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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शिक्षक भर्ती की तैयारी शुरू ***चुनावी गणित में भावी शिक्षकों पर भी डोरे *** :----

Friday, 30 March 2012

भर्ती पर पुराने कुछ आदेश

भर्ती पर पुराने कुछ आदेश

बिहार में प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती का आदेश


नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बिहार में नौकरी की बाट जोह रहे प्रशिक्षित शिक्षकों के लिए खुशखबरी है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को 31 अगस्त तक प्रशिक्षित शिक्षकों के सभी 34540 पदों को भरने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति अल्तमश कबीर व न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की पीठ ने ये आदेश प्रशिक्षित शिक्षकों की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किए। इस भर्ती के लिए वर्ष 2006 तक प्रशिक्षण पूरा करने वाले लोग आवेदन कर सकते हैं। प्रशिक्षित शिक्षकों में फिजिकल ट्रेंड शिक्षकों को भी शामिल किया जाएगा। कोर्ट ने कहा है कि भर्ती वरिष्ठता के आधार पर की जाएगी।
बिहार सरकार के वकील मनीष कुमार ने अनुरोध किया कि भर्ती में राज्य की आरक्षण नीति लागू करने की अनुमति दी जाए लेकिन प्रतिपक्षियों को इस पर आपत्ति थी। उनका कहना था कि सभी 34,540 पदों पर भर्ती की जाए और इनमें से आरक्षित कोटे के जो पद खाली रह जाएं उन्हें सामान्य वर्ग से भरा जाए। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात स्वीकार करते हुए कहा कि भर्ती में राज्य की आरक्षण नीति भी लागू होगी लेकिन आरक्षित पदों के रिक्त रह जाने पर उन्हें सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से भरा जाएगा। इस मामले पर कोर्ट आठ सितंबर को फिर सुनवाई करेगा।
बिहार में प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती का यह विवाद पुराना है। वर्ष 2003 में राज्य सरकार ने 34,540 पदों पर शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन निकाला। इस विज्ञापन में प्रशिक्षित और गैर प्रशिक्षित दोनों तरह के शिक्षकों की भर्ती के आवेदन मंगाए गए थे। भर्ती प्रक्रिया को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और पटना हाईकोर्ट ने भर्ती नियमों को गलत ठहराते हुए विज्ञापन और प्रक्रिया निरस्त कर दी थी।
बाद में सुप्रीमकोर्ट ने राज्य सरकार को रिक्त पदों पर प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती का आदेश दिया। सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बावजूद जब राज्य सरकार ने भर्ती नहीं की, तो आवेदन करने वाले कुछ उम्मीदवारों ने राज्य सरकार के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर आदेश पर अमल की मांग की है। 

पटना हाईकोर्ट ने चयनित सिपाहियों को छह महीने में नियुक्त करने का निर्देश

पटना हाईकोर्ट ने चयनित सिपाहियों को छह महीने में नियुक्त करने का निर्देश दिया है। इन सभी ने 2004 में निकले विज्ञापन के आधार पर परीक्षा दी थी और सफल हुए। 2006 में शारीरिक जांच परीक्षा का रिजल्ट निकला किन्तु इनकी नियुक्ति नहीं हो पायी। आरोप है कि इनको छोड़ नयी नियुक्तियां शुरू हो गयीं। नतीजतन, नौकरी पाने से वंचित रहे लोग न्यायालय की शरण में आये हैं। न्यायाधीश टी.मीना कुमारी एवं न्यायाधीश अखिलेश चन्द्रा की खंडपीड ने मंगलवार को 153 याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई पूरी की। वकार अहमद एवं अन्य की ओर से वरीय अधिवक्ता राजीव कुमार वर्मा ने कोर्ट को बताया कि शारीरिक जांच परीक्षा में सफल हुए उम्मीदवार छह वर्ष से अपने चयन का लेकर पशोपेश में हैं, जबकि सिपाहियों की नयी बहाली शुरू कर दी गयी है। सरकार पुराने को भूल गयी है। राज्य सरकार की ओर से दायर शपथपत्र में कहा गया था कि सिपाहियों के कुल कितने चयनित सिपाही पर रिक्त हैं, इसका पता लगाना पड़ेगा। इस पर ऐतराज करते हुए खंडपीठ ने कहा कि रिक्तियों का बगैर पता लगाये विज्ञापन कैसे निकाल दिया गया? यदि कुल रिक्तियों का पता नहीं है तो इसका 6 माह में पता लगा लिया जाए और सफल उम्मीदवारों को नियुक्त किया जाए। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता चित्तरंजन सिन्हा, अधिवक्ता इब्राहिम कबीर व अन्य ने अदालत को सिपाही नियुक्ति की सारी प्रक्रिया से अवगत कराया। कोर्ट को बताया गया कि 19 मार्च 2006 को शारीरिक जांच परीक्षा का रिजल्ट निकाला गया था। विज्ञापन के अनुसार सभी जिलों में बीएमपी, जिला पुलिस व अन्य प्रकार की सिपाहियों की बहाली की जानी थी। यहां तक कि 2007 में सेलेक्सन लिस्ट भी तैयार कर ली गयी थी। किन्तु चयनित सिपाहियों की नियुक्ति नहीं हो पायी। इस विज्ञापन को दरकिनार कर नये सिरे से नियुक्ति की जाने लगी।

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