bed theory me 60-70% le aayega to uska gunak sahi hoga ,sab itne samajdar hi ki 44% wala 50% bhi nahi la sakta
pehle LT(G.I.C) 1427 boys ki vacancy ka rukwake dikha de ager dam hai to.
ye style bahut acchi hai ki sabi aapne aapne tet
1-tet roll no de
2-name de
3-mail.id de
4-fir rupee de
2,4 lakh collect ho jayega,usme se 50-60 hazar writ me kharch ho jayenge,waki bach jayenge.
abhi to en logo ka ho bhi jayega warna 1-2 mahine bad tet2012 hone ke bad kabhi nahi hoga.
AGER DAM HAI TO LT(G.I.C.)KI RUKWA KE DIKHBAO USME BHI TO SAME METHOD HAI
nishant said...
dev ji aap tet merit walo ko kewal pagal banate rahenge,kewal kuch rupee ki khatir.
jaha total 100 me se hai waha koi anter nahi kar sakta.
1-btc2010 me accd per hone wali bharti me kuch log board ko leker court gaye the kuch nahi hua.ager kuch ho sakta tha to waha bhi hota , nahi hua ab bhi nahi hoga.
2-ager aap cbse/upboard me anter bata rahe hai ,to CENTRAL UNI. and STATE UNI. me bhi 25% ka anter hota hai.central Hons 50% per deti hai ,state 75% per.
3-ager aap process rukwane ki baat ker rahe hai to pehle LT(G.I.C.) ka rukwa ke dekhwa do.
4-IIT me kabhi merit per kabhi nahi hota hai,phir merit kaha se aagyi,scaling to kewal last student ka manak hai,jo ki sarkari naukari me kabhi manye nahi hoga.
5-process sarkar ke haat me hai kabhi nahi ruk sakta.aap tet merit per kaewane wale the , jab abi court ne nahi roka phir kab rokega.
6- kuch logo ko rupee kamane ka accha plateform mil gaya hai.
BHAIYO AUR UNKI BAHANNO
SABHI LOG PAHALE ADVT DEKH LO . TAB AAGE KI RAJNITI TAY KARNA.
abusive comments karke aur abusive
comments ka answer deke aap si dh kar deta hain ki aap me ek teacher ki bhanti tarkpoorn baat kahne ki yogyata nahi hai mujhe lagta hai is
tarah k comments wo log hi kar rahe
hain jo shayad TET pass hi nahi hai aur unka maksad sirf logon ko aapas me ladana hai jisse ki log asal mudde se bhatak jaye aise logon ko ignore kar dena hi uchit hai
Central University and State University or deemed Uni. me bhi 25% or more ka anter hota hai.
central university
BSc/BA/BCOM/Bed/med/MA/MSC
>50% Hons Degree
<50% only pass Degree
State university or deemed uni.
BSC/BA/BCOM/BED/MED/MA/MSC
>75% Hons Degree
<75% only pass Degree
This may lead to a large difference.
Blog editar g kripya vigyapan se sambandhit news spast kare
pehle LT(G.I.C) 1427 boys ki vacancy ka rukwake dikha de ager dam hai to.
ye style bahut acchi hai ki sabi aapne aapne tet
1-tet roll no de
2-name de
3-mail.id de
4-fir rupee de
2,4 lakh collect ho jayega,usme se 50-60 hazar writ me kharch ho jayenge,waki bach jayenge.
abhi to en logo ka ho bhi jayega warna 1-2 mahine bad tet2012 hone ke bad kabhi nahi hoga.
AGER DAM HAI TO LT(G.I.C.)KI RUKWA KE DIKHBAO USME BHI TO SAME METHOD HAI
bhiyo jaise bhi govt chcha rahi hai us base per bharti hone do chahe base kuch bhi ho nahi to govt tet me dhandi bhi sabit karwa degi paise me bahut dam hota hai aur abhi tet ka mamla court me hai or sdm jaise log kuch bhiyo ko gumrah kar rahe hai
AGER DAM HAI TO LT(G.I.C.)KI RUKWA KE DIKHBAO USME BHI TO SAME METHOD HAI
AGER DAM HAI TO LT(G.I.C.)KI RUKWA KE DIKHBAO USME BHI TO SAME METHOD HAI
H'm H'M H'M H'M H'M H'M
hhh
pehle LT(G.I.C) 1427 boys ki vacancy ka rukwake dikha de ager dam hai to.
ye style bahut acchi hai ki sabi aapne aapne tet
1-tet roll no de
2-name de
3-mail.id de
4-fir rupee de
2,4 lakh collect ho jayega,usme se 50-60 hazar writ me kharch ho jayenge,waki bach jayenge.
abhi to en logo ka ho bhi jayega warna 1-2 mahine bad tet2012 hone ke bad kabhi nahi hoga.
