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Thursday 23 February 2012

यह है बेरोजगारी की युवाओ पर मार ।


सिपाही बनने को दौड़ रहे एमसीए-एमबीए पास

वरिष्ठ संवाददाता, इलाहाबाद : पद सिपाही। पे बैंड 5200-20,200 रुपये। ग्रेड पे 2000। योग्यता हाईस्कूल, उम्रसीमा 18-23 वर्ष। केंद्रीय बलों में सिपाही बनने के लिए यही अर्हताएं काफी हैं, पर बेरोजगारी का आलम यह है कि सिपाही बनने के लिए एमबीए, एमसीए व बीएससी-एमएससी पास युवा भी दौड़ लगा रहे हैं, जी-जान एक किए हुए हैं। स्थिति यह है कि 90 हजार पदों के लिए देशभर में 35 लाख से भी अधिक आवेदन आ गए हैं। नई तस्वीर यह है कि 35 लाख आवेदकों में से 20 लाख से ऊपर अभ्यर्थी स्नातक या परास्नातक हैं।
कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) द्वारा केंद्रीय पुलिस बलों में सिपाही के पदों पर भर्ती के लिए हाल ही में आवेदन मांगे गए थे। आयोग ने आवेदन पत्रों की छंटाई के बाद छह मार्च से शारीरिक दक्षता परीक्षा शुरू की है। इनमें से फिजिकल दे रहे अधिकांश युवा स्नातक हैं। इसके अलावा एमबीए-एमसीए व बीएससी-एमएससी किए हुए भी अभ्यर्थी सिपाही की दौड़ में शामिल हैं। ऐसे में सिपाही की नौकरी के लिए उच्च शिक्षित अभ्यर्थियों का आवेदन करना अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा है।
भर्ती परीक्षा से जुड़े एक उच्च पदस्थ अधिकारी का कहना है कि अधिकांश युवा जगह-जगह कुकुरमुत्ते की तरह खुले संस्थानों से डिग्री तो हासिल कर ले रहे हैं पर अपनी शिक्षा के अनुरूप नौकरी हासिल नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में आंकड़ों में शिक्षा का स्तर तो उठ रहा है पर युवाओं में शैक्षिक योग्यता के अनुरूप क्षमता का विकास नहीं हो पा रहा है। यह दोष हमारी शिक्षा प्रणाली का है। यही कारण है कि युवा उच्च डिग्री हासिल करने के बाद भी रोजगार के लिए योग्य नहीं हो पा रहे हैं और चपरासी-वार्ड ब्वाय बनने के लिए आवेदन कर रहे हैं। फिलहाल यह स्थिति भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं कर रही और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लगा रही है।
Source- Jagran
23-2-2012
 

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