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Monday, 5 March 2012

उस्ताद निकला चयन बोर्ड का कंप्यूटर

इलाहाबाद, 4 मार्च (जाका): आइटी विशेषज्ञों को उप्रमाध्यमिक शिक्षा सेवा चयनबोर्ड के उस कंप्यूटर के बारे में शोध करना चाहिए, जिसने गलती से टीजीटी-पीजीटी नियुक्ति के लिए बोर्ड पदाधिकारियों के ऐसे रिश्तेदार चुन लिए, जोलिखित परीक्षा में बैठे ही नहीं थे। भुक्तभोगी अभ्यर्थियों द्वारा कंप्यूटर की इस गलती का भंडाफोड़ कर दिए जाने के बाद हालांकि, ऐसे पांच अभ्यर्थी चयन सूची से बाहर कर दिए गए हैं, पर आशंका है कि बोर्ड का कंप्यूटर ऐसी और न जाने कितनी गलतियां कर चुका होगा। मौजूदा प्रकरण उच्चन्यायालय में विचाराधीन है। कंप्यूटर की गलती से जो पांच अभ्यर्थी सीधे चुन लिए गए थे, उनमें से एक बोर्ड के सदस्य का बेटाहै, जबकि एक अन्य महिला अभ्यर्थी बोर्ड के एक अन्य उच्चाधिकारी की करीबी रिश्तेदार। बाकी तीन अभ्यर्थी भी बोर्ड के असरदार पदाधिकारियों के करीबी नाते-रिश्तेदार हैं। आश्चर्य की बात यह हैकि इतने गंभीर रहस्योद्घाटन के बावजूद बोर्ड प्रशासन ने अब तक कंप्यूटर के अलावा किसी अन्य की जिम्मेदारी निर्धारित नहीं की है, कार्रवाई तो दूर की बात है। बहरहाल, अनुचित ढंग सेचयनित पांच अभ्यर्थियों को बाहर करवाने में सफल होचुके अन्य अभ्यर्थियों काकहना है कि वे उच्च न्यायालय से याचना करेंगेकि इस नियुक्ति घोटाले की जांच किसी भरोसेमंद एजेंसी से कराने का आदेश दे ताकि इससे पहले की तमामनियुक्तियों में हुई धांधली का भी भंडाफोड़ हो सके। दरअसल, कई अभ्यर्थियों के लिखित परीक्षा में सफल हुए बिना चयन हो जाने पर प्रतियोगी छात्रों ने ही आपत्ति उठाई थी। शुरू में बोर्ड प्रशासन किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से साफ इन्कार करता रहा, पर प्रकरण उच्च न्यायालय पहुंचने पर कंप्यूटर की गलती पकड़ में आ गई और पांच अभ्यर्थीचयन सूची से बाहर कर दिए गए। बोर्ड के ही सूत्रों का कहना है कि जब तक अंक नहीं बढ़ाए जाएं, अभ्यर्थी मेरिट में नहीं आ सकता। जब तक मेरिट में नहीं आएगा, तब तक केजिंग नहीं होगी। सवाल उठता है कि जिस अभ्यर्थी का नाम मेरिट लिस्ट में नहीं था, वह सामाजिक विज्ञान की केजिंग लिस्ट में कैसे आ गया? सवाल यह भी उठ रहा हैकि क्या इसकी जानकारी अध्यक्ष व संबंधित सदस्य को नहीं थी? अभ्यर्थियों का कहना है कि अपने मकसद में कामयाब होने के बाद ओएमआर शीट बदलने की योजना थी, जो फलीभूत नहीं हो सकी। पैनल की जांच में चारऔर पकड़े गए : प्रशासनिक अधिकारियों ने जब फाइनल पैनल की परीक्षा परिणाम से जांच कराई तो उसमें प्रवक्ता के चार ऐसे अभ्यर्थी मिले, जो लिखित परीक्षा में फेल थे। बाद में जांच समिति की आपत्ति के बाद इन चारों को भी बाहर कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक ये चार अभ्यर्थी भी जिम्मेदार लोगों के ही खास थे।

Source- jagran
5-3-2012

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