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Monday, 1 October 2012

UPTET - मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों को टीईटी से छूट पर असहमति

UPTET - टीईटी - TET

UPTET - मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों को टीईटी से छूट पर असहमति


-कहा शिक्षक नियुक्ति के लिए परीक्षा पास करना जरूरी

-बेसिक शिक्षा विभाग ने फाइल मुख्य सचिव को भेजी



राजीव दीक्षित, लखनऊ : वर्ष 1997 से पहले के मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एमएयू) से डिप्लोमा इन टीचिंग हासिल करने वालों को शिक्षकों की भर्ती में अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से छूट दिये जाने के प्रस्ताव से न्याय विभाग ने असहमति जताई है। यह कहते हुए कि शिक्षक नियुक्त होने के लिए उन्हें टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। न्याय विभाग का अभिमत प्राप्त होने पर बेसिक शिक्षा विभाग ने संबंधित पत्रावली मुख्य सचिव कार्यालय को भेज दी है
मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों ने हाल ही में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलकर टीईटी से छूट देने की मांग की थी। बेसिक शिक्षा विभाग ने मामले में न्याय विभाग से अभिमत मांगा था। न्याय विभाग ने कहा था कि हाई कोर्ट के फैसले और उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुज्ञा याचिका को वापस लेने के बाद हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन बाध्यकारी हो जाता है। उस समय न्याय विभाग ने तर्क दिया था कि मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारक और एमएयू से डिप्लोमा इन टीचिंग उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की नियुक्त से संबंधित प्रकरण राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) द्वारा 23 अगस्त 2010 को जारी अधिसूचना से पहले से लंबित है और उर्दू शिक्षकों के 2911 पद रिक्त हैं
इस पर बेसिक शिक्षा विभाग ने न्याय विभाग से यह पूछा था कि चूंकि उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति के बारे में 23 अगस्त 2010 से पहले कोई विज्ञप्ति नहीं जारी हुई थी, ऐसे में क्या मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों को एनसीटीई की अधिसूचना की धारा-5 के तहत टीईटी से छूट दी जा सकती है या नहीं? इस पर न्याय विभाग ने स्पष्ट किया है कि चूंकि मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों को उर्दू शिक्षक नियुक्त करने के बारे में कोई विज्ञापन 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना से पहले नहीं प्रकाशित हुआ, ऐसे में शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए उन्हें टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। हालांकि न्याय विभाग ने यह भी कहा है कि इस मामले में महाधिवक्ता से भी राय ली जा सकती है। परिषदीय स्कूलों में 1997 से पहले मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों और एएमयू से डिप्लोमा इन टीचिंग सर्टिफिकेट प्राप्त करने वालों को बीटीसी उर्दू के समकक्ष घोषित करते हुए उर्दू शिक्षक नियुक्त किया गया था। एनसीटीई गठन के बाद शासन ने 11 अगस्त 1997 को बीटीसी के समकक्ष घोषित सभी समकक्षताएं समाप्त कर दी थीं।
इसके खिलाफ कई रिट याचिकाएं हाई कोर्ट में दाखिल की गईं। हाई कोर्ट ने 14 जुलाई 2010 को राज्य सरकार को आदेश दिया कि उर्दू शिक्षकों के पद पर नियुक्ति के लिए मुअल्लिम-ए-उर्दू की उपाधि को बीटीसी (उर्दू) के समकक्ष मान्यता दी जाए। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दाखिल की जिसे बाद में उसने वापस ले लिया

Source - Jagran
1-10-2012

6 comments:

Unknown said...

Bharti ab koi nhi rok sakta hai.

Unknown said...

Vigyapan ab 8 ko aa jayega. Ye baat bilkul satya hai

Unknown said...

Ji ho bharti. Cm sahab jaldi bharti ka order dijiye.

Unknown said...

Gudank 63.12% acd 250.59% gen sci.

rishi said...

Call me 09415002153

Unknown said...

sc/st 50% tet pass wale sathiyo agar serkar vigyapan nikalne se pahle sc/st ko 50% marks par pass nahi karti h to ye bharti latkegi,kyoki esa rajsthan,jhad.,chhat. m nahi hua h,or hamare all. h.c m kesh bhi chal rahe h , R.P.Singh