सहारनपुर : उर्दू डिग्रीधारकों को सीधे बेसिक स्कूलों में शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए एक बार फिर कसरत शुरू हो गई है। खास बात यह है कि एनसीटीई का पेच इन सब पर भारी नजर आ रहा है। बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत आने वाले प्राइमरी स्कूलों में बीटीसी प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को शिक्षक नियुक्त किया जाता रहा है, लेकिन टीईटी लागू होने से मामले में नया पेंच फंस गया है। नवंबर में माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा कराई गई टीईटी परीक्षा में उर्दू डिग्रीधारक(मोअल्लिम डिग्री जो कि बीएड के समकक्ष) शामिल हुए थे। नियमानुसार परीक्षा में केवल वर्ष 1997 से पूर्व के डिग्रीधारक ही शामिल हो सकते थे।
फिर शुरू हुई सुगबुगाहट
मुस्लिमों को सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए प्रदेश सरकार ने इन दिनों कोई कोर कसर बाकी नही छोड़ रखी है। इसी जुगत में शासन के करीबी अधिकारियों ने उर्दू डिग्रीधारकों को शिक्षक नियुक्त करने का राग अलापना शुरू कर दिया है। कोशिश है कि बगैर टीईटी के इन्हें शिक्षक नियुक्त कराने की प्रक्रिया शुरु की जाए।
मामले में फंसेगा पेंच
उर्दू डिग्रीधारकों को सीधे शिक्षक बनाने के मामले में एनसीटीई(राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद)का पेच फंसेगा। टीईटी की गाइडलाइन एनसीटीई द्वारा ही तैयार की गई है जो देश भर में समान रूप से लागू है। सूत्रों का कहना है कि उर्दू डिग्रीधारकों की नियुक्ति के लिए उन्हें टीईटी से एनसीटीई से छूट की मांग जल्द ही की जा सकती है। यहां से छूट मिलेगी या नही यह भविष्य के गर्भ में है। छूट न मिलने की दशा में सरकार नया रास्ता तलाश सकती है।
उर्दू अनुवादक होगा नया रास्ता
उर्दू डिग्रीधारकों की नियुक्ति के मामले में प्रदेश सरकार का नया रास्ता उन्हें सरकारी नौकरी देने का विकल्प हो सकता है। पहले भी सपा शासन के दौरान उर्दू डिग्रीधारकों को सरकारी विभागों में उर्दू अनुवादक के पदों पर नियुक्तियां दी गई थी।
Source- Jagran
16-5-2012
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