सामूहिक नकल और संबद्धता की गड़बड़ी के कारण लगी रोक
वाराणसी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्घ विभिन्न कालेजों के करीब ढाई हजार विद्यार्थी परीक्षा शुरू होने से पहले ही बाहर हो गए हैं। सामूहिक नकल के आरोप में और संबद्घता में गड़बड़ी के कारण 41 कालेजों को प्रथम वर्ष की परीक्षा कराने पर रोक लगा दी गई है। जबकि कालेजों ने नए सत्र में प्रवेश ले लिया था।
संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्घ 22 कालेज पिछले साल की वार्षिक परीक्षा में सामूहिक नकल के आरोप में पकड़े गए थे। उड़ाका दलों की रिपोर्ट पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन कालेजों को प्रथम वर्ष की परीक्षा से फिलहाल बाहर रखने का फैसला लिया है। वहीं, कालेज प्रबंधकों और प्राचार्यों का कहना है कि इस निर्णय की सूचना उन्हें काफी देरी से दी गई है, जिस कारण उन्होंने अपने यहां प्रथम वर्ष में प्रवेश ले लिया है। वहीं, मध्यमा तक की संबद्घता के आधार पर सालों से परीक्षा फार्म भरवाने 19 कालेजों को भी फार्म नहीं दिए गए। इस हालत में इन कालेजों में प्रवेश ले चुके करीब 2500 विद्यार्थी फार्म भरने से वंचित हो गए हैं। व्यक्तिगत परीक्षा फार्म की तिथि भी समाप्त हो गई है, जिस कारण इन विद्यार्थियों के सामने अब कोई विकल्प नहीं बचे।
Source- Amar Ujala
22-2-2012
वाराणसी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्घ विभिन्न कालेजों के करीब ढाई हजार विद्यार्थी परीक्षा शुरू होने से पहले ही बाहर हो गए हैं। सामूहिक नकल के आरोप में और संबद्घता में गड़बड़ी के कारण 41 कालेजों को प्रथम वर्ष की परीक्षा कराने पर रोक लगा दी गई है। जबकि कालेजों ने नए सत्र में प्रवेश ले लिया था।
संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्घ 22 कालेज पिछले साल की वार्षिक परीक्षा में सामूहिक नकल के आरोप में पकड़े गए थे। उड़ाका दलों की रिपोर्ट पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन कालेजों को प्रथम वर्ष की परीक्षा से फिलहाल बाहर रखने का फैसला लिया है। वहीं, कालेज प्रबंधकों और प्राचार्यों का कहना है कि इस निर्णय की सूचना उन्हें काफी देरी से दी गई है, जिस कारण उन्होंने अपने यहां प्रथम वर्ष में प्रवेश ले लिया है। वहीं, मध्यमा तक की संबद्घता के आधार पर सालों से परीक्षा फार्म भरवाने 19 कालेजों को भी फार्म नहीं दिए गए। इस हालत में इन कालेजों में प्रवेश ले चुके करीब 2500 विद्यार्थी फार्म भरने से वंचित हो गए हैं। व्यक्तिगत परीक्षा फार्म की तिथि भी समाप्त हो गई है, जिस कारण इन विद्यार्थियों के सामने अब कोई विकल्प नहीं बचे।
Source- Amar Ujala
22-2-2012
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