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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शिक्षक भर्ती की तैयारी शुरू ***चुनावी गणित में भावी शिक्षकों पर भी डोरे *** :----

Tuesday, 21 February 2012

CASE STATUS RELATED TO SMT. PRABHA TRIPATHI


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हटेंगी प्रभा, दूसरे सचिव की नियुक्ति तय
इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा परिषद कीसचिव प्रभा त्रिपाठी का टीईटी घोटालेमें नाम आने और हाईकोर्ट में गिरफ्तारी से बचने के लिए याचिका दायर करने के बाद उनका इस पद से हटना तय माना जा रहा है। यही कारण है कि यूपी बोर्ड का अगला सचिव कौन होगा, यूपी बोर्ड दफ्तर में इस बात की चर्चा जोरों पर है। सचिव के पद पर कई नाम भी चर्चा में भी आ गए हैं। माध्यमिक शिक्षा परिषद के सभापति संजय मोहन के गिरफ्तार होने के बाद सचिव गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट पहुंच गई हैं। इस मामले की एक सुनवाई भी हो चुकी है, जिसमें हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है।कोर्ट ने सरकार से टीईटी घोटाले में अब तक हुई जांच की प्रगति के बारे मेंराज्य सरकार को जानकारी देने को कहा है। मामले की सुनवाई 24 फरवरी को होगी। ऐसे में यह मामला अभी लंबा चलेगा। सचिव प्रभा त्रिपाठी इस बीच गिरफ्तार भी हो सकती हैं। वह एक सप्ताह से अधिक समय से कार्यालय भी नहीं आ रही हैं। यही कारण है कि 16 मार्च से प्रदेश में प्रस्तावित यूपीबोर्ड की परीक्षा तैयारियां प्रभावित होने लगी हैं। सचिव का कार्यभार भी अभी किसी के पास नहीं है। ऐसे में बोर्ड परीक्षा से संबंधित कई निर्णय फंसे हुए हैं। ज्ञातव्य है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा में शुरू से ही विवाद और गड़बडि़यों के बाद कहीं बोर्ड परीक्षा में फजीहत न हो जाए इस बात कोलेकर शासन अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है। सूत्रों के मुताबिक शासन इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता। यही कारण है कि शासन माध्यमिकशिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों के नामों पर सहमत भी हो गया है, पर अभी अंतिम मुहर नहीं लगी है। शासन इस बात पर विचार कर रहा है कि अब बोर्ड परीक्षा में कम समय बचा है। ऐसे में किसी ऐसे व्यक्ति को सचिव के पद पर नियुक्त करना, जोकि बोर्ड के कामों कीबारीकियों से परिचित न हो कतई नहीं चाहेगा। यही कारण है कि बोर्ड के एक अपर सचिव स्तर के अधिकारी को सचिव बनाए जाने पर सर्वाधिक चर्चा है।

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टीईटी अंकपत्रों में तकनीकी खामियों से छात्र परेशान
वाराणसी। टीईटी परीक्षार्थियों की परेशानी कम होने की बजाय बढ़ती जा रही है। आज संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय द्वारा सैकड़ों छात्रों का अंकपत्र वितरित किया गया। छात्रों का कहना है कि दर्जनों छात्रों के अंकपत्रों में तकनीकी खामियां हैं। इसे ठीक कराने के लिए छात्रों को फिर इलाहाबाद तक चक्कर लगाना पड़ेगा। छात्र जयप्रकाश मिश्र के अंकपत्र में उसके नाम के आगे केएफई अंकित है। वह खुद नहीं समझपा रहा है कि यह क्यों अंकित है। इतना ही नहीं उसके पिता काशीनाथ मिश्रा का नाम भी अंग्रेजी में गलत अंकित है। मिश्रा में एच शब्द गायब हैं। इस तरह की तकनीकी समस्या सिर्फ एक छात्र के साथ नहीं है। इस तरह की तकनीकी खामी दर्जनों छात्रों के अंकपत्रों में पायी गयी है। इसे लेकर छात्र परेशान हैं, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इस बारे में स्पष्टीकरण इलाहाबाद कार्यालय ही दे सकता है

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http://epaper.amarujala.com/svww_index.php

