वाराणसी। संबद्धता का दावा जताने वाले 19 कालेजों के प्रपत्र सही नहीं पाए
गए, जिस कारण संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन इनके दावे खारिज
करते हुए परीक्षा फार्म की अनुमति नहीं प्रदान की। जांच में सिर्फ दो कालेज
के प्रपत्र सही मिले और उन्हें फार्म भरवाने के लिए अनुमन्य कर दिया गया
है।
एक दशक पहले उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत बोर्ड बनने पर संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध प्रदेश के 82 कालेजों ने बोर्ड से संबद्धता ले ली थी। कुछ दिनों पहले संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा संबद्धता की नए सिरे से जांच कराए जाने पर लगभग दो दर्जन कालेज ऐसे पाए गए जो संस्कृत बोर्ड से संबद्ध होने के बावजूद विश्वविद्यालय से शास्त्री और आचार्य के फार्म भरवाते रहे हैं। जांच के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस साल इन कालेजों को अपने यहां से फार्म देने पर रोक लगा दी तो कालेजों ने विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त होने का दावा पेश किया और फार्म भरने की अनुमति मांगी। कुलपति प्रो. बिंदा प्रसाद मिश्र ने इनके दावों की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी और कालेजों को समस्त अभिलेख उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। अभिलेखों की जांच में सिर्फ दो कालेजों के अभिलेख सही पाए गए। इन्होंने संस्कृत बोर्ड के साथ विश्वविद्यालय से भी संबद्धता का विकल्प भरा था। इसलिए उन्हें फार्म भरवाने की अनुमति दे दी गई। जबकि 19 कालेजों ने विश्वविद्यालय को संबद्घता के लिए विकल्प दिए बिना संबद्घता के दावे पेश कर रहे थे। इन कालेजों की ओर से कोई सक्षम प्रमाण नहीं पेश किए जा सके।
Source-AmarUjala (21-2-2012)
एक दशक पहले उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत बोर्ड बनने पर संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध प्रदेश के 82 कालेजों ने बोर्ड से संबद्धता ले ली थी। कुछ दिनों पहले संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा संबद्धता की नए सिरे से जांच कराए जाने पर लगभग दो दर्जन कालेज ऐसे पाए गए जो संस्कृत बोर्ड से संबद्ध होने के बावजूद विश्वविद्यालय से शास्त्री और आचार्य के फार्म भरवाते रहे हैं। जांच के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस साल इन कालेजों को अपने यहां से फार्म देने पर रोक लगा दी तो कालेजों ने विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त होने का दावा पेश किया और फार्म भरने की अनुमति मांगी। कुलपति प्रो. बिंदा प्रसाद मिश्र ने इनके दावों की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी और कालेजों को समस्त अभिलेख उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। अभिलेखों की जांच में सिर्फ दो कालेजों के अभिलेख सही पाए गए। इन्होंने संस्कृत बोर्ड के साथ विश्वविद्यालय से भी संबद्धता का विकल्प भरा था। इसलिए उन्हें फार्म भरवाने की अनुमति दे दी गई। जबकि 19 कालेजों ने विश्वविद्यालय को संबद्घता के लिए विकल्प दिए बिना संबद्घता के दावे पेश कर रहे थे। इन कालेजों की ओर से कोई सक्षम प्रमाण नहीं पेश किए जा सके।
Source-AmarUjala (21-2-2012)
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