इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड द्वारा घोषित प्रशिक्षित
स्नातक के परीक्षा परिणाम पर सवाल उठने के बाद चयन बोर्ड ने तीन सदस्यीय
जांच समिति गठित कर दी है। अध्यक्ष ने कहा है कि चयन समिति की जांच में यदि
इस प्रकार की कोई गड़बड़ी सामने आती है तो जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ सख्त
कार्रवाई की जाएगी।
प्रतियोगी छात्रों ने आरोप लगाया है कि चयन बोर्ड के एक सदस्य के बेटे को बिना लिखित परीक्षा में पास हुए साक्षात्कार दिलवाया गया और वह अंतिम रूप से सफल भी हो गया। यही नहीं उसे गृह जनपद में तैनाती भी दे दी गई। अभ्यर्थियों का तो यहां तक आरोप है कि कई और छात्रों के भी बिना लिखित परीक्षा में सफल हुए अंतिम रूप से चयनित कर दिया गया। प्रतियोगी छात्रों ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर ली है।
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. आरपी वर्मा का कहना है कि सामाजिक विज्ञान का परिणाम घोषित होने के बाद भी कुछ अभ्यर्थी जो लिखित परीक्षा में असफल थे उन्होंने पुर्नमूल्यांकन के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। पुर्नमूल्यांकन के बाद ऐसे अभ्यर्थियों की ओएमआर की पुन: जांच कराई गई थी, जिसमें कुछ अभ्यर्थी सफल घोषित हुए हैं। ऐसे सफल अभ्यर्थियों में एक सदस्य का बेटा भी शामिल है। बोर्ड की परीक्षाओं में सभी समान रूप से शामिल होने का हक है, फिर चाहे वह किसी सदस्य या अध्यक्ष का बेटा ही क्यों न हो। परीक्षा में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता।
Source- Jagran
22-2-2012
प्रतियोगी छात्रों ने आरोप लगाया है कि चयन बोर्ड के एक सदस्य के बेटे को बिना लिखित परीक्षा में पास हुए साक्षात्कार दिलवाया गया और वह अंतिम रूप से सफल भी हो गया। यही नहीं उसे गृह जनपद में तैनाती भी दे दी गई। अभ्यर्थियों का तो यहां तक आरोप है कि कई और छात्रों के भी बिना लिखित परीक्षा में सफल हुए अंतिम रूप से चयनित कर दिया गया। प्रतियोगी छात्रों ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर ली है।
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. आरपी वर्मा का कहना है कि सामाजिक विज्ञान का परिणाम घोषित होने के बाद भी कुछ अभ्यर्थी जो लिखित परीक्षा में असफल थे उन्होंने पुर्नमूल्यांकन के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। पुर्नमूल्यांकन के बाद ऐसे अभ्यर्थियों की ओएमआर की पुन: जांच कराई गई थी, जिसमें कुछ अभ्यर्थी सफल घोषित हुए हैं। ऐसे सफल अभ्यर्थियों में एक सदस्य का बेटा भी शामिल है। बोर्ड की परीक्षाओं में सभी समान रूप से शामिल होने का हक है, फिर चाहे वह किसी सदस्य या अध्यक्ष का बेटा ही क्यों न हो। परीक्षा में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता।
Source- Jagran
22-2-2012
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