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Friday, 24 February 2012

रोजगार दफ्तर खुद ही 'बेरोजगार'

मुरादाबाद : नौकरी की उम्मीद में नौजवानों की भीड़ हर रोज रोजगार कार्यालय पर जुटती है, मगर नौकरी किसी भाग्यशाली को ही नसीब होती है। तमाम बेरोजगार इस दफ्तर में नवीनीकरण कराकर थक गए, मगर आज तक उनको रोजगार नहीं मिला।
इस दफ्तर में तीन वर्ष के भीतर 39,287 बेरोजगारों ने पंजीकरण कराया। इनमें प्राइवेट कंपनियों में 2010 में 325 व 2011 में 490 बेरोजगारों को नौकरी मिली। एक अनार सौ बीमार जैसी हालत में रोजगार कार्यालय नौकरी देने में सक्षम नहीं हो पाया। वर्ष 2011 में सरकारी नौकरी तो सिर्फ 102 बेरोजगारों को मिली।
विभागों में भर्ती के लिए अगर किसी विभाग द्वारा पंजीकृत बेरोजगारों की सूची रोजगार कार्यालय से मांग भी ली तो उसमें 0.01 फीसदी को भी नौकरी नहीं मिल पाती है। बताया जाता है कि ज्यादातर सरकारी विभाग सीधी भर्ती कर लेते हैं, जिसकी सेवायोजन कार्यालय को भनक नहीं लग पाती है।
क्या कहते हैं अधिकारी
पंजीकृत बेरोजगारों को सरकारी नौकरी तो नहीं मिल रही, लेकिन रोजगार मेला योजना के तहत प्राइवेट कंपनियों में नौकरी दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। पंजीकृत बेरोजगारों को स्टनोग्राफी, टाइपिंग, आफिस मैनेजमेंट के अलावा बीसीएल एजूकेशन इंस्टीट्यूट के माध्यम से निशुल्क रूप से साफ्ट स्किल ट्रेनिंग दिलाई जा रही है ताकि किसी कंपनी में नौकरी मिलने से पहले इनमें व्यक्तित्व विकास हो सके।
एसपी शर्मा, क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी
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पंजीकृत बेरोजगारों के आंकड़े
वर्ष पुरुष महिला योग
2009 24608 8992 33600
2010 30318 6863 37181
2011 30341 8946 39289
Source- jagran
24-2-2012

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