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pehle LT(G.I.C) 1427 boys ki vacancy ka rukwake dikha de ager dam hai to.
ye style bahut acchi hai ki sabi aapne aapne tet
1-tet roll no de
2-name de
3-mail.id de
4-fir rupee de
2,4 lakh collect ho jayega,usme se 50-60 hazar writ me kharch ho jayenge,waki bach jayenge.
abhi to en logo ka ho bhi jayega warna 1-2 mahine bad tet2012 hone ke bad kabhi nahi hoga.
AGER DAM HAI TO LT(G.I.C.)KI RUKWA KE DIKHBAO USME BHI TO SAME METHOD HAI
Shyam dev ji itna lamba bhasan dene ke liye dhanyawad. Waise aapki post padhne me jyada dikkat nahi hui kyuki isase bade bade bhasan hum jhel chuke hai . Lekin mai aapse puchhana chahta hu ki aap TET ke itne bade supporter kyu hai....?
Iske to sirf 3 karan ho sakte hai..-
1. Aaap khud TET pass ho.
2. Aap sirf TET supporter ki help karna chahte hai.
3. Aap sirf TET ki aad me paisa kamana chahte hai.
1. Agar aap itne hi vidwan hai aur TET acche numbaro se pass kiya hai to acd. kyu accha nahi hai...?
2. Aap kahte hai bharti sirf unki ho jinke tet marks acche ho. Aap hume ye bata sakte hai ki kitna no. pane wale tet me safe hai. Aur jo tet me safe hai unse 1-2 no. kam pane wala kya bharti ka adhikari nahi hai. Jisne hs se b.ed. tak acche no. laye aur kisi karan bas tet ke us safe abhyarthi se mahaj 1-2 no kam laya hai to kya aap usko nyay dila payenge.
3. Aap un TET pass abhyarthiyo ko job dilana chahte hai ya latkana chate hai. Kya tet me 110 no pane wala gen. condidate safe hai agar nahi to aap use kyu bargala rahe hai.
4. Last me mai aapse puchhna chahta hu ki aaj tak aapne sarkar ki kisi mansa ko rok paye hai. Aaj tak aapke paksh me koi nirnay court se mila....? Agar nahi to aap logo ko bahaka kar sif paisa kamane ke liye unke future ke sath khilwad nahi kar sakte.
pehle LT(G.I.C) 1427 boys ki vacancy ka rukwake dikha de ager dam hai to.
ye style bahut acchi hai ki sabi aapne aapne tet
1-tet roll no de
2-name de
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4-fir rupee de
2,4 lakh collect ho jayega,usme se 50-60 hazar writ me kharch ho jayenge,waki bach jayenge.
abhi to en logo ka ho bhi jayega warna 1-2 mahine bad tet2012 hone ke bad kabhi nahi hoga.
AGER DAM HAI TO LT(G.I.C.)KI RUKWA KE DIKHBAO USME BHI TO SAME METHOD HA
dev ji aap tet merit walo ko kewal pagal banate rahenge,kewal kuch rupee ki khatir.
jaha total 100 me se hai waha koi anter nahi kar sakta.
1-btc2010 me accd per hone wali bharti me kuch log board ko leker court gaye the kuch nahi hua.ager kuch ho sakta tha to waha bhi hota , nahi hua ab bhi nahi hoga.
2-ager aap cbse/upboard me anter bata rahe hai ,to CENTRAL UNI. and STATE UNI. me bhi 25% ka anter hota hai.central Hons 50% per deti hai ,state 75% per.
3-ager aap process rukwane ki baat ker rahe hai to pehle LT(G.I.C.) ka rukwa ke dekhwa do.
4-IIT me kabhi merit per kabhi nahi hota hai,phir merit kaha se aagyi,scaling to kewal last student ka manak hai,jo ki sarkari naukari me kabhi manye nahi hoga.
pehle LT(G.I.C) 1427 boys ki vacancy ka rukwake dikha de ager dam hai to.
ye style bahut acchi hai ki sabi aapne aapne tet
1-tet roll no de
2-name de
3-mail.id de
4-fir rupee de
2,4 lakh collect ho jayega,usme se 50-60 hazar writ me kharch ho jayenge,waki bach jayenge.
abhi to en logo ka ho bhi jayega warna 1-2 mahine bad tet2012 hone ke bad kabhi nahi hoga.
