BREAKING NEWS

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शिक्षक भर्ती की तैयारी शुरू ***चुनावी गणित में भावी शिक्षकों पर भी डोरे *** :----

Tuesday, 20 March 2012

टीईटी बेरोजगारों का प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन

हमीरपुर, कार्यालय संवाददाता : टीईटी उत्तीर्ण बेरोजगारों ने तैनाती के लिए आज कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन कर एडीएम को ज्ञापन दिया और 20 मार्च को विधानसभा के सामने प्रदर्शन करने का निर्णय लिया।
टीईटी उत्तीण बेरोजगार संघ ने मांग की है कि टीईटी द्वारा होने वाली प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू की जाये। मौजूदा में टीईटी उत्तीर्ण लगभग ढाई लाख अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने आवेदन किया है। प्रत्येक अभ्यर्थी का आवेदन में 10 से 14 हजार रुपये खर्च आया है। टीईटी के आधार पर ही मैरिट बनाकर शिक्षकों का चयन किया जाये। ताकि प्राथमिक विद्यालयों में योग्य शिक्षकों की तैनाती हो सके। साथ ही टीईटी की परीक्षा में जो भी अनियमिततायें हुई हैं, उनकी क्रास चेकिंग करायी जाये। मगर परीक्षा को निरस्त न किया जाये क्योंकि इससे अभ्यर्थियों का भविष्य खराब होगा।
आज सुबह टीईटी बेरोजगारों ने अपर जिलाधिकारी एचजीएस पुंडीर को इस बारे में ज्ञापन सौंपा। पंकज कुमार, विनय निगम, रिजवान हाशमी, नीरज निगम, अविनाश द्विवेदी, योगेंद्र कुमार, जितेंद्र सिंह, स्मृति सिंह, मीनाक्षी निगम, सिद्धार्थ, अनिल मिश्रा, श्वेता श्रीवास्तव, अर्चना श्रीवास्तव ज्ञापन देने में शामिल थे। नीरज निगम ने कहा कि 20 मार्च को लखनऊ में विधानसभा के सामने प्रदर्शन कर वे अपनी बात रखेंगे। यह निर्णय जोन प्रभारी अभिषेक त्रिपाठी की अध्यक्षता में रहुनियां धर्मशाला में हुई बैठक में लिया गया। वक्ताओं ने कहा कि नियुक्ति के लिए सरकार को निर्णय करना है। राजू पांडेय, अखिलेश सिंह गौर, मृदुल त्रिपाठी, पीयूष यादव, सत्येंद्र अग्रवाल ने विचार रखे।

Source- Jagran
20-3-2012

1 comment:

. said...

परीक्षा बनी सरकार के गले की हड्डी
राजीव दीक्षित लखनऊ, 20 मार्च : मायावती सरकार के कार्यकाल में आयोजित अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) और उसके जरिए प्राथमिक स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति समाजवादी पार्टी की सरकार के लिए गले की हड्डी बन गई है। टीईटी को लेकर प्रदेश भर में हो रहे धरना प्रदर्शन के मद्देनजर मुख्यमंत्री कार्यालय ने माध्यमिक शिक्षा विभाग से रिपोर्ट तलब की है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने मंगलवार शाम मुख्यमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट भेज दी है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा एक से आठ तक में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए प्रदेश में पहली बार टीईटी का आयोजन यूपी बोर्ड ने किया था। बीती 13 नवंबर को आयोजित टीईटी का परिणाम 25 नवंबर को घोषित किया गया था। बाद में परीक्षा परिणाम को संशोधित करने की आड़ में इसमें धांधली की गई। यह धांधली उजागर होने पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। परीक्षा में भ्रष्टाचार उजागर होने परइसमें असफल रहने वाले अभ्यर्थी जहां टीईटी को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं, वहीं टीईटी उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी इसे रद करने के खिलाफ हैं। टीईटी को लेकर सिर्फ यही पशोपेश नहीं है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 23 अगस्त 2010 को अधिसूचना जारी करते हुए प्राथमिक कक्षाओं में बीएड डिग्रीधारकों को पहली जनवरी 2012 तक शिक्षक नियुक्त करने की छूट दी थी। यह समयसीमा बीतने के बाद भी प्रदेश में शिक्षकों की नियुक्तिनहीं हो पायी है। दिसंबर के आखिरी हफ्ते में राज्य सरकार ने केंद्र के मानव संसाधन विकास मंत्रालय कोपत्र लिखकर बीएड डिग्रीधारकों को शिक्षक नियुक्त करने की समयसीमा 30 जून 2012 तक बढ़ाने का अनुरोध किया था। राज्य सरकार के इस अनुरोध पर केंद्र सरकार ने अब तक कोईजवाब नहीं दिया है। दूसरा पेच यह है कि एनसीटीई ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए टीईटी को अर्हता परीक्षा माना था, लेकिन मायावती सरकार के कार्यकाल में कैबिनेट ने उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक सेवा) नियमावली में संशोधन कर टीईटी की मेरिट को ही शिक्षक भर्ती का एकमात्र आधार बना दिया। मामला पेचीदा इसलिएभी हो गया है क्योंकि राज्य सरकार के इस फैसले को जनहित याचिका के माध्यम से उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में चुनौती दीजा चुकी है। वहीं टीईटी केपरिणाम में उजागर हुई धांधली के मद्देनजर परीक्षा को रद करने की मांग की गई है। टीईटी को लेकर दूसरी याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पहले ही दायर है। इस याचिका में कहा गया है कि जब सहायक अध्यापकों का नियुक्ति प्राधिकारी बेसिक शिक्षा अधिकारी होता है तो शिक्षकों की नियुक्ति के संदर्भ में नियमों के विपरीत सचिव बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से विज्ञप्ति कैसे प्रकाशित कर दी गई। इस दलील के आधार पर अदालत ने शिक्षकों के चयन और नियुक्ति को स्थगित कर दिया है। राज्य सरकार के लिए एक और असमंजस यह भी हैकि यदि वह टीईटी को निरस्तकरती है तो अभ्यर्थी इस निर्णय के विरोध में अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
http://in.jagran.yahoo.com/epaper/article/index.php?choice=show_article&location=37&Ep_relation=4&Ep_edition=2012-03-21&articleid=111736080671073968