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रद न हो टीईटी परीक्षाफल
यूपी टीईटी संघषर् समिति की मांग
वाराणसी (एसएनबी)। यूपी टीईटी संघर्ष समिति की बैठक में मंगलवार को छात्रों ने सरकार से अपील की है कि किसी भी सूरत में टीईटी परीक्षा परिणाम रद नहीं किया जाना चाहिए। अब तक यही बात सामने आयी है कि कुल मिलाकर 800 के आसपास ही दागी छात्र परीक्षा में सफल हुए हैं। इसकी भी पुष्टि की जानी है। इसके लिए दो लाख 70 हजार उत्तीर्ण छात्रों की किस्मत से खिलवाड़ करना न्यायसंगत नहीं होगा। संघर्ष समिति के अध्यक्षइन्द्रजीत पटेल और उपाध्यक्ष शिवनारायण वर्मा ने कहा कि कोई दागी छात्र किस तरह परीक्षा में सफल हुआ। उसके लिए कौन-कौन से अधिकारी जिम्मेदार हैं। इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि चयन का आधार प्रतिभा ही होनी चाहिए। प्रदेश में पहली बार आयोजित परीक्षाआरंभ से ही विवादों के घेरे मे रही है। छात्रों का आरोप है कि उनका हर तरह से मानसिक, आर्थिक और सामाजिक शोषण किया गया। कभी आवेदन-पत्र को लेकर परेशानी तो कभी प्रवेश पत्र और परीक्षाकेन्द्र को लेकर विवाद । हर विवाद में छात्रों का ही शोषण किया गया। सबको मालुम है कि लगभग 13 लाख छात्रों ने टीईटी परीक्षा दी । उसके बाद दो लाख 70 हजार छात्रों को उत्तीर्ण घोषित किया गया है। अब एक नई जानकारी सामने आ रही है कि फर्जीबाड़ा व घोटाले को लेकर कुछ लोग अदालत में जाकर टीईटी परीक्षा को ही रद कराना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि घोटाले की जांच हो। दोषियों को फांसी पर लटका दे सीबीआई लेकिन इसकी सजा निदरेष छात्रों को नहीं दिया जाना चाहिए। संघर्ष समिति के सदस्यों का कहना है कि नियमत: जब किसी परीक्षा के घोषित परीक्षाफल में बीस फीसदी स् अधिक छात्र दागी पाये जाते हैं , तब परीक्षा रद करने की मांग उठती है। सरकारी एजेंसियों का आकलन है कि टीईटी परीक्षा के कुल दागी छात्रों की संख्या 800 से एक हजार के बीच ही हो सकती है। यह संख्या कुल् सफल छात्रों के बीस फीसदी से बहुत कम है। लिहाजा अदालत को भी उत्तीर्ण छात्रों के भविष्य से सहानुभूति रखनी चाहिए। संघर्ष समिति के अधिकारियों ने प्रदेश भर के उत्तीर्ण छात्रों से अपील की है कि वह अपने करियर की रक्षा के लिए एकजुट हों। यदि छात्र अपनी न्यायसंगत बात उठाने में विफल रह गये तो उन्हें इसकी भार कीमत चुकानी पड़ सकती है। टीईटी अंकपत्रों में तकनीकी खामियों से छात्र परेशान वाराणसी।

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25 से मिलेंगे टीईटी के सर्टिफिकेट इलाहाबाद
First Published:21-02-12 11:24 PM
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यूपी-टीईटी में सफल अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र 25 फरवरी से राजकीय इंटर कालेज से वितरित होंगे। यह जानकारी जीआईसी के प्रिंसिपल संदीप चौधरी ने दी है। गौरतलब है कि जीआईसी से इलाहाबाद, प्रतापगढ़, कौशाम्बी और फतेहपुर जिलों के अभ्यर्थियों को प्रमाण पत्र दिए जा रहे थे। विधानसभाचुनाव में कालेज के कर्मचारियों की डय़ूटी लगने और पुलिस फोर्स न मिलने की वजह से 15 फरवरी से पहले सर्टिफिकेट का वितरण रोक दिया गया था।

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टीजीटी भर्ती में घपले की होगी जांच इलाहाबाद, वरिष्ठ संवाददाता
First Published:21-02-12 11:28 PM
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उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की टीजीटी भर्ती पर भी जांच की आंच आ गई है। पुर्नमूल्यांकनके बाद अंतिम परिणाम में एक बोर्ड सदस्य के पुत्र के सफल होने पर भी सवाल उठे हैं। गड़बड़ी के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। कमेटी एक सप्ताह के अंदर अपनी रिपोर्ट अध्यक्ष डॉ. आरपी वर्मा को सौंपेगी।
अध्यक्ष डॉ. वर्मा ने कहा कि जांच के बाद यदि कोई भी तथ्य प्रकाश में आता है तो दोषी के विरुद्ध सख्त से सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी। डॉ. वर्मा की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार सामाजिक विज्ञान का प्रथम परिणाम घोषित होने के बाद लिखित परीक्षा के परिणाम में अनुत्तीर्ण कुछ अभ्यर्थियों ने पुर्नमूल्यांकन के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। इन अभ्यर्थियों के आवेदन पर विचार करते हुए आंसर-शीट की फिर से जांच कराई गयीजिसमें कुछ अभ्यर्थी सफल पाए गए थे। बाद में इन अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में शामिल किया गया। इनमें से ही कुछ अभ्यर्थी अंतिम परिणाम में सफल रहे हैं। इनमें से एक अभ्यर्थी बोर्ड के सदस्य का पुत्र भीहै।
पुर्नमूल्यांकन में पास हुए अभ्यर्थियों का रिजल्ट सार्वजनिक किए जाने संबंधी सवाल के जवाब में डॉ.वर्मा ने बताया कि ये प्रक्रिया पूर्व अध्यक्ष चैनसुख भारतीय के कार्यकाल में हुई थी। इन्ही बिन्दुओं की जांच के लिए तीन सदस्यीयसमिति गठित की गयी है।
डॉ. वर्मा ने स्पष्ट किया है कि चयन बोर्ड की परीक्षा में भारत के किसी भी प्रान्त का कोई भी नागरिक प्रशिक्षित स्नातक या प्रवक्ता की परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए स्वतंत्र है। भले ही वह किसी अधिकारी, पदाधिकारी, कर्मचारी या अन्य से संबंधित क्यों न हो। उसे एक सामान्य अभ्यर्थी की तरह अवसर दिया जाता है।