बीटीसी नियुक्ति पर रुख स्पष्ट करे सरकार |
विधि
संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अध्यापक पात्रता परीक्षा
(टीईटी) चयन के तहत नियुक्ति
पर रोक की मांग में दाखिल याचिका की सुनवाई की अगली तिथि 25 मई नियत की है। आज राज्य सरकार की
तरफ से न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर बताया गया कि उर्दू बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी व बीटीसी डिग्रीधारकों
को टीईटी मेरिट आधार पर चयन प्रक्रिया से अलग रखा गया है। इन डिग्रीधारकों को भी अन्य टीईटी उत्तीर्ण
अभ्यर्थियों के चयन में शामिल करने का फैसला लिया था जिसे सरकार ने वापस ले लिया है। अब इन
डिग्रीधारकों का अलग से चयन किया जाएगा। सरकार के इस हलफनामे के बाद न्यायालय ने पूछा कि
इनकी चयन प्रक्रिया कब शुरू होगी। इन डिग्रीधारकोंने याचिका दायर कर मांग की है कि उन्हें दुबारा
प्रशिक्षण लेने के लिए बाध्य न किया जाय और चयनित अभ्यर्थियों की सीधी नियुक्ति कर दी जाय।
इस पर न्यायालय ने सरकार का रुख जानना चाहा। कपिलदेव व अन्य की याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति
अरुण टण्डन कर रहे हैं। न्यायालय में मा.शि.चयन बोर्ड ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों की तरफ
से नियुक्ति का आदेश जारी किया था जिसकी वैधता को याचिका में चुनौती देते हुए कहा गया कि सक्षम
प्राधिकारी बीएसए हैं। याची के अधिवक्ता आलोक यादव का कहना था कि बोर्ड द्वारा जारी आदेश विधि
विरुद्ध है। इस पर न्यायालय ने नियुक्ति पर रोक लगा दी है। सरकार ने अब उपरोक्त बीटीसी डिग्रीधारकों
की भर्ती का अलग से विज्ञापन निकालने का फैसला लिया है। इस पर न्यायालय ने अगली सुनवाई की
तिथि 25 मई नियत की है।
पर रोक की मांग में दाखिल याचिका की सुनवाई की अगली तिथि 25 मई नियत की है। आज राज्य सरकार की
तरफ से न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर बताया गया कि उर्दू बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी व बीटीसी डिग्रीधारकों
को टीईटी मेरिट आधार पर चयन प्रक्रिया से अलग रखा गया है। इन डिग्रीधारकों को भी अन्य टीईटी उत्तीर्ण
अभ्यर्थियों के चयन में शामिल करने का फैसला लिया था जिसे सरकार ने वापस ले लिया है। अब इन
डिग्रीधारकों का अलग से चयन किया जाएगा। सरकार के इस हलफनामे के बाद न्यायालय ने पूछा कि
इनकी चयन प्रक्रिया कब शुरू होगी। इन डिग्रीधारकोंने याचिका दायर कर मांग की है कि उन्हें दुबारा
प्रशिक्षण लेने के लिए बाध्य न किया जाय और चयनित अभ्यर्थियों की सीधी नियुक्ति कर दी जाय।
इस पर न्यायालय ने सरकार का रुख जानना चाहा। कपिलदेव व अन्य की याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति
अरुण टण्डन कर रहे हैं। न्यायालय में मा.शि.चयन बोर्ड ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों की तरफ
से नियुक्ति का आदेश जारी किया था जिसकी वैधता को याचिका में चुनौती देते हुए कहा गया कि सक्षम
प्राधिकारी बीएसए हैं। याची के अधिवक्ता आलोक यादव का कहना था कि बोर्ड द्वारा जारी आदेश विधि
विरुद्ध है। इस पर न्यायालय ने नियुक्ति पर रोक लगा दी है। सरकार ने अब उपरोक्त बीटीसी डिग्रीधारकों
की भर्ती का अलग से विज्ञापन निकालने का फैसला लिया है। इस पर न्यायालय ने अगली सुनवाई की
तिथि 25 मई नियत की है।
Source- Jagran
16-5-2012
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