इलाहाबाद : विवि में शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई है।
इसको लेकर लगभग दो दर्जन शिक्षकों में एक अलग किस्म की घबड़ाहट पैदा हो गई।
दरअसल इन शिक्षकों की डेज आफ एलिजिबिलिटी तय न होने से यह शिक्षक एसोसिएट
प्रोफेसर नहीं बन पाए हैं। ऐसे में कई विभागों में ऐसा भी हो सकता है कि
उनसे कम सेवा किए हुए लोग एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर काबिज हो जाएंगे।
मालूम हो कि विवि के करीब दो दर्जन शिक्षक अभी भी ग्रेड तीन पर हैं। दरअसल ग्रेड तीन पर तीन साल बिताने के बाद अपने आप यह शिक्षक एसोसिएट प्रोफेसर बन जाते हैं। ऐसे मे तीन साल से दो गुना समय इसी ग्रेड पर इन शिक्षकों को इसलिए बिताना पड़ा क्योंकि यह मामला अभी हल नहीं हो सका है। कुछ शिक्षक इस पर न्यायालय की शरण भी ले चुके हैं। ऐसे में अगर इन शिक्षकों के विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर भर्तियां होती हैं तो तकनीकी तौर यह शिक्षक ज्यादा अवधि तक स्थायी शिक्षक के तौर पर सेवा करने के बावजूद नवनियुक्त एसोसिएट प्रोफेसर से नीचे हो जाएंगे। पीड़ित तो यह शिक्षक पहले से थे क्योंकि इन्हें तगड़ा आर्थिक नुकसान कई सालों से उठाना पड़ रहा है लेकिन असली पीड़ा तो होगी जब स्थाई तौर पर इनसे कम अवधि तक पढ़ा चुके शिक्षक एसोसिएट प्रोफेसर बनकर इन्हीं के विभागों में तैनात होंगे।
मालूम हो कि विवि के करीब दो दर्जन शिक्षक अभी भी ग्रेड तीन पर हैं। दरअसल ग्रेड तीन पर तीन साल बिताने के बाद अपने आप यह शिक्षक एसोसिएट प्रोफेसर बन जाते हैं। ऐसे मे तीन साल से दो गुना समय इसी ग्रेड पर इन शिक्षकों को इसलिए बिताना पड़ा क्योंकि यह मामला अभी हल नहीं हो सका है। कुछ शिक्षक इस पर न्यायालय की शरण भी ले चुके हैं। ऐसे में अगर इन शिक्षकों के विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर भर्तियां होती हैं तो तकनीकी तौर यह शिक्षक ज्यादा अवधि तक स्थायी शिक्षक के तौर पर सेवा करने के बावजूद नवनियुक्त एसोसिएट प्रोफेसर से नीचे हो जाएंगे। पीड़ित तो यह शिक्षक पहले से थे क्योंकि इन्हें तगड़ा आर्थिक नुकसान कई सालों से उठाना पड़ रहा है लेकिन असली पीड़ा तो होगी जब स्थाई तौर पर इनसे कम अवधि तक पढ़ा चुके शिक्षक एसोसिएट प्रोफेसर बनकर इन्हीं के विभागों में तैनात होंगे।
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