सहारनपुर : टीईटी के प्रमाण-पत्रों के वितरण की व्यवस्था पर सवाल उठने
लगे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा आवेदन पत्रों के साथ इंटरनेट मार्कशीट
लगवाई गई थी। जनवरी के दूसरे पखवाड़े में प्रमाणपत्रों के वितरण से
अभ्यर्थियों को भी खासी हैरानगी हुई थी। घोटाले में निदेशक माध्यमिक शिक्षा
समेत कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। जांच के घेरे में अभी कई और
लोगों के आने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा 13 नवंबर को टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) परीक्षा कराई गई थी। हालांकि विभिन्न कारणों से रिजल्ट को कई बार संशोधित किया गया। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में आवेदन पत्र भेजने की अंतिम तिथि नौ जनवरी निर्धारित थी। विभाग द्वारा आवेदन पत्र के साथ इंटरनेट मार्कशीट को स्वीकार किया गया।
यकायक प्रमाण-पत्रों का वितरण
माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा जनवरी के दूसरे पखवाड़े में एकाएक टीईटी के प्रमाणपत्रों के वितरण का कार्यक्रम घोषित किया गया। संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालयों से प्रमाणपत्रों का वितरण कराया गया। निर्देश थे कि अभ्यर्थी स्वयं मूल प्रवेश पत्र के साथ कार्यालय पर उपस्थित होकर प्रमाणपत्र प्राप्त करें। प्रमाणपत्र लेने के लिए कार्यालय पर अभ्यर्थियों का भारी सैलाब उमड़ा। यहां से प्राथमिक व उच्च प्राथमिक परीक्षा के 20 हजार से अधिक प्रमाणपत्र वितरित किए गए।
गिरफ्तारी से आशंका
टीईटी घोटाले में माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी ने प्रक्रिया की शुचिता पर प्रश्नचिन्ह् लगा दिया है। मामले में अभी तक आधा दर्जन अन्य व्यक्तियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। जांच में अभी कुछ और लोगों के घेरे में आने की आशंका से इंकार नही किया जा सकता।
घोटाले के बाद उठे सवाल
टीईटी में हुए घोटाले के बाद अभ्यर्थियों को कई सवाल कचोट रहे है। मसलन जब नौ जनवरी तक आवेदन पत्र भेजने की अंतिम तिथि थी ऐसे में प्रमाणपत्रों के वितरण के आदेश एक सप्ताह बाद ही क्यों जारी किए गए? प्रमाणपत्र नौ जनवरी से पहले भी अभ्यर्थियों को दिए जा सकते थे। यकायक प्रमाणपत्र दिए जाने के पीछे कहीं पहले से ही प्रक्रिया में घालमेल की बू तो नहीं आ गई थी? बताते चलें कि घोटाले में निदेशक माध्यमिक शिक्षा संजय मोहन की गिरफ्तारी आठ फरवरी को हुई थी।
Source- Jagran
प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा 13 नवंबर को टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) परीक्षा कराई गई थी। हालांकि विभिन्न कारणों से रिजल्ट को कई बार संशोधित किया गया। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में आवेदन पत्र भेजने की अंतिम तिथि नौ जनवरी निर्धारित थी। विभाग द्वारा आवेदन पत्र के साथ इंटरनेट मार्कशीट को स्वीकार किया गया।
यकायक प्रमाण-पत्रों का वितरण
माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा जनवरी के दूसरे पखवाड़े में एकाएक टीईटी के प्रमाणपत्रों के वितरण का कार्यक्रम घोषित किया गया। संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालयों से प्रमाणपत्रों का वितरण कराया गया। निर्देश थे कि अभ्यर्थी स्वयं मूल प्रवेश पत्र के साथ कार्यालय पर उपस्थित होकर प्रमाणपत्र प्राप्त करें। प्रमाणपत्र लेने के लिए कार्यालय पर अभ्यर्थियों का भारी सैलाब उमड़ा। यहां से प्राथमिक व उच्च प्राथमिक परीक्षा के 20 हजार से अधिक प्रमाणपत्र वितरित किए गए।
गिरफ्तारी से आशंका
टीईटी घोटाले में माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी ने प्रक्रिया की शुचिता पर प्रश्नचिन्ह् लगा दिया है। मामले में अभी तक आधा दर्जन अन्य व्यक्तियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। जांच में अभी कुछ और लोगों के घेरे में आने की आशंका से इंकार नही किया जा सकता।
घोटाले के बाद उठे सवाल
टीईटी में हुए घोटाले के बाद अभ्यर्थियों को कई सवाल कचोट रहे है। मसलन जब नौ जनवरी तक आवेदन पत्र भेजने की अंतिम तिथि थी ऐसे में प्रमाणपत्रों के वितरण के आदेश एक सप्ताह बाद ही क्यों जारी किए गए? प्रमाणपत्र नौ जनवरी से पहले भी अभ्यर्थियों को दिए जा सकते थे। यकायक प्रमाणपत्र दिए जाने के पीछे कहीं पहले से ही प्रक्रिया में घालमेल की बू तो नहीं आ गई थी? बताते चलें कि घोटाले में निदेशक माध्यमिक शिक्षा संजय मोहन की गिरफ्तारी आठ फरवरी को हुई थी।
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