AGER DAM HAI TO LT(G.I.C.)KI RUKWA KE DIKHBAO USME BHI TO SAME METHOD HA
mr shyam dev g apke lekh mai ek mistake hai .30nov ko adv nikla tet merit base bharti ka jiske anusar candidates 5jilo mai apply kar sate the .2december ko govt ne ek notification jari karke btc wa vbtc ko bhi isi vacancy apply karne li chhut de di jo already trained the unse training ke liye avedan manga gaya yahi galat tha .uske bad sarita g ki yachika par court ne 5jilo mai avedan ki badhyata samapt kar de wa is aashay se 20december ko revised adv nikla jisme candidate ko har jile mai avedan karne ki chhut di gayi .govt ko 2dec ka notification cancel karna tha par usne 30nov ,2dec wa 20dec tino notification ko cancel ye govt ka wrong step tha .chahe high court jana pare ya supreme court ,govt ko 30nov wa 20dec ke adv ko bahal karna parega .72825 vacancies bharti tet merit par hogi agar ye order h c nahi deta hai(jo ki impossible hai )s c to pakka hi de dega .i am 100%sure .for detail study service writ petitions .s d misra g i love you sir .
mr shyam dev g apke lekh mai ek mistake hai .30nov ko adv nikla tet merit base bharti ka jiske anusar candidates 5jilo mai apply kar sate the .2december ko govt ne ek notification jari karke btc wa vbtc ko bhi isi vacancy apply karne li chhut de di jo already trained the unse training ke liye avedan manga gaya yahi galat tha .uske bad sarita g ki yachika par court ne 5jilo mai avedan ki badhyata samapt kar de wa is aashay se 20december ko revised adv nikla jisme candidate ko har jile mai avedan karne ki chhut di gayi .govt ko 2dec ka notification cancel karna tha par usne 30nov ,2dec wa 20dec tino notification ko cancel ye govt ka wrong step tha .chahe high court jana pare ya supreme court ,govt ko 30nov wa 20dec ke adv ko bahal karna parega .72825 vacancies bharti tet merit par hogi agar ye order h c nahi deta hai(jo ki impossible hai )s c to pakka hi de dega .i am 100%sure .for detail study service writ petitions .s d misra g i love you sir .
mr shyam dev g apke lekh mai ek mistake hai .30nov ko adv nikla tet merit base bharti ka jiske anusar candidates 5jilo mai apply kar sate the .2december ko govt ne ek notification jari karke btc wa vbtc ko bhi isi vacancy apply karne li chhut de di jo already trained the unse training ke liye avedan manga gaya yahi galat tha .uske bad sarita g ki yachika par court ne 5jilo mai avedan ki badhyata samapt kar de wa is aashay se 20december ko revised adv nikla jisme candidate ko har jile mai avedan karne ki chhut di gayi .govt ko 2dec ka notification cancel karna tha par usne 30nov ,2dec wa 20dec tino notification ko cancel ye govt ka wrong step tha .chahe high court jana pare ya supreme court ,govt ko 30nov wa 20dec ke adv ko bahal karna parega .72825 vacancies bharti tet merit par hogi agar ye order h c nahi deta hai(jo ki impossible hai )s c to pakka hi de dega .i am 100%sure .for detail study service writ petitions .s d misra g i love you sir .
mr shyam dev g apke lekh mai ek mistake hai .30nov ko adv nikla tet merit base bharti ka jiske anusar candidates 5jilo mai apply kar sate the .2december ko govt ne ek notification jari karke btc wa vbtc ko bhi isi vacancy apply karne li chhut de di jo already trained the unse training ke liye avedan manga gaya yahi galat tha .uske bad sarita g ki yachika par court ne 5jilo mai avedan ki badhyata samapt kar de wa is aashay se 20december ko revised adv nikla jisme candidate ko har jile mai avedan karne ki chhut di gayi .govt ko 2dec ka notification cancel karna tha par usne 30nov ,2dec wa 20dec tino notification ko cancel kar diya ye govt ka wrong step tha .chahe high court jana pare ya supreme court ,govt ko 30nov wa 20dec ke adv ko bahal karna parega .72825 vacancies bharti tet merit par hogi agar ye order h c nahi deta hai(jo ki impossible hai )s c to pakka hi de dega .i am 100%sure .for detail study service writ petitions .s d misra g i love you sir .
mr shyam dev g apke lekh mai ek mistake hai .30nov ko adv nikla tet merit base bharti ka jiske anusar candidates 5jilo mai apply kar sate the .2december ko govt ne ek notification jari karke btc wa vbtc ko bhi isi vacancy apply karne li chhut de di jo already trained the unse training ke liye avedan manga gaya yahi galat tha .uske bad sarita g ki yachika par court ne 5jilo mai avedan ki badhyata samapt kar de wa is aashay se 20december ko revised adv nikla jisme candidate ko har jile mai avedan karne ki chhut di gayi .govt ko 2dec ka notification cancel karna tha par usne 30nov ,2dec wa 20dec tino notification ko cancel kar diya ye govt ka wrong step tha .chahe high court jana pare ya supreme court ,govt ko 30nov wa 20dec ke adv ko bahal karna parega .72825 vacancies bharti tet merit par hogi agar ye order h c nahi deta hai(jo ki impossible hai )s c to pakka hi de dega .i am 100%sure .for detail study service writ petitions .s d misra g i love you sir .
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